इजरायल के आयरन डोम से भी ताकतवर डिफेंस सिस्टम बना रहा भारत, चीन और पाकिस्तान को मिलेगी कड़ी टक्कर, जानें
India Iron Dome Israel: इजरायल के पास आयरन डोम डिफेंस सिस्टम है जो हमास की ओर से आने वाले रॉकेट को हवा में ही मार गिराता है। भारत के पास दुश्मनों से सुरक्षा के लिए एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। लेकिन अब भारत मेड इन इंडिया डिफेंस सिस्टम बना रहा है, जो आयरन डोम से भी बेहतर होगा।
हाइलाइट्स
- इजरायल के पास आयरन डोम है जो उसे हमले से बचाता है
- भारत अब ऐसा ही एक डिफेंस सिस्टम डेवलप कर रहा है
- भारत का यह डिफेंस सिस्टम आयरन डोम से भी बेहतर होगा
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वॉशिंगटन: इजरायल का दावा है कि उसके आयरन डोम डिफेंस सिस्टम ने हमास की ओर से दागे गए रॉकेटों को बड़ी संख्या में विफल कर एक बार फिर अपनी क्षमता को साबित कर दिया है। इजरायली रक्षा बलों के मुताबिक अगर आयरन डोम सिस्टम न होता तो हमास के हमलों में मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा होती। हालांकि हमास के कुछ रॉकेट आयरन डोम को चकमा देने में कामयाब रहे। ये रॉकेट जहां गिरे वहां उन्होंने भारी तबाही मचाई। इजरायल की ही तरह भारत भी दुश्मनों के बीच में हैं।
भारत के दो प्रमुख दुश्मन पाकिस्तान और चीन हैं। इन दोनों से बचने के लिए भारत आयरन डोम से भी कहीं अधिक प्रभावी वायु रक्षा प्रणाली को विकसित कर रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले से जुड़े लोगों ने कहा कि भारत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (LR-SAM) सिस्टम विकसित कर रहा है। यह मिसाइल सिस्टम 350 किमी तक की दूरी पर आने वाले स्टील्थ लड़ाकू विमानों, ड्रोन, क्रूज मिसाइलों और सटीक निर्देशित हथियार का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम होगी। आयरन डोम सिर्फ 70 किमी के क्षेत्र में रॉकेट को इंटरसेप्ट कर पाता है।
कब बन जाएगा भारत का सिस्टम
अगर सभी चीजें प्लान के हिसाब से रहीं तो भारतीय सेना 2028-29 तक इस हथियार प्लेटफॉर्म को तैनात कर सकती है। असल में यह हथियार वास्तव में रूस के बने एस-400 ट्रायम्फ का पूरक होगा, जिसे भारतीय वायु सेना की ओर से खरीदा गया है। खास बात है कि चीन के पास भी एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु रक्षा प्रणाली माना जाता है। वहीं अमेरिका टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) और पैट्रियट मिसाइल सिस्टम संचालित करता है। अमेरिका के सहयोगी ताइवान और सऊदी भी इस सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं।
प्रोजेक्ट कुश क्या है
DRDO प्रोजेक्ट कुश के तहक LR-SAM पर काम कर रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने मई 2022 में LR-SAM प्रणाली के विकास को मिशन मोड परियोजना को मंजूदी दी। जिसके बाद पिछले महीने रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना के लिए पांच स्क्वाड्रन की खरीद के लिए आवश्यक AON को मंजूरी दी, जिसकी लागत 21,700 करोड़ रुपए है। रिपोर्ट् के मुताबिक इसके इंटरसेप्सन की क्षमता एस-400 से तुलनीय होगी। 2018 में भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल की डील हुई थी। एस 400 की तीन बैटरियां मिल चुकी हैं। दो बैटरियों की डिलीवरी बची हुई है।
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