मरु क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में पहले जहां ऊंट पर सवार होकर चिट्ठी आती थी, वहीं अब यहां जल्द ही ड्रोन में उड़कर कुछ मिनटों में डाक पहुंचेगी। डाक विभाग का ड्रोन से डाक पहुंचाने का पायलट प्रोजेक्ट गुजरात के कच्छ में सफल रहने के बाद अब ट्रायल पश्चिमी राजस्थान में होगा। विभाग ने जोधपुर डाक परिमण्डल को ड्रोन की फिजिबिलिटी जांचने के निर्देश दिए हैं। जोधपुर डाक परिमण्डल में 13 जिले हैं। जिसमें जोधपुर संभाग के अलावा शेखावटी, बीकानेर और श्रीगंगानगर- हुनमानगढ़ का क्षेत्र भी शामिल है।जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर के दूरदराज के क्षेत्रों में डाक पहुंचाना आज भी आसान काम नहीं है। ऐसे में डाक विभाग अब ड्रोन से डाक डिलीवरी की कवायद शुरू करने जा रहा है।
25 मिनट में पहुंचाई 46 किमी दूर डाक भारतीय डाक विभाग ने
इसी साल 27 मई को पहली बार पायलट परियोजना के तहत गुजरात के कच्छ जिले में ड्रोन की मदद से डाक पहुंचाई। डाक पहुंचाने के लिए जिस ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था, उसे गुरुग्राम के स्टार्टअप टेकईगल ने बनाया था। इस तरह के काम के लिए ड्रोन की यह पहली उड़ान थी। ड्रोन ने 46 किलोमीटर की दूरी 25 मिनट में तय की। भुज तालुका के हाबे गांव से डाक कच्छ जिले के भाचानू तालुका के नेर गांव में पहुंचाई गई।गांव-ढाणी में स्थित उप डाकघर के लिए मुख्य डाकघर या डाकघर से ड्रोन के जरिए आर्टिकल भेजा जाएगा। इसका रूट व समय तय होगा। जिसकी सूचना संबंधित उप डाकघर को भी होगी। ड्रोन सीधा उप डाकघर की ओर से बताए गए स्थान पर ही उतरेगा। जहां से डाककर्मी आर्टिकल प्राप्त करेंगे। उसके बाद उसकी डिलीवरी डाकिए द्वारा की जाएगी।
फिजिलिटी में यह देखेंगे
- ड्रोन से डिलीवरी का समय और उसके अनुसार – उसका चार्ज क्या होना चाहिए
• ड्रोन की उड़ान का रूट
• ड्रोन के उतरने की जगह और आर्टिकल प्राप्त होने – पर वापसी में लगने वाला समय
हमें ड्रोन से डाक डिलीवरी की फिजिबिलिटी जांचने के निर्देश मिले हैं। गुजरात के कच्छ के बाद दूसरा ट्रायल हमारे यहां होगा । सचिन किशोर, पोस्ट मास्टर जनरल, राजस्थान डाक परिमण्डल
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