REPORT BY DR MUDITA POPLI
बीकानेर। बलात्कार से बड़ा जघन्य अपराध कोई नही, जब किसी का बलात्कार होता है तो वह किसी जाति किसी धर्म किसी परिवेश से अलग एक महिला के साथ हुआ सबसे वीभत्स अत्याचार है जिसकी कोई माफी नहीं। बीकानेर के खाजूवाला में पुलिस वालों के द्वारा एक दलित युवती से पहले रेप और फिर उसकी हत्या करने का मामला सामने आने के बाद आमजन में रोष की स्थिति है। मामले में दो पुलिसकर्मियों के नाम सामने आने के बाद पुलिस द्वारा उन्हें सस्पेंशन दिया गया है लेकिन आज तक पोस्टमार्टम के बाद भी लड़की का शव उठाने के लिए परिजनों की सहमति नहीं बन पाई है ।
गैंगरेप के बाद हत्या के मामले में आज नया मोड़ आया जब पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया, यही नही परिजनों ने वीडियो वायरल कर मामले पर असहमति जताई।
परिजनों ने कहा कि आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले कुछ मंजूर नहीं, है।उन्होंने 25 लाख का आर्थिक पैकेज और संविदा नौकरी के ऑफर को ठुकराया। युवती का शव पिछले 48 घंटों से मोर्चरी में पड़ा है तथा परिजन आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।इसी मामले में दो आरोपित पुलिसकर्मियों पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है।खाजूवाला थाना के ये दो कांस्टेबल मामले में नामजद आरोपी हैं।मामले में खाजूवाला थाने के 7 पुलिसकर्मियों को हटाया गया है जो
खाजूवाला सर्किल में तीन साल से अधिक समय से तैनात थे।जिसके आदेश एसपी तेजस्वनी गौतम ने जारी किए हैं।
उल्लेखनीय है कि खाजूवाला कस्बे में मंगलवार दोपहर एक युवती का शव मिलने के बाद सनसनी फैल गई थी। युवती का शव एक मकान में मिला था। परिवार का आरोप है कि पहले रेप किया गया। बाद में उसकी हत्या कर दी गई। परिजनों ने कुछ युवकों पर संदेह जताया है, इसके बाद पुलिस उन्हें ढूंढ रही है। घटना को गंभीरता से लेते हुए स्वयं एसपी तेजस्वनी गौतम ने खाजूवाला में ही डेरा डाल दिया । उनके साथ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण दीपक कुमार भी रहे। एफएसएल टीम को भी मौके पर बुलाया गया ताकि घटना स्थल से कोई सबूत रह ना जाए। पुलिस की एक टीम संदिग्धों की तलाश में जगह-जगह दबिश दे रही है।इस संबंध में दर्ज एफ आई आर में खाजूवाला थाने के दो कांस्टेबल पर भी आरोप लगे हैं। महिला के पिता ने आरोप लगाया है कि कॉन्स्टेबल मनोज और भागीरथ एक अन्य युवक के साथ उसे कमरे में ले गए। जहां पहले रेप किया। फिर उसके मार दिया।यह घटना युवती के कोचिंग जाते वक्त हुई थी।मंगलवार को भी वो घर से कोचिंग के लिए निकली थी, लेकिन रास्ते में ही उसके साथ हादसा हो गया। ऐसे में इन युवकों की तलाश हो रही है। घटना के 48 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली है। इस मामले में दो पुलिसकर्मियों सहित तीन के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज करवाया गया है।
युवती के परिजनों ने खाजूवाला थाने के ही दो कॉन्स्टेबल भागीरथ व मनोज के खिलाफ रेप और मर्डर की एफआईआर करवाई है। इन दोनों को पुलिस अब तक नहीं पकड़ सकी है। इनके साथ तीसरा आरोपी दिनेश बिश्नोई है। जो युवती का रोज पीछा करने का आरोप है।
लड़की के पिता का आरोप है कि मंगलवार को ये तीनों युवती को लेकर एक कमरे पर गए। जहां उसके साथ दुष्कर्म किया गया और बाद में मार दिया गया। ये युवती एक कम्प्यूटर सेंटर पर कोचिंग लेने जाती थी। मंगलवार को भी ये कोचिंग सेंटर ही गई थी लेकिन वापस नहीं लौटी। पिता के पास फोन आया कि उनकी बेटी घायल अवस्था में खाजूवाला अस्पताल है, जहां पहुंचने पर वो मृत मिली।
परिजनों में गुस्सा है कि पुलिसकर्मियों को नौकरी से बर्खास्त करने के बजाय सिर्फ निलंबित कर दिया गया है। अब दोनों कॉन्सटेबल को नौकरी से बर्खास्त करने की मांग की जा रही है। उधर, पुलिस विभाग का कहना है कि किसी भी कार्मिक पर आरोप साबित होने पर उसे बर्खास्त किया जा सकता है। जांच के चलते निलंबन ही होता है।
परिजनों ने मांग रखी थी कि उन्हें एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाए। साथ ही परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। इसके साथ ही खाजूवाला के पूरे थाने को लाइन हाजिर करने की मांग उठ रही है। इसके साथ ही पूरे मामले की जांच एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) से करवाने की मांग की गई है।
पुलिस ने आरोपी दिनेश बिश्नोई, मनोज व भागीरथ पर गैंगरेप और हत्या के साथ ही एससी-एसटी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया है। मामले की छानबीन के बाद कुछ और धाराओं को जोड़ा जा सकता है। फिलहाल आईपीसी 376 डी और 302 के तहत मामला दर्ज है।
उधर, परिजनों ने पूर्व एसएचओ अरविन्द सिंह शेखावत से भी नाराजगी जताई है। आरोप है कि शेखावत की विदाई पार्टी आरोपियों ने ही रखी थी। वहीं, पीड़ित महिला के पिता को भी प्रताड़ित किया गया था। अब परिजनों की मांग में पूर्व एसएचओ को निलंबित करने की मांग की गई है।
इस मामले में पुलिसकर्मियों के लिप्त होने और दलित महिला होने के कारण एसपी तेजस्वनी गौतम ने इसे बहुत गंभीरता से लिया। वो सुबह से देर रात तक खाजूवाला में रही। हालांकि इसके बाद भी पुलिस के हाथ कोई नहीं लगा। आज भी जांच जारी है।
पुलिस अधीक्षक तेजस्वनी गौतम ने अपने बयान में कहा था कि लड़की घायल अवस्था में मिली थी। उसके प्राइवेट पार्ट्स पर चोट के निशान थे। अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। इस मामले में दो पुलिसकर्मियों के नाम भी सामने आए, जिन्हें एफआईआर दर्ज होने के साथ ही सस्पेंड कर दिया गया है। आरोपियों की बात करें तो मुख्य आरोपी को पुलिस की गाड़ी में बैठकर फेसबुक तथा इंस्टाग्राम पर रील बनाने का बड़ा शौक था वह पुलिस के बेहद नजदीक बताया जा रहा है।दिनेश बिश्नोई के दोनों पुलिसकर्मियों के साथ कई फोटो सामने आए हैं। इसमें एक में वो पूर्व एसएचओ अरविन्द सिंह शेखावत के ट्रांसफर की विदाई पार्टी में नजर आ रहा है। सरे फोटो में वो पुलिस की सरकारी गाड़ी में फोटो खिंचवा रहा है।
उधर विरोधी पार्टी ने इसे मुद्दा बना दिया है और मंगलवार को ही भाजपा नेताओं ने एसपी से बातचीत की।
पूर्व संसदीय सचिव और क्षेत्र के विधायक रहे डॉ. विश्वनाथ मेघवाल एसपी तेजस्वनी गौतम से मिले थे। बुधवार को धरने पर डॉ. विश्वनाथ के अलावा भाजपा देहात के जिलाध्यक्ष जालमसिंह भाटी, मांगीलाल मेघवाल, भोजराज मेघवाल, सतपाल नायक, कुंदन सिंह राठौड, ओमप्रकाश मेघवाल आदि धरने पर बैठे रहे।
इस पूरे मामले को खंगाले तो एक महिला की इज्जत और जीवन के लिए कभी पैसा तो कभी सरकारी नौकरी जैसी चीजों पर सहमति करवाना पूरे नारी वर्ग के साथ एक शर्मनाक हरकत है। अगर रक्षक ही भक्षक बन जाए तो फिर किस से न्याय की गुहार लगाई जाए ? राजस्थान पुलिस का यह ध्येय वाक्य है *आमजन में विश्वास, अपराधियों में डर* और इस ध्येय वाक्य की सरेआम धज्जियां उड़ रही है।राजस्थान यूं भी महिलाओं के प्रति यौन अपराधों में देश में अव्वल है और यह मुद्दा इसलिए और गंभीर बन जाता है कि खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही राजस्थान के गृहमंत्री हैं तथा यहां की पुलिस और कानून व्यवस्था स्वयं सीधे-सीधे उनके हाथ में है।
यह प्रश्न फिर से एक बार सामने खड़ा हो गया है ।अभी कुछ ही समय पूर्व बीकानेर पधारे प्रतिपक्ष के नेता ने राजस्थान को बलात्कार होने वाले राज्यों में अग्रणी कहा था। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों पर गौर करें तो बलात्कार के मामलों में राजस्थान देश में नंबर वन है। राजस्थान में 2021 में 6,337 बलात्कार के मामले दर्ज हुए। जिनमे से 4,485 मामलों में पीड़िताएं व्यस्क एवं 1,452 मामलों में नाबालिग थी। खुद राजस्थान पुलिस ने यह माना है कि पिछले 2 वर्षों में अपराधों की संख्या में लगभग 11:30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
ऐसे में इस घटना ने एक बार फिर से माहौल को गरमा दिया है। हालांकि मीडिया पूरे जोर-शोर के साथ मामले की पूरी तरह तह तक जाने में लगा हुआ है परंतु केवल तह तक जाने और विरोध करने से राजस्थान का न्याय तंत्र कैसे सुदृढ़ होगा ?मीडिया भी इसी यक्ष प्रश्न से जूझ रहा है।
Add Comment