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कश्‍मीर में साजिश के लिए तुर्की बना ISI का नया गढ़, एर्दोगान- इमरान खान की जोड़ी ने बढ़ाई टेंशन

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ISI Turkey Kashmir India: पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी ISI ने भारत विरोधी गतिविधियों को चलाने के लिए तुर्की को अब अपना नया ठिकाना बना लिया है। इससे पहले आईएसआई कश्‍मीर में खुफिया अभियान को चलाने के लिए दुबई और यूएई का इस्‍तेमाल करती थी

अंकारा/इस्‍लामाबादकश्‍मीर में आतंकवादी हमले में लगातार मुंह की खा रहे पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अब तुर्की के सहारे भारत के खिलाफ साजिश रचने के लिए एक नई चाल चली है। तुर्की अब जम्‍मू- कश्‍मीर में प्रभाव बढ़ाने के लिए नया दुबई बनकर उभरा है। इस ताजा घटनाक्रम से भारतीय खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। पाकिस्‍तान परस्‍त तुर्की के राष्‍ट्रपति एर्दोगान की मदद से आईएसआई भारतीय मुसलमानों में अपनी पैठ बढ़ाना चाह रहा है और भारत की विदेश नीति के बारे में संदेह पैदा करना चाहता है। भारत की खुफिया रिपोर्टो में आगाह किया गया है कि तुर्की भारत विरोधी गतिविधियों का नया केंद्र बनकर उभरा है जिसे आईएसआई बढ़ावा दे रही है। इससे पहले आईएसआई यूएई और सऊदी अरब के जरिए भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देती थी। यूएई और सऊदी अरब के भारत के साथ रिश्‍ते मजबूत करने के बाद अब आईएसआई को तुर्की को नया ठिकाना बना पड़ा है। पाकिस्‍तान की यह नीति तुर्की के एर्दोगान प्रशासन की नीत‍ि से भी मेल खाती है जो अरब दुनिया के मुसलमानों के बाहर अन्‍य देशों में मुस्लिमों के अंदर अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है।

भारतीय मुस्लिमों में अपना प्रभाव बढ़ाना चाह रहा तुर्की

मलेशिया और पाकिस्‍तान के साथ नया ‘ओआईसी’ बनाने में असफल रहने के बाद भी तुर्की का आईएसआई के साथ संबंध काफी मजबूत हो गया है। यह अब कश्‍मीर से आगे बढ़कर पूरे भारत में मुस्लिम संगठनों को समर्थन देने तक आगे बढ़ गया है। इसके तहत तुर्की सरकार और उसके अन्‍य संस्‍थान मीडिया, शैक्षिक संस्‍थानों और गैर सरकारी संगठनों के जरिए भारतीय मुस्लिमों में अपना प्रभाव बढ़ाना चाह रही है।तुर्की ने कश्‍मीरी पत्रकारों को नौकरी दी है, कश्‍मीर समेत भारत के अन्‍य हिस्‍सों में स्थित मुस्लिमों को बड़े पैमाने पर स्‍कॉलरशिप दी जा रही है। दरअसल, तुर्की और आईएसआई के बीच पिछले कुछ महीनों में खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान काफी बढ़ गया है। हाल ही में तुर्की ने इजरायल और ईरान के दो जासूसी नेटवर्क का खुलासा किया था। मोसाद और ईरान के नेटवर्क के बारे में यह प्राथमिक सूचना तुर्की को पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने दी थी।

एर्दोगान के शासन काल में ISI और एमआईटी में बढ़ी दोस्‍ती

सूत्रों के मुताबिक एक पाकिस्‍तानी जासूस पलट गया था जिसे हाल ही में आईएसआई और तुर्की की खुफिया एजेंसी एमआईटी ने मिलकर चुप करा दिया था। आतंकियों के वित्‍तपोषण की वजह से ही पाकिस्‍तान के साथ तुर्की को भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्‍ट में डाल दिया गया था। बताया जा रहा है कि एर्दोगान के शासन काल में आईएसआई और एमआईटी के बीच दोस्‍ती काफी मजबूत हो गई है। एर्दोगान और इमरान खान दोस्‍त हैं। इमरान तुर्की के मुस्लिमों के खलीफा बनने के सपने में मदद कर रहे हैं।

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