रक्षा में आत्मनिर्भरता
लेखक मनोज रूड़कीवाल, जनसंपर्क अधिकारी (रक्षा), जनसंपर्क निदेशालय,रक्षा मंत्रालय,साउथ ब्लॉक,नई दिल्ली
आत्मनिर्भर भारत अभियान माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित नए भारत की अवधारण है। इसका उद्देश्य देश व उसके नागरिकों को हर मायने में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना है। अस्थिर और असुरक्षित समकालीन विश्व परिदृष्य में आत्मनिर्भरता अपेक्षित हो गई है I
इज़राइल-हमास युद्ध एवं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व व्यवस्था में अस्थिरता और भूराजनैतिक उथल पुथल मची हुई है I ऐसी गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए रक्षा में आत्मनिर्भरता अत्यंत महत्वपूर्ण लक्ष्य बन जाता है। आर्थिक दृष्टिकोण से भी रक्षा में आत्मनिर्भरता नए तथा आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए अहम कदम है।
प्रधानमंत्री जी की इसी आत्मनिर्भरता की घोषणा को साकार करते हुए, रक्षा मंत्रालय ने पिछले दस वर्षों के दौरान रक्षा के सभी क्षेत्रों में एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल करते हुए लंबा सफर तय किया है। इतने कम समय में रक्षा उत्पादन एवं निर्माण में आत्मनिर्भरता अत्यंत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
आज भारत दुनिया के करीबन 70 देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर दुनिया के शीर्ष 25 रक्षा निर्यातकों में जगह बनाने की ओर अग्रसर है। भारत का रक्षा निर्यात 2015-16 में मात्र 2,059 करोड़ से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 15,920 करोड़ रुपये हो गया है। इन बेजोड़ उपलब्धियों को देखते हुए इस बार सरकार ने 2024-25 तक रक्षा निर्यात का लक्ष्य 40,000 करोड़ रुपये रखा है।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को और बढ़ावा देने तथा तीनों सेनाओं को बेहतर बनाने के लिए इस वर्ष सरकार ने कुल केन्द्रीय बजट का 13.04 प्रतिशत रक्षा मंत्रालय को आवंटित किया है। इस बार वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए आवंटन के नए आंकड़े 6.21 लाख करोड़ हैं – जो कि पिछले वर्ष के रक्षा बजट की तुलना में 4.72 प्रतिशत ज़्यादा हैं । सरकार ने देश में रक्षा विनिर्माण और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने, रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत पहल की हैं। इनमें रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी)-2020 के तहत घरेलू स्रोतों से पूंजीगत वस्तुओं की खरीद को प्राथमिकता देना शामिल है; मार्च 2022 में उद्योग आधारित डिजाइन एवं विकास के लिए 18 प्रमुख रक्षा प्लेटफार्मों की घोषणा; सेवाओं की कुल 310 वस्तुओं में से तीन ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची’ और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) की कुल 2958 वस्तुओं में से दो ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची’ की अधिसूचना शामिल है I
इनके अलावा, लंबी वैधता अवधि के साथ औद्योगिक लाइसेंसिंग प्रक्रिया का सरलीकरण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति का उदारीकरण, स्वचालित मार्ग के तहत 74% एफडीआई की अनुमति और मेक इन इंडिया प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। नवाचार के लिए स्टार्ट-अप और सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को शामिल करते हुए रक्षा उत्कृष्टता (iDEX)योजना शुरू की गई है। सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को प्राथमिकता) आदेश 2017 लागू किया गया है। डीआरडीओ ने भारतीय उद्योग को विकास में सह उत्पादन भागीदार (डीसीपीपी) के रूप में शामिल करने, नाममात्र या शून्य लागत पर उद्योग को अपनी तकनीक की पेशकश करने और अपने पेटेंट आदि तक मुफ्त पहुंच प्रदान करने के लिए विभिन्न नीतियों के माध्यम से प्रमुख पहल की है।
सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए 7,965 करोड़ रुपये रखे हैं। अब सशस्त्र बलों के एकीकरण और थिएटर कमांड की स्थापना महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गई है। समसामयिक युद्ध और लड़ाई के मोर्चे में एक बड़ा बदलाव आया है, जिसमें भूमि,जल,वायु और साइबर युद्ध के मौजूदा डोमेन में अंतरिक्ष युद्ध का एक नया डोमेन जोड़ा गया है। अंतरिक्ष-आधारित हथियारों के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए एक रक्षा अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (डीएसआरए) की स्थापना की गई है। साइबर सुरक्षा, क्वांटम टेक्नोलॉजीज, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और संवर्धित वास्तविकता (एआर) में नए स्टार्टअप सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में आर्मी डिज़ाइन ब्यूरो का गठन किया गया जो एक सुविधा प्रदाता इकाई है और स्टार्ट-अप और एमएसएमई को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। idex के 100वें अनुबंध पर हाल ही में हस्ताक्षर किए गए हैं। यह भारत के नागरिक-सैन्य संलयन के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण स्वदेशी उत्पादन जैसे एफआरएसडी – छद्मवेश के तहत फेस रिकग्निशन सिस्टम (चेहरा पहचान प्रणाली’), पश्चिमी थिएटर के लिए एआई-आधारित इंटरसेप्ट मैनेजमेंट सिस्टम (आईएमएस), आईसेंटिनल खतरे का पता लगाने एवं ट्रैकिंग सिस्टम ने प्रतिक्रिया को फिर से परिभाषित किया गया है। हाइब्रिड युद्ध के खतरे और आतंकवाद से निपटने के लिए ऐसी तकनीकों का उपयोग करने से देश में शांति बनाए रखने में बहुत मदद मिलेगी।
एमएसएमई सहित भारतीय उद्योग के स्वदेशीकरण की सुविधा के लिए सृजन (SRIJAN ) नामक एक स्वदेशी पोर्टल शुरू किया गया है। 2022-23 में पूंजीगत खरीद बजट का 68 प्रतिशत घरेलू उद्योग के लिए निर्धारित किया गया है I निजी उद्योग के लिए घरेलू पूंजी खरीद बजट का 25 प्रतिशत आवंटित किया गया है। निवेश को आकर्षित करने और उच्च गुणक प्रदान करके रक्षा विनिर्माण के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर जोर देने वाली ऑफसेट नीति में सुधार किया गया है; और दो रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किए गए हैं जिनमें से एक उत्तर प्रदेश और एक तमिलनाडु में है ।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अगुआई में रक्षा क्षेत्र अभूतपूर्व उन्नति हुई है। प्रगति पथ पर तीव्र गति से अग्रसर हमारे महान राष्ट्र भारत की पूर्व दस वर्षों की उपलब्धियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वह दिन दूर नहीं जब भारत पूर्ण रूप से रक्षा में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा और आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार करेगा।
लेखक मनोज रूड़कीवाल, जनसंपर्क अधिकारी (रक्षा), जनसंपर्क निदेशालय,रक्षा मंत्रालय,साउथ ब्लॉक,नई दिल्ली
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