क्या अयोध्या को चारो तरफ से घेर रही ISI:आसपास के 7 जिलों में UP-ATS को मिले 15 एजेंट और स्लीपर सेल
अयोध्या
जनवरी, 2024 में अयोध्या के राममंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। PM नरेंद्र मोदी समेत देश के बड़े नेता और VVIP इकठ्ठा होंगे। हालांकि, अयोध्या के आसपास के जिलों से लगातार ISI एजेंट्स, आतंकी और स्लीपर सेल मेंबर्स की गिरफ्तारी ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।
9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद से अगस्त, 2020 में बलरामपुर से एक आतंकी, फरवरी-जुलाई और सितंबर, 2021 में लखनऊ से कुल 4 आतंकी, सितंबर, 2021 में ही प्रयागराज, रायबरेली, और बहराइच से 3 आतंकी और अप्रैल, 2022 में गोरखपुर से एक आतंकी गिरफ्तार हुआ।
ये सिलसिला रुका नहीं है। सबसे नए मामले में UP ATS ने 2 जुलाई को गोंडा से सद्दाम, 1 अगस्त को मुकीम, 16 जुलाई को रईस, 18 जुलाई को सलमान और अरमान नाम के ISI एजेंट और आतंकी गिरफ्तार किए हैं। इसी केस में 6 जुलाई को गोरखपुर से तारिक नाम का शख्स भी गिरफ्तार हुआ है।
यूपी ATS को शुरुआती छानबीन में पता चला है कि इन सभी मामलों में आतंकियों को बाबरी मस्जिद के नाम पर भड़काया गया था। सभी स्लीपर सेल की तरह ट्रेंड किए गए थे और मिशन मिलने पर ही एक्टिव होने वाले थे। सवाल यही है कि क्या अयोध्या और राम मंदिर पर आतंकी खतरा मंडरा रहा है। इन मामलों की छानबीन की, पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट…
पहला आरोपी: सद्दाम शेख
आरोप: अलकायदा, हिजबुल मुजाहिदीन और अंसार गजवातुल हिंद से कनेक्शन
सद्दाम की पत्नी बोली- मेरे पास पैसे नहीं कि उसके लिए वकील करूं
यूपी ATS ने सद्दाम को 2 जुलाई को लखनऊ से गिरफ्तार किया। इसी दिन उसके साथी रिजवान को जम्मू-कश्मीर से अरेस्ट किया गया। सद्दाम का घर गोंडा से करीब 20 किमी दूर जेल रोड पर पठानपुरवा गांव में है।
पठानपुरवा गांव में सद्दाम ने ये घर 2008 में खरीदा था। इसके लिए उसने 75 हजार रुपए दिए थे। तब वो गांव में आया ही था। इसके बाद यहीं शादी कर ली।
घर के अंदर घुसे, तो सामने एक बड़ा बरामदा है। मकान का काम बीच में रुक गया है। दीवारों पर प्लास्टर नहीं है, किचन और एक अधबना कमरा है। घर का दरवाजा खटखटाया, तो अंदर से सद्दाम की पत्नी रूबीना आईं।
रूबीना के मुताबिक, सद्दाम के गिरफ्तार होने के बाद से कोई कमाने वाला नहीं है। सद्दाम को आतंकी कहकर पकड़ा था इसलिए अब कोई हमारी मदद भी नहीं कर रहा, रिश्तेदार ताने मारते हैं। बच्चों को स्कूल में लोग परेशान करते हैं और सरकारी दुकान से राशन मिलना बंद हो गया है। डीलर कहता है कि मामला सुलझने के बाद राशन देंगे।
रूबीना ने बताया कि सद्दाम पहले हिंदू था। उसका नाम रंजीत सिंह था। बेंगलुरु में NTC कंपनी का ट्रक चलाता था। 14 जून, 2010 को हमारी शादी हुई थी। पहले सब ठीक था, लेकिन जब वो बाहर गया, तो मुझसे भी बात करना बंद कर दिया था।
हमने पूछा कि क्या सद्दाम से मिलने लखनऊ जाओगी, उसके लिए वकील करोगी? रूबीना ने जवाब दिया, ‘मेरे पास इतने पैसे नहीं कि बच्चों को ठीक से पाल सकूं, वकील कहां से करूंगी। हम किसी तरह दो वक्त के खाने का इंतजाम करते हैं। मेरे अंदर अब हिम्मत नहीं है।’
क्या आपको विश्वास है कि सद्दाम आतंकी है? इस सवाल पर रूबीना कहती हैं, ‘अगर सब कह रहे हैं तो कुछ तो किया ही होगा, ऐसे ही कोई क्यों कहेगा।’
जो परिवार का न हुआ, तो देश का क्या होगा, हमें उस पर यकीन नहीं है…
रूबीना आगे बताती हैं, ‘UP ATS एक दिन उन्हें छानबीन के लिए घर भी लाई थी। हम दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। उससे क्या बात करती, वो आतंकी हो या न हो, लेकिन धोखेबाज तो है ही। मुस्लिम बनकर मुझसे झूठी शादी की। अपने बीवी-बच्चों का नहीं सोचा, अपने मां-बाप-भाइयों को मार दिया, देश को धोखा दे दिया, तो उससे क्या उम्मीद की जा सकती है। हमें उस पर यकीन नहीं है।’
रूबीना के मुताबिक, ‘सद्दाम इस्लाम के नाम पर बच्चों को भी खूब सिखाता था। कहता था कि नमाज पढ़ा करो, लोगों को नमाज और इस्लाम के बारे में बताता था। पिछली बार वो 27 दिसंबर, 2022 को आखिरी बार घर आया था। अब मुझे उससे कुछ लेना-देना नहीं।’
15 साल पहले पठानपुरवा आया था सद्दाम
सद्दाम को जानने वाले किस्मत अली बताते हैं, ‘पठानपुरवा गांव से कुछ दूर लाला का पुरवा गांव है। इसी गांव में सद्दाम का जिगरी दोस्त राकेश रहता है। राकेश कमाने के लिए गांव से बाहर गया था, जहां वो सद्दाम से मिला था। सद्दाम ने राकेश को गाड़ी चलाना सिखाया, जिसके बाद दोनों में दोस्ती हो गई। 2007-08 में वो राकेश के साथ लाला का पुरवा आया और उस दौरान नमाज पढ़ने के लिए पठानपुरवा आया करता था।’
किस्मत अली के मुताबिक, ‘एक महीने पहले पुलिस आई, तो पता चला कि सद्दाम आतंकी था। पुलिस ने ही बताया कि उसका असली नाम रंजीत है। उसे ज्यादा से ज्यादा सजा मिले, उसने देश और परिवार सबके साथ धोखा किया है।’
राकेश बोला, 6-7 साल से सद्दाम से बात नहीं हुई
रुबीना और किस्मत अली से बातचीत के बाद हम राकेश से मिलने लाला का पुरवा गांव पहुंचे। राकेश ने बताया, ‘UP ATS मुझे काम पर भी नहीं जाने देती। कहते हैं अभी तुम से पूछताछ बाकी है। 2008 में सद्दाम मेरे साथ मेरे घर गोंडा भी आया था। 10-15 दिन ही यहां था, फिर पठानपुरवा में रहने लगा था। उसने बताया था कि उसका घर भी गोंडा में है। तरबगंज में बताता था, लेकिन कभी ले नहीं गया।’
रंजीत कब और कैसे बना सद्दाम
हमारे सामने सवाल था कि आखिर रंजीत सद्दाम कैसे बना? इसके लिए हम पठानपुरवा से लगभग 20 किमी दूर तरबगंज के गांव बरसड़ी पहुंचे। सड़क से लगभग 500 मीटर दूर गांव में घुसते ही एक पक्का मकान दिखा। लोगों ने बताया कि यही घर रंजीत का है। हमारी मुलाकात रंजीत की चाची कलावती से हुई।
बरसड़ी गांव में रंजीत उर्फ सद्दाम का घर। यहां उसके चाचा का परिवार रहता है। पिता मुंबई में हैं और कभी-कभार ही गांव आते हैं।
कलावती बताती हैं, ‘रंजीत का पूरा परिवार मुंबई में रहता है। उसके पिता भगवान सिंह फेरी लगाकर कपड़े बेचते हैं। पिछली बार कुंभ में आए थे। रंजीत को कुछ दिन पहले ATS लेकर आई थी, तब हमने उसे पहचाना था। ATS ने हमें बताया कि उसके साथ पढ़ने वाले आसिफ के पिता ने 1999 में उसका धर्मांतरण करा दिया था। इसके बाद उसे सद्दाम शेख नाम मिला था। हमारा तो उससे कोई मतलब नहीं।’
दूसरा आरोपी: मोहम्मद रईस
आरोप: ISI एजेंट बन पाकिस्तानी हैंडलर्स को गोपनीय सूचनाएं भेजीं
गोंडा का रईस कैसे बना ISI का एजेंट
गोंडा के तरबगंज तहसील के दीनपुरवा गांव के रहने वाला मोहम्मद रईस, मुंबई में पुताई और मजदूरी का काम करता है। दीनपुरवा गांव में पेट्रोल पंप के बगल में उसका घर है। घर के बाहर दो दुकानें बनी हैं।
दीनपुरवा गांव में रईस का घर। सामने बनी एक दुकान में उसके पिता हुसैन साइकिल रिपेयरिंग का काम करते हैं।
रईस के पिता हुसैन बताते हैं, ‘बेटा तो जेल चला गया, लेकिन उसे आतंकी बताने के बाद से कोई दुकान पर भी नहीं आता। 6-7 साल पहले मुंबई कमाने गया था। 5-6 हजार भेज देता था, अब वो भी बंद हैं।’
इसी बीच रईस की मां नूरजहां घर से बाहर आ गईं। वो कहती हैं, ’बेटे को बचाने के लिए क्या करें, कुछ समझ नहीं आ रहा। ATS उसे लेकर आई थी, तो बोल रहा था कि अम्मी मुझसे गलती हो गई है। पुलिस के साहब ने भी हमें यही बताया कि आपके लड़के को लालच में फंसा दिया है।’
नूरजहां घर के अंदर से रईस की 10वीं की मार्कशीट निकाल लाईं। 10वीं में उसके 73% मार्क्स आए थे। मार्कशीट के हिसाब से रईस की उम्र 26 साल है। बातचीत में ही पता चला कि पाकिस्तान में नूरजहां की ननद रहती है, जिससे रईस बात किया करता था। हालांकि, परिवार या रईस कभी पाकिस्तान नहीं गए।
तीसरा आरोपी: मुकीम
आरोप: ISI एजेंट, पाकिस्तानी हैंडलर्स को सूचनाएं भेज रहा था
मुकीम की मां बोलीं- हमारे बेटे को रईस से फंसा दिया
रईस के घर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर तीसरे आरोपी मुकीम का घर है। यहां हमारी मुलाकात मुकीम की मां सईदा से हुई। सईदा बताती हैं, ‘मुकीम बहुत सीधा-साधा था। उसे तो रईस ने फंसा दिया है।’
इस दौरान सईदा के पड़ोसी भी आ गए। कहने लगे कि मुकीम सीधा लड़का है, उसके खिलाफ कभी कोई शिकायत नहीं सुनी। रईस का दोस्त होने की वजह से मुकीम फंस गया। सईदा के पति नहीं है। चार बेटे हैं, जो मुंबई में काम करते हैं। मुकीम भी मुंबई में चूड़ी बेचने का काम करता है।
चौथा आरोपी: सलमान सिद्दीकी
आरोप: ISI एजेंट, टेरर फंडिंग और गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान भेजीं
सलमान के घरवाले बोले- सद्दाम और रईस ने फंसाया
तरबगंज तहसील में रईस के घर से लगभग 30 किमी दूर चौथे आरोपी सलमान सिद्दीकी का घर है। सलमान को UP ATS ने 18 जुलाई को गिरफ्तार किया था। सलमान के पिता अली बताते हैं, ‘मैं 35 साल से मुंबई में रहता हूं। वहां चूड़ी का काम करता हूं। सलमान भी हमारे साथ वहीं रहता और पुताई का काम करता है। 14 जून को मैं गोंडा आया था तो पीछे से पुलिस ने सलमान को उठा लिया।’
तरबगंज तहसील में सलमान सिद्दीकी का घर। सलमान को UP ATS ने जासूसी के आरोप में अरेस्ट किया है।
अली आगे बताते हैं, ‘मैंने सलमान से पूछा तो उसने बताया कि रईस ने उसे फंसाया है। उसने सलमान को 15 हजार रुपए दिए और कहा कि किसी के अकाउंट में ट्रांसफर कर दो। उसने कर दिए थे। रईस भी गोंडा का रहने वाला था, ऐसे ही दोनों की दोस्ती हो गई थी। बेटे को फंसाया गया है। लखनऊ में एक वकील से बात की है, कोई केस लड़ने के लिए भी तैयार नहीं हो रहा।’
सलमान की मां हुसैना कहती हैं, ‘मुहर्रम में घर आने को बोल रहा था, लेकिन पहले ही पुलिस ने उठा लिया। हमारा बच्चा तो बहुत सीधा था। उसे फंसा दिया गया।’ सलमान के घर के बाहर खड़ी बुजुर्ग सहूरा बताती हैं, ‘सलमान को बचपन से जानती हूं। बहुत ही सीधा लड़का है। बेगुनाह लड़के को फंसाया गया है।’
बाबरी मस्जिद के नाम पर ISI ने बनाया एजेंट
गोंडा से पकड़े गए इन आतंकियों की छानबीन के बाद हमने UP ATS ने बात की। ATS के एक बड़े अफसर ने नाम न जाहिर करते हुए बताया, ‘सद्दाम आतंकी है और बाकी तीनों ISI के एजेंट हैं। इन सभी को बाबरी मस्जिद की शहादत के नाम पर भड़काया गया था। इन लोगों का मिशन बाबरी मस्जिद गिराने का बदला लेना था।’
इस टेरर मोड्यूल का पता कैसे चला, इसके जवाब में ATS अफसर बताते हैं, ‘हम इस तरह के लोगों और एक्टिविटीज को ट्रैक करते रहते हैं। सबसे पहले सद्दाम को ट्रैक किया। सद्दाम लगातार सोशल मीडिया पर जेहादी कंटेट पोस्ट करता था।’
‘सद्दाम ATS की नजर में आया, उसकी छानबीन की तो पाकिस्तान से उसके लिंक मिले। उसे गिरफ्तार कर पूछताछ की गई, तो उसने सच कबूल कर लिया। सद्दाम की निशानदेही पर ही एजेंसी गोंडा के बाकी लोगों को भी ट्रैक करने लगी।’
‘सबसे पहले रईस पकड़ में आया। उसने बताया कि मुंबई में काम के दौरान उसकी मुलाकात अरमान से हुई। अरमान ने ही उसे बाबरी मस्जिद के नाम पर और भारत में मुस्लिमों पर जुल्म के नाम पर भड़काना शुरू कर दिया।’
‘रईस दुबई में नौकरी करना चाहता था। अरमान ने उसे कहा कि पाकिस्तान के एक आदमी से तुम्हें कनेक्ट करा देता हूं, तुम काम के निकले, तो तुम्हें बाबरी मस्जिद का बदला लेने का मौका मिलेगा और मोटे पैसे के साथ दुबई में नौकरी भी दिला देंगे।’
‘2022 में रईस को पाकिस्तानी नंबर से वॉट्सऐप कॉल आई। दूसरी तरफ से हुसैन बात कर रहा था। इसके बाद दोनों की बातचीत होने लगी। हुसैन ने रईस से कहा कि वो पाकिस्तानी जासूस है। उसने रईस से सैन्य प्रतिष्ठानों की तस्वीर मंगवाई और पैसे देने का वादा किया। रईस पाकिस्तानी जासूस हुसैन के लिए काम करता रहा और फिर उसने अपने दोस्त सलमान को भी जोड़ लिया।’
UP ATS के मुताबिक, रईस ने ही सलमान के बारे में बताया था। रईस के इनपुट के आधार पर मुंबई से 18 जुलाई को सलमान और अरमान को गिरफ्तार कर लिया गया। रईस और सलमान को सैन्य प्रतिष्ठानों के फोटो भेजने के बदले में पैसे भी मिले।
रईस ने अपने हिस्से के 15 हजार रुपए सलमान को देकर अपने खाते में डालने के लिए कहा। इसके बाद सलमान ने ऑनलाइन 15 हजार रुपए रईस के खाते में भेजे थे। मई में रईस ने अपनी शादी में ये रुपए खर्च किए थे।
अरमान, रईस और सलमान से पूछताछ के बाद ही मुकीम का नाम सामने आया। इसके बाद ATS ने 1 अगस्त को उसे गिरफ्तार कर लिया। मुकीम भी रुपयों के लालच में ISI के लिए काम कर रहा था। ये सभी स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे थे। इन सभी का अयोध्या के पास होना भी किसी आतंकी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है।
ISI ने आखिर अयोध्या के पड़ोसी जिलों को ही क्यों चुना
UP ATS के एक अधिकारी इस सवाल के जवाब में कहते हैं, ‘अयोध्या पर 2005 में भी हमला हुआ था। तब 3 आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया और 4 गिरफ्तार हुए थे। उस केस की जांच में भी सामने आया था कि ये आतंकी नेपाल के रास्ते अयोध्या के पड़ोसी जिले अंबेडकरनगर पहुंचे थे और वहीं रहकर अयोध्या की रेकी करते थे।’
अधिकारी आगे बताते हैं, ‘बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से अयोध्या में UP के बाकी जिलों के मुकाबले सुरक्षा व्यवस्था सख्त है। आतंकी संगठनों के निशाने पर भले ही अयोध्या हो, वे आस-पास के जिलों गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, बाराबंकी, गोरखपुर और अंबेडकरनगर में घुसपैठ कर रहे हैं। आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल यहां रह रहे हैं। 2019 के बाद से यहां लगातार ISI एजेंट मिल रहे हैं।’
2019 में राममंदिर पर आए फैसले के बाद से ही अयोध्या अलर्ट पर
गोंडा के ताजे मामले में अलावा अयोध्या के आसपास के जिलों में लगातार आतंकी और ISI एजेंट पकड़े गए हैं। अगस्त, 2020 के एक ऐसे ही मामले की पड़ताल के लिए हम गोंडा से लगभग 60 किमी दूर बलरामपुर पहुंचे। बलरामपुर की उतरौला तहसील में बढ़या भैंसाही गांव है। यहां से UP ATS ने मुस्तकीम को पकड़ा था।
भैंसाही गांव में मुस्तकीम का घर, मुस्तकीम गांव में दुकान चलाता था। उसकी शादी हो चुकी है और चार बच्चे हैं।
मुस्तकीम के पिता कफील अहमद बताते हैं, ‘मुस्तकीम उत्तराखंड में पीओपी का काम करता था। वहां एक एक्सीडेंट में उसे चोट लगी। हालत ठीक नहीं थी। लखनऊ में दिखाया गया। हालत इतनी खराब थी कि वह उठ-बैठ नहीं पाता था। हमने यहां से कुछ दूर उसकी कॉस्मेटिक की एक दुकान खुलवा दी।’
‘अगस्त, 2020 में एक रिश्तेदार के यहां लखनऊ गया था। वहां से लौट रहा था कि गायब हो गया। हम लोग अगले दिन रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंचे, तो देखा काफी फ़ोर्स लगी है। हम थोड़ा डर गए और घर लौटने लगे। रास्ते में चौकी इंचार्ज साहब मिले। वे हमें अपनी गाड़ी में बिठाकर घर ले आए। यहां भी पुलिस थी और NIA, ATS वालों की टीम भी आई थी।’
‘पुलिसवालों के साथ ही मुस्तकीम भी था। सभी पूछताछ कर रहे थे। घर से ISIS का एक झंडा और कई किताबें मिलीं थीं।’
मुस्तकीम के घर से निकलने के बाद हम बहराइच के कैसरगंज पहुंचे। अयोध्या से बहराइच की दूरी करीब 125 किमी है। यहां कैसरगंज में आरोपी अबू बकर का घर है। सितंबर, 2021 में अबु बकर को ATS ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उस पर भी ISI के स्लीपर सेल का मेंबर होने का आरोप है।
अबु बकर की मां से हमारी मुलाकात हुई, लेकिन वे मीडिया से बात नहीं करना चाहतीं। कहती हैं मीडिया उनके बारे में गलत ही चलाता है।
ये बहराइच में अबु बकर का मकान है। यह शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तरह बना है। इसके एक हिस्से में अबु बकर की मां बहुओं के साथ रहती हैं। एक दुकान उन्होंने किराए पर दी है।
जानकारी के मुताबिक, अबु के पिता सुन्ना खान सउदी में ही रहकर ड्राइवरी का काम करते हैं। शुरू से ही उन्होंने अपने परिवार को वहां रखा है। अबु बकर 5 साल का था, तो वहीं चला गया था। वहीं उसकी पढ़ाई भी हुई है।
2013 में अबु बकर इंडिया लौटा, तो पढ़ाई के लिए देवबंद चला गया। गिरफ्तारी से चार महीने पहले ही वो देवबंद से लौटा था। देवबंद में पढ़ाई के दौरान ही किसी ने उसका माइंड वॉश किया था।
6 जुलाई को गोरखपुर से तारिक गिरफ्तार हुआ
गोरखपुर से बीती 6 जुलाई को UP ATS ने तारिक अतहर को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि तारिक अतहर ISIS से प्रभावित था। उसने पूछताछ में बताया कि उसे ISIS के आतंकी और बंदूकें प्रभावित करती हैं।
UP ATS के मुताबिक, तारिक के फोन से प्रतिबंधित संगठन ISIS के हथियारबंद आतंकियों की फोटो और एशिया, अरब, अफ्रीका में इस्लामिक स्टेट की सत्ता दिखाने वाला मैप मिला था।
तारिक अबू बकर अल बगदादी के वीडियो भी देखता था, जिससे प्रभावित होकर वह मुजाहिद बनकर भारत में जिहाद करना चाहता है। शरिया कानून लागू कराना चाहता है। इसके लिए उसने प्रतिबंधित आतंकी संगठन ISIS की शपथ भी ली है। उसने एक टेलीग्राम ग्रुप बनाया था और दूसरे युवकों को भी भड़का रहा था।
बलरामपुर, गोरखपुर, प्रयागराज, रायबरेली, बहराइच, गोंडा और लखनऊ भी उस लिस्ट में शामिल हैं, जहां से लगातार ISI एजेंट, आतंकी और स्लीपर सेल से जुड़े लोग गिरफ्तार हो रहे हैं। UP ATS इस पूरे इलाके पर नजर बनाए हुए हैं। ATS अधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठनों के निशाने पर जनवरी में अयोध्या में होने वाला कार्यक्रम भी है।
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