DEFENCE / PARAMILITARY / NATIONAL & INTERNATIONAL SECURITY AGENCY / FOREIGN AFFAIRS / MILITARY AFFAIRS

कभी मुंबई के टॉप क्राइम रिपोर्टर थे संजय राउत:दाऊद इब्राहिम को लगा चुके फटकार, 29 साल की उम्र में बने थे संपादक

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

एक हजार करोड़ से ज्यादा के पात्रा चॉल घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शिवसेना के सांसद संजय राउत गिरफ्तार हो चुके हैं। अरेस्ट करने से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तीन टीमों ने उनके तीन ठिकानों पर रेड भी की थी। राउत को उनके मैत्री बंगले से हिरासत में लिया गया और ED ऑफिस लाकर की गई 8 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। राउत आज महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा नाम हैं, लेकिन 80 के दशक में वे मुंबई में क्राइम रिपोर्टिंग करते थे।

लोकप्रभा पत्रिका से करियर की शुरुआत करने वाले संजय राउत को अंडरवर्ल्ड रिपोर्टिंग का एक्सपर्ट माना जाता था। दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन और अंडरवर्ल्ड पर लिखी उनकी रिपोर्ट्स की मुंबई में खूब चर्चा हुआ करती थी। रिपोर्टिंग की दुनिया में राउत का नाम बड़ा होता गया और वे बालासाहेब ठाकरे की नजरों में आ गए।

राउत का मातोश्री पर आना-जाना बढ़ा और शिवसेना प्रमुख ने सिर्फ 29 साल के राउत को शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ का कार्यकारी संपादक बनने का ऑफर दे डाला। शिवसेना प्रमुख के इस ऑफर को राउत ठुकरा नहीं सके और पिछले लगभग 30 साल से वे इसके कार्यकारी संपादक हैं।

बालासाहेब के जाने के बाद वे उद्धव ठाकरे के करीब आए। 2019 में जिस तरह से उद्धव ने कांग्रेस और NCP के साथ मिलकर सरकार बनाई, उसके बाद से उन्हें शिवसेना का ‘थिंक टैंक’ कहा जाने लगा।

दाऊद इब्राहिम को लगाई थी फटकार
राउत के लिए कहा जाता है कि वे क्राइम रिपोर्टर होने के बावजूद कभी पुलिस चौकी नहीं गए और न ही कभी किसी खबर को लेकर पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की। क्राइम रिपोर्टिंग करने वाले राउत की खबरों का सूत्रधार हुआ करता था दाऊद।

चर्चा यह भी है कि दाऊद इब्राहिम कई बार संजय राउत को खबरें देने के लिए एक्सप्रेस टॉवर आया करता था। दोनों यहां की कैंटीन में बैठकर बातचीत किया करते थे। यह बात 1993 ब्लास्ट में उसका नाम आने से कई साल पहले की है।

16 जनवरी 2020 को पुणे में एक कार्यक्रम में संजय राउत ने खुद यह कबूला था कि दाऊद से उनकी मुलाकात हुई थी। उन्होंने कहा था, ‘दाऊद इब्राहिम को मैंने देखा था, उससे बात भी की है। एक बार तो मैंने उसे फटकार भी लगाई थी।’

बालासाहेब के विचारों को जनता तक पहुंचाने का बड़ा श्रेय संजय राउत को जाता है।

बालासाहेब के विचारों को जनता तक पहुंचाने का बड़ा श्रेय संजय राउत को जाता है।

बालासाहेब की आवाज बने संजय राउत
सामना से जुड़ने के बाद संजय राउत ने अखबार में कई बड़े बदलाव किये। संपादकीय में ऐसी बातें छपने लगीं, जो शिवसेना की विचारधारा से जुड़ी हुई थीं और धीरे-धीरे यह अखबार बालासाहेब ठाकरे की आवाज बन गया।

वे संपादकीय को बाल ठाकरे की भाषा शैली में लिखने लगे। संपादकीय तो राउत लिखते थे, लेकिन उसे पढ़ने के बाद लोग समझते थे कि बाल ठाकरे ही लिख रहे हैं। सामना में यह प्रयोग काफी लोकप्रिय हुआ और आज भी अखबार के संपादकीय को शिवसेना का ऑफिशियल वर्जन माना जाता है।

संजय राउत, शिवसेना और अन्य दलों के बीच एक कड़ी के रूप में माने जाते रहे हैं।

संजय राउत, शिवसेना और अन्य दलों के बीच एक कड़ी के रूप में माने जाते रहे हैं।

बाल ठाकरे ने करवाई राजनीति में एंट्री
सामना से जुड़ने के बाद राउत बालासाहेब के बेहद करीब हुए और धीरे-धीरे शिवसेना की अंदरूनी पॉलिटिक्स का हिस्सा बन गए। हालांकि, आंबेडकर कालेज से B.Tech की पढ़ाई करने वाले राउत छात्र जीवन से ही शिवसेना की स्टूडेंट यूनिट में सक्रिय थे।

राजनीति में उनकी सोच और दूरदर्शिता को देखते हुए बाल ठाकरे ने उन्हें शिवसेना का ‘उप नेता’ बना दिया। इसके बाद पार्टी बड़ी हुई और वे पहली बार 2004 में शिवसेना के टिकट से राज्यसभा पहुंचे। यहां वे शिवसेना के लीडर भी थे। राउत संसदीय और गृह विभाग से जुड़ी कमेटी के मेंबर भी रहे हैं। 2005 से 2009 के बीच राउत सिविल एविएशन मंत्रालय की कंसल्टेंसी कमेटी के सदस्य भी थे।

राउत को पॉलिटिक्स में लाने वाले भी बालासाहेब ठाकरे थे। वे लगातार चार बार से शिवसेना के सांसद हैं।

राउत को पॉलिटिक्स में लाने वाले भी बालासाहेब ठाकरे थे। वे लगातार चार बार से शिवसेना के सांसद हैं।

महाविकास अघाड़ी के निर्माण में राउत की बड़ी भूमिका
राउत दूसरी बार 2010, फिर 2016 में और अब 2022 में लगातार शिवसेना की ओर से राज्यसभा के सांसद हैं। लगातार चार बार सांसद रह चुके संजय सक्रिय तौर पर 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद एक्टिव हुए। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA), यानी शिवसेना, कांग्रेस और NCP की संयुक्त सरकार बनाने में संजय राउत का बड़ा हाथ था।

शिवसेना में संजय राउत ही एक ऐसे व्यक्ति थे, जिनकी महाराष्ट्र की लगभग हर पार्टी में अच्छी पैठ थी। वे NCP चीफ शरद पवार के बेहद करीब माने जाते हैं और यही वजह है कि MVA निर्माण का पूरा जिमा उद्धव ठाकरे ने संजय राउत को ही दे दिया था। उद्धव ठाकरे के CM रहने के दौरान राउत तीनों दलों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करते रहे।

शिवसेना में हुई बगावत के बावजूद राउत लगातार उद्धव ठाकरे के साथ खड़े रहे।

शिवसेना में हुई बगावत के बावजूद राउत लगातार उद्धव ठाकरे के साथ खड़े रहे।

बगावत के बाद भी नहीं छोड़ा उद्धव ठाकरे का दामन
राउत को मातोश्री, यानी ठाकरे परिवार का बेहद करीब माना जाता है। शिवसेना में हुई बगावत के बाद भी राउत ने उद्धव ठाकरे का साथ नहीं छोड़ा ओर उनकी ओर से मोर्चा संभाले रखा। वे मुखर होकर अपनी बात रखते रहे और शिंदे के साथ गए 40 विधायकों को लगातार अपनी ओर लाने का प्रयास करते रहे।

हालांकि, शिंदे को BJP का साथ मिला और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। राउत ने सोशल मीडिया में कविताएं और फिल्मी डायलॉग शेयर कर लगातार अपने विरोधियों को निशाना बनाया है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!