वित्त मंत्रालय
आयकर विभाग द्वारा मुंबई में विभिन्न स्थानों पर तलाशी
आयकर विभाग ने 08 मार्च 2022 को मुंबई के एक केबल ऑपरेटर, राज्य सरकार के एक कर्मचारी और उनसे जुड़े व्यवसायों के संबंध में एक तलाशी अभियान चलाया। इस तलाशी अभियान में मुंबई, पुणे, सांगली और रत्नागिरी में स्थित कुल 26 परिसरों को कवर किया गया।
इस तलाशी अभियान के दौरान, यह पाया गया कि महाराष्ट्र के एक प्रमुख राजनेता द्वारा 2017 में दापोली में एक भूखंड को एक करोड़ रुपये में खरीदा गया था, लेकिन इसका पंजीकरण 2019 में कराया गया था। बाद में इस जमीन को 1.10 करोड़ रुपये में एक ऐसे व्यक्ति को बेच दिया गया जिसके खिलाफ 2020 में तलाशी की कार्रवाई की गई थी। बीच की अवधि में, उसी जमीन पर 2017 से लेकर 2020 के दौरान एक रिसोर्ट बनाया गया। उस जमीन की रजिस्ट्री उक्त राजनेता के नाम होने तक उस रिसॉर्ट का पर्याप्त रूप से निर्माण हो चुका था। बाद में, उक्त राजनेता द्वारा 2020 में उस संपत्ति को उक्त केबल ऑपरेटर को बेचे जाने तक वह रिसोर्ट लगभग पूरी तरह तैयार हो गया था। इससे यह पता चलता है कि रिसॉर्ट के निर्माण से जुड़े प्रासंगिक तथ्यों के बारे में पंजीकरण अधिकारियों को सूचित नहीं किया गया था और तदनुसार, दोनों अवसरों पर यानी 2019 और 2020 में भूमि के पंजीकरण के लिए केवल स्टाम्प शुल्क का भुगतान किया गया था। तलाशी के दौरान मिले साक्ष्यों से पता चला है कि उक्त रिसॉर्ट का निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ था और उसके निर्माण पर छह करोड़ रुपये से अधिक नकद खर्च किए गए। इसके निर्माण की लागत का हिसाब न तो तलाशी लिए गए व्यक्ति और न ही उक्त राजनेता ने अपनी बही-खातों में रखा है।
राज्य सरकार के अधिकारी के मामले में ली गई तलाशी से पता चला है कि उसने, उसके परिवार के सदस्यों एवं रिश्तेदारों ने पिछले दस वर्षों की अवधि में पुणे, सांगली और बारामती के प्रमुख इलाकों में परिसंपत्तियों के रूप में बड़ी संपदा अर्जित की है। उस परिवार के पास पुणे में एक बंगला और एक फार्महाउस, तसगांव में एक भव्य फार्महाउस, सांगली में दो बंगले, तनिष्क एवं कैरेट लेन के शोरूम वाले दो वाणिज्यिक परिसर, पुणे के विभिन्न इलाकों में पांच फ्लैट, नवी मुंबई में एक फ्लैट, सांगली, बारामती तथा पुणे में खाली प्लॉट हैं और उन लोगों ने पिछले सात वर्षों के दौरान 100 एकड़ से अधिक कृषि भूमि अर्जित की है। इन परिसंपत्तियों के अर्जन के स्रोतों और दुकानों एवं बंगलों के भव्य अंदरूनी हिस्सों पर खर्च की गई राशि की विस्तृत जांच चल रही है। उक्त परिवार इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के शोरूम, तनिष्क शोरूम, सिविल निर्माण व्यवसाय, रियल एस्टेट और पाइप उत्पादन के व्यवसाय सहित कई व्यवसायों का मालिक है।
यह पाया गया है कि उक्त कर्मचारी के रिश्तेदारों द्वारा चलाए जा रहे निर्माण व्यवसाय को राज्य सरकार से कई अनुबंध प्राप्त हुए थे। तलाशी अभियान के दौरानकुल मिलाकर 27 करोड़ रुपये मूल्य की फर्जी खरीद और फर्जी उप-अनुबंधों के माध्यम से अनुबंध की लागत में हेराफेरी करने से संबंधित साक्ष्य भी मिले हैं। बारामती में जमीन की बिक्री में दो करोड़ रुपये की नकद प्राप्ति, जिसका कोई लेखा – जोखा नहीं है, से संबंधित साक्ष्यों का भी पता चला है। निर्माण व्यवसाय में कर चोरी के संबंध में आगे की जांच जारी है।
तलाशी की इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप 66 लाख रुपये नकद जब्त किए गए हैं। इस तलाशी अभियान के दौरान जब्त किए गए डिजिटल डेटा और दस्तावेजी सबूतों का विस्तृत विश्लेषण किया जा रहा है और इस संबंध में आगे की जांच जारी है।
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