बीकानेर, 30 अक्टूबर : स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर के अनुसंधान निदेशालय द्वारा रबी 2023-24 की अनुसंधान सलाहकार समिति की दो दिवसीय बैठक कुलपति डॉ. अरुण कुमार की अध्यक्षता में सोमवार से प्रारम्भ हुई। यह जानकारी देते हुए निदेशक अनुसंधान, डॉ. पी.एस. शेखावत ने बताया कि बैठक में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद लखनऊ के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह थे। उन्होंने कहा कि करनाल द्वारा विकसित गेंहूँ व सरसों की लवण सहिष्णु क़िस्मों को संभाग के किसानों में प्रचलन में लाने की आवश्यकता है। उन्होंने जौ का क्षेत्रफल बढ़ाने का सुझाव दिया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति अरुण कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय की सभी इकाईयों पर छोटे रूप में ड्रैगन फ्रूट का बगीचा लगाकर उसका आर्थिक विश्लेषण करवाना चाहिए। उन्होनें खजूर के तुड़ाई उपरांत प्रबंधन एवं मूल्य संवर्धन की दिशा में किसानों को प्रशिक्षित करने का सुझाव दिया । बैठक में श्री कैलाश चौधरी, संयुक्त निदेशक कृषि तथा प्रगतिशील किसान नवीन तंवर व पूर्णाराम विशिष्ट अतिथि थे। डॉ. पी.एस. शेखावत ने बैठक में बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों की कुछ प्रमुख समस्याओं जैसे सरसों एवं गेंहूँ में औरोबंकी खरपतवार, इसबगोल में जड़ जलन, खेजड़ी के पेडों में फल कम आना, चने व गेंहूँ की उष्णता एवं सूखा रोधी किस्मों का विकास आदि पर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। कृषि अनुसंधान केंद्र श्रीगंगानगर के क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान, डॉ विजय प्रकाश ने बताया कि श्रीगंगानगर केंद्र द्वारा विकसित चने की क़िस्मों का क्षेत्रफल बढ़ा है तथा उन किस्मों के बीजों की मांग निरन्तर बढ़ रही है। अनुसंधान केंद्र बीकानेर का प्रगति प्रतिवेदन डॉ. राजेंद्र सिंह राठौड़ ने प्रस्तुत करते हुए बताया कि बीकानेर में लो टनल में खीरा एवं तरबूज की खेती लोकप्रिय हो रही है। बैठक मे कृषि संकाय अध्यक्ष डॉ. आई.पी. सिंह, निदेशक कृषि प्रसार डॉ. सुभाष चन्द्र, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय चांददगोठी डॉ. एन.के. शर्मा, डॉ. एस.आर. भूनिया, डॉ. ए.के. शर्मा तथा डॉ. दाताराम ने किसानों के दिये गए सुझावों पर कृषि में डॉक्टरेट की उपाधि के दौरान विद्यार्थियों से कराये जाने वाले अनुसंधान कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की। कृषि प्रबंधन संस्थान की डॉ. अमिता शर्मा ने मरू शक्ति के उत्पादों के व्यवसायीकरण एवं डॉ. अदिति माथुर ने पदमपुर के किन्नो उत्पादकों को उत्पाद का मूल्य संवर्धन कर अधिक मूल्य दिलवाने के लिए तकनीकी रूप रेखा प्रस्तुत की। डॉ. बी.एस. नाथावत ने कार्यक्रम का संचालन किया।
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