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अंग्रेजों ने तंबाकू बेचने के लिए शुरू की ITC:वेश्या से उधार लेकर भारतीय ने लगाया पैसा; आज रेवेन्यू 78 हजार करोड़

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अंग्रेजों ने तंबाकू बेचने के लिए शुरू की ITC:वेश्या से उधार लेकर भारतीय ने लगाया पैसा; आज रेवेन्यू 78 हजार करोड़

आशीर्वाद, सनफीस्ट, सेवलॉन, बिंगो, बी-नेचुरल और विवेल…

यह किसी घर की राशन लिस्ट नहीं है बल्कि वह सारे प्रोडक्ट्स हैं, जिसे आईटीसी बनाती है। आज कंपनी सिगरेट से लेकर अगरबत्ती तक बना रही है। कंपनी का रेवेन्यू 78 हजार करोड़ है।

मेगा एंपायर में बात आईटीसी की-

कहानी आजाद भारत से पहले की है। 1906 में ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको (बीएटी) कंपनी के दो लोग जेलीको और पेज भारत आते हैं। उन्हें अपनी सिगरेट कंपनी के लिए एक एजेंट की तलाश थी, इस वजह से वह लंदन से कोलकाता पहुंचते हैं।

इस कंपनी के लिए भारत में सिगरेट का कारोबार खड़ा करना आसान नहीं था। हालांकि, काफी मेहनत के बाद उन्हें बक्श इलाही नाम का एक छोटा बिजनेसमैन मिला। जिसने एक वेश्या से पैसे उधार लेकर इस कारोबार में अपना पैसा लगाया। यही से आईटीसी की शुरुआत हुई।

ये बक्श इलाही हैं। जिस वेश्या से इन्होंने पैसे उधार लिए बाद में उसी से शादी भी की।

ये बक्श इलाही हैं। जिस वेश्या से इन्होंने पैसे उधार लिए बाद में उसी से शादी भी की।

किराए के मकान में खोला ऑफिस

24 अगस्त 1910 को अंग्रेजों ने भारत की तत्कालीन राजधानी कोलकाता के राधा बाजार में किराया की जगह पर इंपीरियल टोबैको कंपनी ऑफ इंडिया की नींव रखी। कंपनी को अपने पहले ऑफिस के लिए जमीन खरीदने में 16 साल का वक्त लग गया।

कोलकाता स्थित आईटीसी का वर्जीनिया हाउस।

कोलकाता स्थित आईटीसी का वर्जीनिया हाउस।

1926 को कंपनी ने कोलकाता के 37- चौरंगी में लगभग 3 लाख में एक जमीन खरीदकर आईटीसी का पहला ऑफिस खोला। जिसे आज वर्जीनिया हाउस के नाम से जाना जाता है। इसके बाद 1913 में दक्षिण भारतीय किसानों के साथ साझेदारी करते हुए बेंगलुरु में पहली फैक्ट्री खोली गई।

शुरुआत में कंपनी सिर्फ सिगरेट बनाती थी और उसके पैकेजिंग को आउटसोर्स करती थी। 1925 में कंपनी ने खुद का पैकेजिंग और प्रिंटिंग का कारोबार शुरू कर दिया।

समय के साथ बढ़ी भारतीय हिस्सेदारी

आईटीसी की स्थापना के लगभग 6 दशक बाद 1969 में अजित नारायण हक्सर कंपनी के पहले भारतीय चेयरमैन बने। इस दौर तक कंपनी में भारतीय हिस्सेदारी काफी बढ़ गई थी। 1974 में कंपनी का नाम बदलकर इंडिया टोबैको कर दिया गया। हालांकि, इसके बाद दो बार और नाम बदले गए।

4 बार बदला आईटीसी का नाम

  • 1910– इंपीरियल टोबैको कंपनी ऑफ इंडिया
  • 1970- इंडिया टोबैको कंपनी
  • 1974– आई.टी.सी लिमिटेड
  • 2001– आईटीसी लिमिटेड

चेन्नई में पहला होटल खोला – आईटीसी-वेलकमग्रुप होटल चोल

कंपनी ने समय के साथ सिगरेट और पेपरबोर्ड से आगे बढ़कर होटल सेक्टर में भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए। इसकी शुरुआत 1975 में चेन्नई में एक होटल के अधिग्रहण के साथ हुई। चेन्नई के कैथेड्रल रोड स्थित इस होटल का नाम ‘आईटीसी-वेलकमग्रुप होटल चोल’ रखा गया। जिसे बाद में बदलकर ‘वेलकम होटल’ कर दिया गया।

आज आईटीसी होटल्स, मेमेंटोस, वेलकम होटल, स्टोरी, फॉर्च्यून होटल्स और वेलकम हेरिटेज जैसे छह ब्रांडों के तहत पूरे भारत में कंपनी के 80 से भी ज्यादा जगहों पर 115 से अधिक होटल्स है। आज श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में भी आईटीसी का सुपर प्रीमियम लग्जरी होटल है।

नेपाल में शुरू किया कारोबार

आईटीसी ने पहली बार 1985 में देश के बाहर कदम रखा और पड़ोसी देश नेपाल में सूर्या टोबैको कंपनी की शुरुआत की। इसके 17 साल बाद 2002 में यह कंपनी आईटीसी लिमिटेड की सहायक कंपनी बन गई और इसका नाम बदलकर सूर्या नेपाल प्राइवेट लिमिटेड (सूर्य नेपाल) कर दिया गया।

1990 के दशक में कंपनी ने एग्री-बिजनेस में भी हाथ आजमाया और ई-चौपाल की शुरुआत हुई। आईटीसी ने मध्य प्रदेश के सोया किसानों के साथ इसकी शुरुआत की थी। यह आज 10 राज्यों के किसानों तक फैल गया है, जिससे 40 लाख से अधिक किसान जुड़े हुए हैं।

अलग-अलग सेगमेंट शुरू किए

20वीं सदी के शुरुआत के साथ ही आईटीसी ने कारोबार का विस्तार करना शुरू कर दिया। उस दौर में देश में आईटी सेक्टर काफी तेजी से उभर रहा था। इसी के साथ कंपनी ने भी 2000 में आईटीसी इन्फोटेक इंडिया लिमिटेड के साथ आईटी सेक्टर में कदम रखा, जिसके एक साल बाद 2001 में कंपनी ने एफएमसीजी में भी अपने कारोबार का विस्तार किया। इसी के साथ रेडी टू ईट ‘किचन ऑफ इंडिया’ की शुरुआत हुई।

इसके कुछ ही सालों में आईटीसी ने पर्सनल केयर, फैशन और भी कई एफएमजीसी सेक्टर में अपने ब्रांड कंपनी उतारे। कंपनी ने मंगलदीप अगरबत्ती, ऐम माचिस, क्लासमेट के स्टेशनरी आइटम, आशीर्वाद आटा , एंगेज डिओडोरेंट और भी कई ब्रांडस खड़े किए।

योगेश चंद्र देवेश्वर ने बदली सूरत

आईटीसी आज जिस मुकाम पर है, कंपनी को वहां तक पहुंचाने में पूर्व चेयरमैन योगेश चंद्र देवेश्वर का सबसे बड़ा योगदान है। 1996 में जब योगेश चंद्र को कंपनी का सीईओ और चेयरमैन बनाया गया था, उस वक्त कंपनी की हालत काफी खराब थी। आईटीसी के अधिकारों को लेकर शेयरहोल्डर्स के बीच गहमागहमी थी।

उसी दौर में वाईसी देवेश्वर ने अपने बिजनेस माइंड से कंपनी की सूरत बदल दी। उन्होंने अपने कार्यकाल में आईटीसी का रेवेन्यू ढाई हजार करोड़ से बढ़ाकर 39 हजार करोड़ तक पहुंचा दिया। वह सबसे लंबे समय तक किसी कंपनी के सीईओ रहे। 2011 में उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

सबसे बड़ी एफएमजीसी ब्रांड बना आईटीसी

अप्रैल 2023 में आईटीसी का मार्केट कैप इतिहास में पहली बार 5 लाख करोड़ के आंकड़े को पार पहुंचा। इसके अगले तीन महीने में कंपनी ने 6 लाख करोड़ का आंकड़ा भी पार कर लिया। इसी के साथ आईटीसी ने हिंदुस्तान यूनिलीवर को पीछे छोड़ते हुए भारत की सबसे बड़ी एफएमजीसी ब्रांड बन गई।

सिगरेट में भी आईटीसी भारत की सबसे बड़ी ब्रांड है। कंपनी के प्रोडक्ट 90 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट किए जाते है। ये 60 लाख से अधिक रिटेल दुकानों पर उपलब्ध है।

आईटीसी का फाइनेंशियल परफॉर्मेंस

आईटीसी ने अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 5 हजार करोड़ का मुनाफा कमाया है। दिसंबर तिमाही में सिगरेट सेगमेंट आय 3.57% बढ़कर ₹7548.8 करोड़ हो गई। वहीं, होटल सेगमेंट आय 18.19% बढ़कर ₹842 करोड़ और एग्रीकल्चर सेगमेंट आय 2.21% घटकर ₹3054.7 करोड़ हो गई।

पिछले एक साल में कंपनी के शेयर प्राइस में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आज आईटीसी का मार्केट कैप 5 लाख करोड़ के करीब है। वहीं, कंपनी का रेवेन्यू 78 हजार करोड़ है। आईटीसी भारत की टॉप-10 कंपनियों में से एक है।

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