एमपी में बीजेपी जीती तो पीएम नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान में ‘मैन ऑफ द मैच’ कौन होगा?
MP Assembly Election 2023: एग्जिट पोल एमपी में बीजेपी के पक्ष में हैं। ऐसे में प्रदेश की राजनीति में यह चर्चा शुरू हो गई है कि प्रदेश में अगर सरकार आती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान में से मैन ऑफ द मैच कौन होगा?
भोपाल: मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणाम के पूर्व आए एग्जिट पोल यदि नतीजों में बदलते है, तो यह भारतीय जनता पार्टी के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में बड़ा आधार साबित होगा। विभिन्न एजेंसियों और चैनलों के एग्जिट पोल कुछ हद तक विभाजित जरूर है। लेकिन यदि ‘पोल ऑफ पोल्स’ को आधार बनाया जाए तो भाजपा करीब 125 सीटों के साथ सत्ता में वापसी करते नजर आ रही है। एग्जिट पोल करने वाली तीन बड़ी एजेंसियों ने तो भाजपा की प्रचंड जीत का दावा कर चौंका दिया है।
यहां सवाल यह उठता है कि यदि भाजपा फिर से सरकार बनाने में सफल होती है, तो वे कौन से मुद्दे थे, जिन्होंने पार्टी को फिर से काबिज कराया? क्या प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भारी पड़े अथवा मोदी मैजिक या शाह नड्डा की रणनीति काम आई।
यदि भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और संगठन की बात करें तो पाएंगे कि इसमें हारी हुई सीटों पर आचार संहिता के काफी पहले प्रत्याशी घोषित करना, सात सांसदों (तीन केंद्रीय मंत्रियों) और राष्ट्रीय महासचिव को प्रत्याशी बनाने की रणनीति तो शामिल है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 15 ताबड़तोड़ रैलियां, रोड शो और गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा के चुनावी मैनेजमेंट भी सफल होने के लिए अग्रणी भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं।
हारी हुई सीटों की पहले प्लानिंग
हारी हुई सीटों पर चुनाव के बहुत पहले उम्मीदवार घोषित कर दिए जाने से जहां तैयारी का भरपूर मौका मिला। वहीं, असंतोष को भी समय रहते शांत कर लिया गया। सात सांसदों, जिनमें तीन केंद्रीय मंत्री शामिल है और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधानसभा चुनाव लड़ने से उस क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में जोश तो आया ही, असंतोष के लिए भी स्थान नहीं मिला। यह कदम क्षेत्र में उनके प्रभाव का ‘लिटमस टेस्ट’ भी माना गया और उन्होंने जमकर मेहनत भी की।
चुनाव से पहले अमित शाह रहे एक्टिव
कर्नाटक चुनाव में बुरी तरह मात खाई भाजपा को अमित शाह के चुनाव पूर्व कई दौरों व बैठकों के माध्यम से संगठनात्मक मजबूती प्रदान करने का सकारात्मक संदेश गया। मध्य प्रदेश के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव के काम को स्मूथ करने में भी मदद मिली। चुनावी कैंपेन को टॉप गीयर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोरदार रैलियों, रोड शो और ‘मोदी गारंटी’ ने प्रदान कर दिया।
2019 में चला था मोदी का मैजिक
जिन राज्यों में चुनाव हुए हैं, उनमें से चार में 2018 में बीजेपी हार चुकी थी। लेकिन, मोदी मैजिक के चलते 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुत बेहतर प्रदर्शन किया था। अर्थात, उस समय यह संदेश गया था प्रादेशिक नेताओं के मुकाबले जनता को मोदी पर ज्यादा भरोसा है। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के हिंदुत्व के स्पष्ट एजेंडे और अगले साल राम मंदिर के लोकार्पण किए जाने के चलते विपक्ष के जातीय जनगणना का कार्ड फेल हुआ। दूसरी ओर मोदी के प्रभाव से प्रदेश सरकार के मंत्रियों और नेताओं के कथित भ्रष्टाचार को ढकने में भी मदद मिली।
लेकिन , महिलाओं, बच्चियों, किसान और विद्यार्थियों संबंधी ढेर सारी योजनाओं को लागू करवाने वाले मध्य भारत के सबसे बड़े क्राउड पुलर नेता शिवराज सिंह चौहान की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने चुनाव के दौरान प्रदेश में करीब 165 दौरे तो किए ही। बल्कि, उसके पूर्व जन दर्शन, लाड़ली बहना सम्मेलन और कृषक सम्मेलन के बहाने न केवल भाजपा सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाया, बल्कि महिलाओं से गजब का कनेक्शन जोड़ लिया।
राजनीतिक विश्लेषक उनकी लाडली बहना योजना को इस चुनाव का सबसे बड़ा फैक्टर मानते हैं। चुनाव के पहले लाडली बहना योजना की 6 किस्तें डल जाने से प्रदेश की महिलाओं को कांग्रेस की नारी सम्मान योजना से भरोसा जाता रहा।
एग्जिट पोल के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसी भी प्रकार की कांटे की टक्कर नहीं थी। लाडली बहन ने सारे कांटे निकाल दिए। उन्होंने बेहद विनम्रता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और कार्यकर्ताओं को भी श्रेय दिया। लेकिन चौहान का ‘लाडली बहना’ का प्रमुखता से जिक्र यह सिद्ध करता है कि उनकी यह योजना इस चुनावी खेल का गेम चेंजर साबित हुई है। चुनावी कैंपेन के दूसरे हाफ में नरेंद्र मोदी समेत सभी प्रमुख नेताओं ने भी लाडली बहना का प्रमुखता से जिक्र किया। उन्होंने यह भी बताया कि यदि कांग्रेस आ गई तो समस्त योजनाएं बंद हो जाएंगी।
वरिष्ठ पत्रकार जय राम शुक्ल ने नवभारत टाइम्स.कॉम से फोन पर बात करते हुए कहा कि एग्जिट पोल के नतीजे में भाजपा के सरकार बनने का सबसे बड़ा श्रेय मामा अर्थात शिवराज सिंह चौहान को देते हैं। उन्होंने कहा कि 2023 के विधानसभा चुनाव के ‘मैन ऑफ द मैच’ शिवराज सिंह चौहान है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान ने फीनिक्स पक्षी की राख जैसा जिंदा हो जाऊंगा, जैसे बयान देकर अपने कॉन्फिडेंस को पूर्व में ही दर्शा दिया था। उन्होंने कहा कि चौहान ना केवल मध्य प्रदेश में बल्कि पूरे देश में लोअर मिडिल क्लास के स्थापित लीडर हैं। उन्होंने कहा कि सात सांसदों के विधानसभा चुनाव लड़ने और हारी हुई सीटों पर पहले प्रत्याशी घोषित करने की रणनीति भी सफल प्रतीत हो रही है।
शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में मिडिल क्लास लोगों के बीच में स्थापित नेता हैं। एमपी चुनाव में मैन ऑफ द मैच वही हैं।
जयराम शुक्ल, वरिष्ठ पत्रकार
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार और चिंतक रमन रावल ने कहा कि अब हमें यह मान लेना चाहिए कि मप्र में भाजपा की विजय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी लाड़ली बहना योजना का जबरदस्त योगदान रहा। यही वजह है कि चुनाव के शुरुआती दौर में जब भाजपा पिछड़ती दिख रही थी, यहां तक की खुद शिवराज बैक फुट पर चले गए थे तो हाईकमान भी उन्हें कम तवज्जो दे रहा था। जैसे,जैसे माहौल बना तो नजर आने लगा कि शिवराज के प्रति बहनों का रुझान है तो उन्हें तत्काल मैदान सौंप दिया गया।
बीजेपी ने समय रहते शिवराज सिंह चौहान को प्रथामिकता देना शुरू कर दिया। शायद उसी का यह नतीजा है।
रमन रावल, वरिष्ठ पत्रकार
उन्होंने कहा कि ये चुनाव शिवराज के लिए भी उतने ही अहम थे, जितने भाजपा हाईकमान के लिए। इसलिए बिना समय गंवाए शिवराज को प्राथमिकता दी जाने लगी। ऐसे में मप्र में भाजपा की सत्ता बरकरार रहने के श्रेय से उन्हें वंचित भी नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं, तो आगे भी उनका महत्व बना रहेगा।
Add Comment