अपने मकान पर किसी पार्टी का झंडा लगाने से पहले दस बार सोचें, क्योंकि…
निर्वाचन आयोग ने भी निजी भवन पर राजनीतिक दल का झंडा लगाने से पहले भवन मालिक से लिखित अनुमति की शर्त लगा रखी है। इसमें मालिक की अनुमति के बाद बैनर व झंडे के खर्च सहित पूरा विवरण भी रिटर्निंग अधिकारी को तीन दिन में देना होगा।
अपने मकान पर किसी पार्टी का झंडा लगाने से पहले दस बार सोचें, क्योंकि…
चुनावों के दौरान खासतौर से लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान समर्थकों की ओर से अपने-अपने घरों पर राजनीतिक पार्टियों का झंडा लगा कर खुलेआम अपने समर्थन का इजहार करने पर इस बार चुनाव आयोग ने सख्ती की है। अब ऐसे लोग बिना निर्वाचन विभाग की अनुमति के किसी भी राजनीतिक दल का झंडा अपने घरों या किसी भी इमारत पर नहीं लगा सकेंगे। उन्हें इसके लिए जिला निर्वाचन विभाग से अनुमति लेनी होगी। अगर किसी ने बिना अनुमति दलों के झंडे अपने घरों पर लगाए, तो निर्वाचन विभाग उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा।
गौरतलब है कि इस बार बीकानेर में गांव और शहर दोनों जगह ही सोशल मीडिया पर प्रचार ने भले ही जोर पकड़ लिया हो, लेकिन मोहल्लों में न पार्टियों के झंडे बैनर नजर आ रहे हैं और न ही घरों के ऊपर लहराने वाले दलों के झंडे। इससे पहले के चुनावों में घरों पर पार्टियों के झंडे लगे दिखाई पड़ते थे। कई बार झंडों से चुनावी माहौल भी बनता था, लेकिन इस बार वैसा माहौल नहीं बनता दिख रहा। जिन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं, वहां भी लोग अपने प्रतिष्ठानों और भवन पर पार्टी का झंडा लगाने से कतरा रहे हैं।
यह करना होगा भवन मालिक को
निर्वाचन आयोग ने भी निजी भवन पर राजनीतिक दल का झंडा लगाने से पहले भवन मालिक से लिखित अनुमति की शर्त लगा रखी है। इसमें मालिक की अनुमति के बाद बैनर व झंडे के खर्च सहित पूरा विवरण भी रिटर्निंग अधिकारी को तीन दिन में देना होगा। राजनीतिक दलों के झंडे कम लगने का एक कारण सोशल मीडिया भी है। किसी दल का समर्थन प्रदर्शित करने के लिए लोग अपने सोशल मीडिया अकाउंट का उपयोग कर लेते हैं।
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