संयुक्त निदेशक, सीएमएचओ सहित एनसीडी समन्वयक का जयपुर में हुआ सम्मान
बीकानेर / जयपुर, 6 जून। एनपी-एनसीडी यानिकि असंक्रामक रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिले ने प्रदेश भर में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इस उपलब्धि के लिए जयपुर में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला में जिले को सम्मानित किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार सोनी, निदेशक जन स्वास्थ्य डॉ रवि प्रकाश माथुर, निदेशक आरसीएच डॉ आरपी डोरिया सहित भारत सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा जयपुर के होटल हयात में आयोजित कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक बीकानेर जोन डॉ देवेंद्र कुमार चौधरी, सीएमएचओ डॉ मोहम्मद अबरार पंवार तथा जिला एनसीडी समन्वयक इंद्रजीत सिंह ढाका को सम्मानित किया गया। पहले स्थान पर टोंक व तीसरे स्थान पर बूंदी जिला रहा।
कार्यशाला में सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों तथा संबंधित अधिकारीगण मौजूद रहे।
सीएमएचओ डॉ अबरार ने बताया कि यह उपलब्धि जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल के नेतृत्व में जिला एनसीडी प्रकोष्ठ सहित जिले के समस्त ब्लॉक सीएमओ, चिकित्सा अधिकारियों तथा कर्मचारियों द्वारा वर्ष पर्यंत की गई मेहनत का फल है। उन्होंने बताया कि उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, स्ट्रोक, हृदय रोग, कैंसर जैसे असंक्रामक रोग आज के समय में मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में शुमार है। जिले में लगातार स्क्रीनिंग द्वारा समय रहते रोगियों की पहचान कर निशुल्क उपचार को मिशन मोड पर चलाया जा रहा है। वर्तमान में फिट हेल्थ कैंपेन भी संचालित किया जा रहा है जिसके अंतर्गत 100 दिवसीय कार्यक्रम में जिले के प्रत्येक 30 प्लस आयु वर्ग के व्यक्ति की असंक्रामक रोगों को लेकर स्क्रीनिंग व उपचार किया जाएगा।
अंसक्रामक रोग साइलेंट किलर : मिशन निदेशक एनएचएम
कार्यशाला में मिशन निदेशक एनएचएम डॉ.जितेन्द्र कुमार सोनी ने कहा कि असंक्रामक रोगों के कारण, बचाव और उपचार सेवाओं के बारे में आमजन को सामान्य जानकारियां होना अत्यंत आवश्यक है। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कार्मिक और स्वयं सेवी संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी समझें और एकजुट होकर कैंसर, डायबीटीज, स्ट्रोक, हाईपर टेंशन इत्यादि असंक्रामक रोगों के नियंत्रण व उपचार हेतु अपने वास्तविक दायित्वों का निर्वाह कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अंसक्रामक रोग साइलेंट किलर हैं जिनके होने का सामान्य व्यक्ति को आभास ही नहीं होता और वह जटिल रोग की गिरफ्त में आ जाते हैं।
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