जयपुर, 22 दिसम्बर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने चिकित्सकों का आह्वान किया है कि वे दवाइयों से रोगों के उपचार के साथ ही लोगों को प्राकृतिक दिनचर्या और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए भी प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि लोगों को यह समझने की जरूरत है कि जीवन यदि संतुलित रहेगा और मन प्रसन्न रहेगा तो रोग शरीर में आसानी से घर नहीं कर पाएंगे।
राज्यपाल श्री मिश्र गुरुवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में ‘इंडोक्राइन सोसाइटी ऑफ इंडिया‘ के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भागदौड़ की जिन्दगी में शरीर में हारमोन का असंतुलन बड़ी समस्या है। जब मनुष्य किसी प्रकार का तनाव लगातार झेलता है, तब इस संतुलन के बिगड़ने की आशंका और बढ़ जाती है, जिससे डायबिटिज यानी मधुमेह, पैराथायरॉइड, थायराइड, पक्षाघात और विभिन्न अन्य हारमोनल बीमारियों पनपती हैं। इनसे बचाव और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अन्तरूस्त्रावी तंत्र में संतुलन बना रहना जरूरी है।
राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ के संतुलन को साधने पर बल दिया गया है। इसी प्रकार, आधुनिक मेडिकल साइंस में भी स्वस्थ जीवन शैली के लिए परहेज, शारीरिक व्यायाम आदि पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मौसम अनुकूल खानकृपान, शारीरिक व्यायाम, प्राणायाम, खेलकृकूद, समय पर भोजन, नींद और काम के साथ यथोचित विश्राम से जीवनशैली से जुड़े रोगों को शुरुआती स्तर पर ही रोका जा सकता है।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान की प्राचीन संहिताओं में उपलब्ध चिकित्सकीय ज्ञान को व्यवस्थित रूप में सहेजने के लिए प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में चिकित्साकृविज्ञान की पढ़ाई हिंदी में भी कराए जाने की राष्ट्रीय स्तर पर जो पहल हुई है, उसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे।
‘इंडोक्राइन सोसाइटी ऑफ इंडिया‘ के अध्यक्ष डॉ. राकेश सहाय ने संस्था के क्रियाकलापों की जानकारी दी।
कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल ने उपस्थितजन को संविधा की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।
कार्यक्रम में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुधीर भंडारी सहित देशभर से आए चिकित्सा विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
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