शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने सभी वाजिब समस्याओं के त्वरित निष्पादन का दिया आश्वासन
बीकानेर। प्राईवेट शिक्षण संस्थानों के आरटीई के भुगतान तथा आरटीई संबंधित अन्य समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने गुरुवार को शिक्षा मंत्री डॉ बी डी कल्ला को मांगपत्र प्रस्तुत कर सार्थक चर्चा की। जयपुर स्थित शिक्षा सचिवालय में हुई इस चर्चा के दौरान निजी शिक्षण संस्थान नियामक प्राधिकरण बिल – 2023 एवं अन्य समस्याओं के संबंध में भी बातचीत हुई। खैरीवाल के मुताबिक शिक्षा मंत्री डॉ बी डी कल्ला ने सभी वाजिब समस्याओं के समाधान हेतु त्वरित कार्यवाही हेतु आश्वस्त किया है।
ज्ञापन में कहा गया है शिक्षा विभाग ने आरटीई को मजाक बना कर रख दिया है। सत्र 2022-2023 संपन्न होने की कगार पर है और अब शिक्षा विभाग ने प्री प्राईमरी कक्षाओं के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू की है जो कि पूरी तरह से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है और हर तरह से यह अव्यावहारिक कदम है। जब हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 23 मई 2022 को अंतरिम आदेश जारी कर दिए थे, तो उनकी पालना में इतना समय लगाने के बाद अब फरवरी में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करना पूरी तरह से अनुचित है। अतः वर्तमान सत्र 2022 – 2023 में इस प्रक्रिया को रोकना अत्यावश्यक है।
ज्ञापन में बताया गया है कि प्री प्राईमरी के प्रवेश हेतु जारी दिशानिर्देशों के अनुसार शिक्षा विभाग पूर्व प्राथमिक कक्षाओं ( पी पी – 3, पी पी – 4 और पी पी – 5) में आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित होने वाले स्टूडेंट्स का भुगतान नहीं करेगा जो कि अन्यायपूर्ण, पक्षपाती और दमनकारी निर्णय है, निजी शिक्षण संस्थाएं इस फैसले का पुरजोर विरोध करती हैं क्योंकि बगैर भुगतान बच्चों का अध्यापन संभव नहीं है। अतः प्री प्राईमरी कक्षाओं (पी पी – 3, पी पी – 4 और पी पी – 5) में आरटीई के अंतर्गत नियमानुसार प्रवेशित होने वाले विद्यार्थियों के लिए भी पूर्व सत्रों की भांति भुगतान की व्यवस्था होना अत्यन्त ही जरूरी है।
ज्ञापन में आरटीई के अंतर्गत सत्र 2020-21 के तहत भुगतान के लिए लागू की गई प्रक्रिया को आधी अधूरी और अवैधानिक बताते हुए कहा गया है कि बिना किसी दिशा निर्देशों एवं गाईडलाईंस के जारी इस प्रक्रिया के तहत लगभग पचास प्रतिशत स्कूल पोर्टल पर आनलाईन शिक्षण सत्यापन प्रक्रिया के अंतर्गत अपने अपने स्कूल की रिपोर्ट अपलोड नहीं कर सके। हजारों स्कूल्स द्वारा इस संबंध में शिक्षा विभाग को जरिए ईमेल अपनी मजबूरी से अवगत भी करा दिया था।
अतः सत्र 2020-21 के अंतर्गत अध्ययन करने वाले समस्त स्टूडेंट्स (जिन स्कूलों ने पोर्टल पर आनलाईन शिक्षण सत्यापन प्रक्रिया के अंतर्गत जानकारी अपडेट की और जो स्कूल अपरिहार्य कारणों से जानकारी अपडेट नहीं कर सके) का भुगतान बिना किसी शर्त के अतिशीघ्र ही कराने के निर्देश जारी किए जाकर भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
ज्ञापन में बताया गया है कि सत्र 2020-21 के अंतर्गत आरटीई का भौतिक सत्यापन सत्र 2021-22 के भौतिक सत्यापन के साथ ही कर लिया गया था। इस सत्यापन प्रक्रिया के दौरान पात्र समस्त स्टूडेंट्स को शीघ्र से शीघ्र भुगतान का प्रोसेस शुरू किया जाना चाहिए।
आरटीई के अंतर्गत भुगतान के संबंध में लगाए गए विभिन्न बैरियर्स को हटाने की मांग करते हुए ज्ञापन में कहा गया है कि
सत्र 2018-19 में द्वितीय किश्त का भुगतान उन शिक्षण संस्थाओं को नहीं किया जा रहा है, जिन्होंने क्लेम बिल 30 नवंबर 2019 तक जनरेट नहीं किए थे। ऐसे स्कूल्स क्लेम बिल अपरिहार्य कारणों से ही जनरेट नहीं कर सके थे। अतः शीघ्र ही यह बैरियर (30 नवंबर 2019) हटाकर राज्य की सैंकड़ों स्कूल्स को राहत प्रदान की जानी चाहिए। इसी तरह से
सत्र 2019-20 की प्रथम किश्त का भुगतान 31 दिसंबर 2020 तथा द्वितीय किश्त का भुगतान 31 मार्च 2021 के बाद नहीं किया जा रहा है, अतः ये दोनों बैरियर भी हटवाने की महती आवश्यकता है।
ज्ञापन में मांग की गई है कि आरटीई प्रक्रिया शुरू होने से लेकर अब तक भुगतान से वंचित या अन्य किसी भी तकनीकी समस्या के कारण पोर्टल पर भौतिक सत्यापन रिपोर्ट दर्ज नहीं कर सकने वाले स्कूल्स को एक अवसर और दिलवाने हेतु पोर्टल अनलाक किया जाए।
ज्ञापन में वर्तमान सत्र 2022 – 23 के लिए भुगतान प्रक्रिया तुरंत शुरू कराने तथा सत्र 2021-22 में भुगतान से वंचित सभी स्कूल्स के लिए भुगतान की प्रक्रिया शीघ्र शुरू कराने की मांग भी की गई है।
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