हवा का रुख कश्मीर में BJP पहली जीत के करीब:लाल चौक शांत, आर्टिकल-370 पुराने दिनों की बात, INDIA ब्लॉक टूटने से BJP को फायदा
श्रीनगर
‘जम्मू-कश्मीर में लोग आर्टिकल-370 की बात नहीं कर रहे हैं। लोग करियर की बात कर रहे हैं। अपना फ्यूचर देख रहे हैं। 370 तो अब कोई मुद्दा ही नहीं है।’
श्रीनगर से निकलने वाले अंग्रेजी अखबार ब्राइटर कश्मीर के एडिटर इन चीफ फारूक वानी लाल चौक पर बने अपने ऑफिस में बैठकर ये बात कहते हैं। भारत विरोधी प्रदर्शनों का सेंटर पॉइंट रहा लाल चौक अब शांत है, किसी आम चौराहे की तरह।
फारूक वानी आर्टिकल-370 को खत्म हो चुका मुद्दा क्यों कह रहे हैं, इसका जवाब श्रीनगर से करीब 75 किमी दूर अनंतनाग के उत्तरासो गांव में रहने वाले अकरम भट्ट देते हैं। अकरम कहते हैं, ‘370 हटने के बाद बहुत फायदा हुआ है। पिछले 70 साल तबाह हो गए थे। कश्मीर बर्बाद हो गया। मोदी साहब के आने के बाद से सुधार आया है। बहुत डेवलपमेंट हुआ है यहां।’
फोटो श्रीनगर की डल झील की है जहां टूरिस्ट की आवाजाही बढ़ गई है। आर्टिकल-370 हटने के बाद 2023 में रिकॉर्ड 2 करोड़ टूरिस्ट कश्मीर पहुंचे हैं। ये बीते 77 साल में सबसे ज्यादा हैं।
जम्मू-कश्मीर में बीते 5 साल में सियासी नजरिए से अहम 4 बदलाव हुए हैं।
1. आर्टिकल-370 का हटाया जाना।
2. स्पेशल स्टेटस हासिल राज्य को 2 केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा जाना।
3. 6 लोकसभा सीट वाले जम्मू-कश्मीर में 5 सीटें रह जाना।
4. परिसीमन के बाद 5 सीटों का एरिया बदल जाना।
जम्मू-कश्मीर में 19 अप्रैल से 20 मई तक 5 फेज में वोटिंग होनी है। हर फेज में एक लोकसभा सीट पर चुनाव होंगे। कश्मीर में हुए बदलावों का आम लोगों पर क्या असर हुआ, इसे परखने वाला ये पहला चुनाव है।
टीम जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर, अनंतनाग समेत दूसरे शहरों में पहुंची। पॉलिटिकल एक्सपर्ट, राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ताओं और आम लोगों से बात कर समझा कि इस बार हवा का रुख क्या है। इस दौरान महसूस हुआ कि कश्मीर के कई इलाकों में लोग सियासी मसलों पर बात तो करते हैं, लेकिन कैमरे पर नहीं दिखना चाहते।
कभी पत्थरबाजी और प्रदर्शनों का सेंटर पॉइंट रहा लाल चौक अब श्रीनगर का फेवरेट टूरिस्ट स्पॉट है। लोग यहां फैमिली के साथ वक्त बिताने आते हैं।
5 पॉइंट्स में समझिए जम्मू-कश्मीर में बन रहे सियासी समीकरण
1. जम्मू-कश्मीर की 5 सीटों में से BJP को 2 से 3 सीटें मिल सकती हैं। जम्मू सीट पर पार्टी आसानी से जीत सकती है। उधमपुर और अनंतनाग-राजौरी सीट पर फाइट है। BJP पहली बार कश्मीर में एक सीट जीत सकती है।
2. जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलायंस को 2 से 3 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, नेशनल कॉन्फ्रेंस को एक सीट पर नुकसान हो सकता है, क्योंकि महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, यानी PDP गठबंधन से अलग कश्मीर की तीनों सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
3. PDP ने तीनों सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है, लेकिन उसे एक भी सीट मिलने के आसार कम हैं। अनंतनाग सीट पर PDP का वोट शेयर बढ़ सकता है।
4. उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस कश्मीर की तीनों सीटों पर मजबूत है। पार्टी का प्लस पॉइंट है कि इसके नेताओं ने पार्टी नहीं बदली है। कांग्रेस और BJP से कई बड़े नेता पाला बदल चुके हैं। ऐसे में घाटी की 3 सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का दावा मजबूत है।
5. आर्टिकल-370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में कई पार्टियां उभरकर सामने आईं हैं। अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी, कांग्रेस से अलग हुए गुलाम नबी आजाद की DPAP, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस इसमें शामिल हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि ये पार्टियां जीतने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन जीत-हार में बड़ा फैक्टर बन सकती हैं।
जम्मू-कश्मीर में अभी 10 पार्टियां एक्टिव हैं। मुकाबला BJP और INDIA ब्लॉक के बीच है। इस गठबंधन में 2020 में बने गुपकार अलायंस में शामिल PDP, नेशनल कॉन्फ्रेंस और CPI-M भी हैं, लेकिन जम्मू और कश्मीर में इन पार्टियों का सपोर्ट अलग-अलग है।
जम्मू की दो सीटों पर BJP और INDIA ब्लॉक में मुकाबला है। दोनों सीटों पर कांग्रेस ने कैंडिडेट उतारे हैं। इन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस और CPI (M) का समर्थन है। कश्मीर में अलग चुनाव लड़ रही PDP भी यहां साथ हैं। अल्ताफ बुखारी की जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी ने कैंडिडेट नहीं उतारा है, लेकिन चुनाव में एक्टिव है।
जम्मू के मुकाबले कश्मीर की तीनों सीटों पर पार्टियां और गठबंधन उलझे हुए हैं। कश्मीर में BJP और कांग्रेस की स्थिति ही साफ है। BJP अकेले तीनों सीटों पर कैंडिडेट उतारेगी। वहीं, तीनों सीटों पर कांग्रेस से कोई उम्मीदवार नहीं होगा।
कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस को सपोर्ट कर रही है। PDP तीनों सीटों पर कैंडिडेट उतारना चाह रही थी, लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस इसके लिए राजी नहीं हुई। 3 अप्रैल को PDP ने साफ कर दिया कि कश्मीर की तीनों सीटों पर उसके प्रत्याशी उतरेंगे। PDP चीफ महबूबा मुफ्ती भी एक सीट से चुनाव लड़ सकती हैं।
उधमपुर सीट पर BJP की हैट्रिक लगना आसान नहीं
जम्मू की उधमपुर सीट पर पिछले दो चुनाव से BJP जीत रही है। 2019 में पार्टी के डॉ. जितेंद्र सिंह ने 3.57 लाख वोट से चुनाव जीता था। उन्हें करीब 62% वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के विक्रमादित्य और तीसरे नंबर पर चौधरी लाल सिंह थे। लाल सिंह पहले BJP में थे, फिर 2018 में BJP छोड़कर डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी बना ली थी। इसी पार्टी से 2019 में चुनाव लड़ा।
इस बार BJP के डॉ. जितेंद्र सिंह को चौधरी लाल सिंह से चुनौती मिल रही है। उन्हें कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। चौधरी लाल सिंह जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-PDP की सरकार में शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। 2004 और 2009 में सांसद भी रहे। तब वे कांग्रेस में थे। 2014 में कांग्रेस ने लाल सिंह की जगह गुलाम नबी आजाद को टिकट दिया था। इससे नाराज होकर चौधरी लाल सिंह BJP में शामिल हो गए थे।
2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वे फिर कांग्रेस में आ गए। पिछली बार उधमपुर सीट पर सभी पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इस बार चौधरी लाल सिंह को INDIA ब्लॉक का सपोर्ट है। ऐसे में उधमपुर सीट पर कड़ा मुकाबला माना जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर के सीनियर जर्नलिस्ट सैयद तज्जमुल कहते हैं, ‘चौधरी लाल सिंह ने आखिरी बार कांग्रेस में कमबैक किया है। उन्हें विधायक, सांसद, मंत्री रहने का अनुभव है।’
हालांकि, कश्मीर के एक पॉलिटिकल एक्सपर्ट उधमपुर सीट पर BJP और INDIA ब्लॉक के बीच मुकाबले को बहुत करीबी मानते हैं। उन्हें कई बार धमकी मिल चुकी है, इसलिए वे अपना नाम सामने नहीं लाना चाहते। वे कहते हैं कि उधमपुर सीट पर कुछ दिन पहले तक मुकाबला 50-50 का था। जम्मू में दूसरे राज्यों के लोग हावी हो रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों में नाराजगी है।
इसके अलावा कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, PDP और CPI (M) के साथ चुनाव लड़ने से मुकाबला नजदीकी है। इन पार्टियों का अपना वोट बैंक है। गुलाम नबी आजाद की पार्टी ने पूर्व मंत्री गुलाम मोहम्मद सरूरी को टिकट दिया है। वे INDIA ब्लॉक का वोट काटेंगे। इससे BJP को उधमपुर सीट पर 60-40 की बढ़त मिल गई है।
ब्राइटर कश्मीर के एडिटर इन चीफ फारूक वानी कहते हैं कि जम्मू में BJP का स्ट्रॉन्ग होल्ड है। पार्टी दोनों सीटें जीत सकती है। चौधरी लाल सिंह कुछ डैमेज कर सकते हैं, पर जीत BJP को ही मिलेगी।’
जम्मू में कांग्रेस की स्थिति पर सीनियर जर्नलिस्ट सैयद तज्जमुल कहते हैं, ‘कांग्रेस का बैनर बहुत बड़ा है। दिक्कत ये है कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और बाकी स्टार कैंपेनर ने एक बार भी जम्मू में रैली नहीं की। उधर, प्रधानमंत्री के कई प्रोग्राम हो चुके हैं। इसलिए कांग्रेस कमजोर नजर आती है।’
कश्मीर में BJP को पहली बार खाता खुलने की उम्मीद
जम्मू-कश्मीर के सीनियर जर्नलिस्ट सैयद तज्जमुल कहते हैं, ‘अनंतनाग-राजौरी सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। इस सीट पर BJP भी पूरी तैयारी में जुटी है, लेकिन देखना होगा उसका कैंडिडेट कौन होगा।’
‘नेशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। PDP चीफ महबूबा मुफ्ती अनंतनाग से ही हैं। अगर वे चुनाव लड़ती हैं, तो एक मेजॉरिटी का वोट कट गया। माइनॉरिटी का वोट BJP को मिला तो आप उसे मुकाबले से बाहर नहीं रख सकते। हालांकि, मियां अल्ताफ के आने के बाद BJP के पक्ष में बन रहा माहौल कमजोर पड़ा है।’
सीनियर जर्नलिस्ट फारूक वानी कहते हैं, ‘अनंतनाग में परिसीमन हुआ है। अब राजौरी-पुंछ इसमें शामिल हैं। यहां गुज्जर-बकरवाल आबादी हैं। इनसे BJP को फायदा हो सकता है। फिर भी नेशनल कॉन्फ्रेंस यहां ज्यादा स्ट्रॉन्ग है।’
हालांकि, अनंतनाग सीट से पूर्व CM गुलाम नबी आजाद भी चुनाव लड़ रहे हैं। क्या इससे BJP को फायदा मिलेगा?
नाम उजागर न करने की शर्त पर एक पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस के कैंडिडेट मियां अल्ताफ को टक्कर देने के लिए आजाद को उतारा गया है।’
‘उम्मीद है कि महबूबा मुफ्ती भी इसी सीट से लड़ें। इससे मियां अल्ताफ के वोट कम हो जाएंगे। इससे पहली बार BJP घाटी में जीत सकती है। इस नए समीकरण से BJP को फायदा मिलेगा।’
अब पढ़िए पॉलिटिकल पार्टियां क्या कह रही हैं
BJP: जम्मू में जीत की हैट्रिक, कश्मीर में पहली बार खिलेगा कमल
श्रीनगर के जवाहरबाग में BJP का ऑफिस है। ऑफिस के आसपास सिक्योरिटी के लिहाज से सेना के जवान तैनात हैं। पूरी चेकिंग के बाद ही BJP ऑफिस में एंट्री मिलती है। यहां मिले BJP प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर कहते हैं, ‘BJP जम्मू-कश्मीर की पांचों सीट पर चुनाव लड़ रही है। जम्मू में उधमपुर और जम्मू सीटें हम जीतते आ रहे हैं। वहां इस बार हैट्रिक होगी। पहली बार कश्मीर में भी जीत दिखाई दे रही है।’
‘खासकर कश्मीर के लोग PM नरेंद्र मोदी को चाहते हैं। उन्होंने जो काम किए हैं, उससे कश्मीर के लोगों का मन और सोच बदली है। कश्मीरी अब पत्थरबाजी को सपोर्ट नहीं करते। वे शांति चाहते हैं। पहले जहां आतंकी होते थे, सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक की लाइफ होती थी, ग्रेनेड धमाके होते थे, वहां अब नाइट लाइफ भी चल रही है। 24 घंटे लोग आ-जा सकते हैं।’
जम्मू-कश्मीर में BJP का मुकाबला किस पार्टी से है
अल्ताफ ठाकुर जवाब देते हैं, ‘2019 के बाद यहां कई पार्टियां हैं। अब वो बात नहीं रही कि सिर्फ नेशनल कॉन्फ्रेंस हुआ करती थी। यहां की खानदानी पार्टियों ने राज्य को होस्टेज बना लिया था। दूसरों को इलेक्शन में नहीं आने देते थे। एक तरह से जागीरदारी सिस्टम चलता था। 2019 के बाद ये सब खत्म हो गया। BJP के सामने कांग्रेस तो कहीं नहीं है। कश्मीर में कांग्रेस से कोई मुकाबला नहीं है।’
नेशनल कॉन्फ्रेंस: 2019 के बाद लोगों में गुस्सा है, पांचों सीट जीतेंगे
श्रीनगर में रेडियो कश्मीर के ऑफिस से कुछ कदम दूर पर नेशनल कॉन्फ्रेंस का ऑफिस है। एंट्री पॉइंट पर आर्मी के जवान तैनात हैं। तलाशी के बाद ऑफिस की दूसरी मंजिल पर भेजते हैं। यहां NC के चीफ स्पोक्सपर्सन तनवीर सादिक मिले।
तनवीर सादिक कहते हैं, ‘उम्मीद है कि हमारा अलायंस जम्मू-कश्मीर की पांचों सीटें जीतेगा। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन किया गया कि BJP को फायदा होगा। उससे कुछ फायदा नहीं हुआ तो अलग-अलग पॉलिटिकल पार्टियां बनाई गईं। इससे भी फायदा नहीं हुआ। वे जानते हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस से लड़ नहीं सकते।’
‘BJP की A,B,C पार्टी हैं, चाहे आजाद साहब की हो या अल्ताफ बुखारी साहब की हो या शहजाद लोन साहब की पार्टी हो, इन सभी को एक साथ रखा गया है। इसके बावजूद वे श्योर नहीं हैं कि लोग उन्हें वोट देंगे। हमें लगता है कि लोग खुद फैसला करेंगे कि उन्हें दिल्ली के नुमाइंदे चाहिए या फिर उनके अपने नुमाइंदे।
कांग्रेस: BJP कश्मीर वर्सेज जम्मू कर रही है, पर कामयाब नहीं हुई
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट जीएन मोंगा कहते हैं, ‘जम्मू की दो सीटों पर BJP कश्मीर वर्सेज जम्मू कर रही है। इसमें वो आज तक कामयाब नहीं हुए। जम्मू वालों को BJP से जितनी नाराजगी है, उसे देखते हुए भरोसा है कि जम्मू की दोनों सीटें हम जीत जाएंगे। कश्मीर में भी हमारा अलांयस मजबूत है।’
‘आर्टिकल-370 पर BJP कश्मीर में एक बात करती है और बाहर जाकर कुछ और कहती है। हमारा स्टेटहुड छीना गया। हमारी जॉब और जमीन सेफ नहीं है।’
जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी: जम्मू नहीं, सिर्फ कश्मीर में चुनाव लड़ेंगे
अल्ताफ बुखारी 2020 में बनी जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष हैं। पेशे से बिजनेसमैन अल्ताफ अपनी पार्टी बनाने से पहले PDP में थे। जम्मू-कश्मीर के वित्त और PWD मंत्री रह चुके हैं। इन्हें जेड प्लस सिक्योरिटी मिली है।
अल्ताफ बुखारी कहते हैं, ‘हम जम्मू में चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। कश्मीर घाटी में ही फोकस कर रहे हैं। इसलिए नेशनल कॉन्फ्रेंस कहती हैं कि हम BJP को सपोर्ट करते हैं। BJP पाकिस्तान की पार्टी होती तो मैं शर्मिंदा होता। BJP से रिश्ता होना मुझे गलत नहीं लगता।’
CPI (M): वोट न बंटे, इसलिए कैंडिडेट नहीं उतार रहे
श्रीनगर में गुपकार रोड पर CPI (M) का ऑफिस है। आर्टिकल-370 हटने के बाद बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस, PDP और CPI (M) ने गुपकार अलायंस बनाया था। CPI (M) के सीनियर लीडर मोहम्मद यूसुफ तारिगामी कहते हैं, ‘गुपकार कभी भी इलेक्टोरल अलायंस नहीं था। गुपकार INDIA ब्लॉक के साथ जुड़ा है।’
PDP: कश्मीर में BJP नहीं जीतेगी, ये क्लियर है
जम्मू-कश्मीर के हेल्थ मिनिस्टर रह चुके PDP नेता अब्दुल गफ्फार सोफी कहते हैं, इस समय लोगों के मन में BJP को लेकर गुस्सा है। PDP कश्मीर में कितनी सीटें जीतेगी, इस पर वे कोई दावा नहीं कर सके। ये जरूर कहा कि जम्मू में तो PDP INDIA ब्लॉक के साथ है। कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस से बात साफ नहीं हो पाई है। इसलिए उम्मीद है कि हम कश्मीर की 3 सीटों पर कैंडिडेट उतारेंगे।
महबूबा मुफ्ती के चुनाव लड़ने पर अब्दुल गफ्फार सोफी कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि महबूबा मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी सीट से इलेक्शन लड़ेंगी। पार्टी की यहां मजबूत पकड़ है। इस बात पर भी संशय नहीं है कि कश्मीर की तीनों सीटों में BJP का नाम नहीं आएगा।’
अनंतनाग सीट पर हुए परिसीमन पर सोफी कहते हैं, ‘जानबूझकर राजौरी-पुंछ को अनंतनाग सीट में जोड़ दिया गया। राजौरी-पुंछ तो 5-6 महीने कश्मीर से कटा रहता है। यहां जो सांसद बनेगा, वो लोगों से कैसे मिलेगा। परिसीमन आयोग का फैसला गलत है। इससे अच्छा होता कि राजौरी-पुंछ को अलग सीट बना देते। इससे जम्मू डिवीजन में एक लोकसभा सीट बढ़ जाती और लोगों को अपना प्रतिनिधि मिल जाता।’
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