क्या गिरफ्तार होंगे झारखंड के CM सोरेन:विधायक रांची पहुंचे, कल्पना CM बनेंगी या राष्ट्रपति शासन लगेगा; जानें अब आगे क्या
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन अब तक देश की ताकतवर जांच एजेंसी ED की 10 समन ठुकरा चुके हैं। उन्होंने 31 जनवरी को ED के सामने पेश होने की बात कही है। मंगलवार को हेमंत सोरेन आवास से निकलकर अपने पिता से शिबू सोरेन से मिलने पहुंचे। वहीं, राज्यपाल ने चीफ सेक्रेटरी, DGP और होम सेक्रेटरी से मुलाकात की है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अब जांच में सहयोग नहीं करने के कारण ED उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।
एक्सप्लेनर में 8 सवालों के जरिए जानते हैं कि ED के समन को ठुकराने पर क्या होता है, क्या CM को गिरफ्तार किया जा सकता है…
सवाल 1: CM हेमंत सोरेन को ED किस आरोप में समन भेज रही है?
जवाब: झारखंड की राजधानी रांची में बजरा नाम की एक जगह है। यहां करीब 7.16 एकड़ जमीन के एक प्लॉट का मालिकाना हक भारतीय सेना के पास था। इस जमीन को स्थानीय लोगों ने गलत डॉक्यूमेंट्स के जरिए कई लोगों को बेच दिया। जब मामला रांची नगर निगम के पास पहुंचा तो निगम ने अवैध खरीद-फरोख्त के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया।
इसी केस को आधार बनाकर ED ने जांच शुरू कर दी। 14 अप्रैल को इस मामले में ED ने पहली बार 7 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें प्रदीप बागची, अफसर अली, सद्दाम हुसैन के अलावा 4 और लोगों को गिरफ्तार किया गया था। करीब 23 दिन बाद रांची के पूर्व उपायुक्त निलंबित IAS अधिकारी छवि रंजन की गिरफ्तारी हुई। छवि से पूछताछ के आधार पर 31 जुलाई को विष्णु अग्रवाल नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया।
ED की टीम ने हेमंत सोरेन के दिल्ली वाले आवास से 36 लाख रुपए कैश जब्त किए हैं।
इसके पास से मिले डॉक्यूमेंट्स में हेमंत सोरेन का नाम मिला। जांच में हेमंत सोरेन के बैंक खाते और चेक से जुड़ी जानकारी मिली। इसके बाद ED ने हेमंत सोरेन से पूछताछ करने का फैसला किया। तब से 10 बार समन भेजे जाने के बावजूद हेमंत ED के सामने पेश नहीं हुए हैं। इस मामले में अब तक 14 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
सवाल 2: क्या ED के बार-बार समन ठुकराने के बाद गिरफ्तारी हो सकती है?
जवाब: अगर कोई व्यक्ति कई बार समन जारी होने के बाद भी ED के सामने पेश नहीं होता है तो उस पर कानून 10,000 रुपए तक का जुर्माना और IPC की धारा 174 के तहत एक महीने की जेल या 500 रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। PMLA की धारा 63 (2) (सी) के तहत अगर कोई समन पर पेश नहीं होता है, ED के मांगे रिकॉर्ड पेश करने से इनकार करता है तो कम से कम उसे 500 रुपए का जुर्माना देना होगा। हर बार इनकार करने पर जुर्माना 10 हजार रुपए तक बढ़ाया जा सकता है।
धारा 63 (4) (2) का सेक्शन C कहता है कि यदि कोई व्यक्ति जान बूझकर धारा 50 के तहत जारी किसी भी आदेश को मानने से इनकार करता है तो उसके खिलाफ IPC की धारा 174 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
सवाल 3: CM हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किए जाने की कितनी संभावना है?
जवाब : यह कहना आसान है, लेकिन करना नहीं। PMLA की धारा 63 के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए ED को IPC की धारा 174 के तहत नया मामला दर्ज करना होगा और मुकदमा चलाना होगा। एजेंसी के इतिहास में अभी तक तो ऐसा नहीं किया गया है।
दूसरा कानूनी रास्ता समन से इनकार करने वाले व्यक्ति के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करना है। एक्सपर्ट कहते हैं कि यह इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि सोरेन समेत समन से इनकार करने वाले अधिकांश गैर हाजिर होने का लिखित कारण देंगे।
ED को कोर्ट को यह भरोसा दिलाना होगा कि इन लोगों ने जानबूझकर उसके समन को दरकिनार किया है। इतना ही नहीं ED को ये भी भरोसा दिलाना होगा कि जिन पर समन जारी हुआ है उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।
ED के लिए धारा 50 का विकल्प भी दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद मुश्किल हो गया है। दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की अदालत ने पिछले साल 19 अक्टूबर को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि PMLA की धारा 50 के तहत ED को किसी व्यक्ति को समन जारी करने का अधिकार है, लेकिन गिरफ्तारी का नहीं।
झारखंड हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट ए अल्लाम कहते हैं कि ये मामला मुख्यमंत्री का है तो केस दर्ज करने के बाद वो गिरफ्तारी की अनुमति के लिए राज्यपाल को चिट्ठी भेजेगी। राज्यपाल की अनुमति मिलती है तो हर हालत में हेमंत सोरेन को स्टेप डाउन करना होगा।
सवाल 4: प्रवर्तन निदेशालय यानी ED किसी को समन क्यों जारी करती है?
जवाब: प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA की धारा 50 के तहत ED पूछताछ के लिए समन जारी करती है। धारा 50 के मुताबिक, ED के डायरेक्टर को सिविल कोर्ट के अधिकारों की तरह किसी मामले की जांच के लिए किसी को पूछताछ के बुलाने, किसी व्यक्ति का कोई दस्तावेज देखने या उसे पेश करने, हलफनामे पर सबूत लेने का अधिकार है।
प्रावधान के अनुसार ED के डायरेक्टर, एडिशनल डायरेक्टर, ज्वॉइंट डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर, असिस्टेंट डायरेक्टर के पास किसी व्यक्ति को समन जारी करके पूछताछ करने की शक्ति है। जिसके खिलाफ समन जारी किया गया है उसे ED के सामने व्यक्तिगत या एजेंट करिए पेश होना होता है।
हेमंत सोरेन को ED 10 समन भेज चुकी हैं।
सवाल 5: ED ने जिसे समन जारी किया है, क्या उसे बताना जरूरी है कि वह आरोपी है या गवाह?
जवाब: प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत ED (प्रवर्तन निदेशालय) जिस किसी के खिलाफ भी समन जारी करती है तो ये नहीं बताती कि वह व्यक्ति को किस हैसियत से बुला रही है। प्रावधानों में यह स्पष्ट नहीं है कि जिसे समन जारी किया गया है उससे किस रूप में ED पूछताछ करना चाहती है। जब सबूत की बारी आती है तो हमेशा ED मेंशन करती है कि किसी व्यक्ति को सबूत देने के लिए बुलाया जा रहा है।
सवाल 6: ED किसी व्यक्ति को जांच में असहयोग का आरोप लगाकर गिरफ्तार कैसे कर लेती है?
जवाब: मौजूदा PMLA में जांच में असहयोग के लिए गिरफ्तारी का कोई प्रावधान नहीं है। इस बात की भी कोई सीमा नहीं है कि ED कितने नोटिस के बाद मान ले कि कोई व्यक्ति सहयोग नहीं कर रहा है। कानून साफ है कि गिरफ्तारी तभी की जा सकती है जब अधिकारी कन्फर्म हो कि वह व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का दोषी है।
PMLA की धारा 19 कहती है कि यदि ED डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर, असिस्टेंट डायरेक्टर या कोई अन्य कोई अफसर केंद्र सरकार के जनरल या स्पेशल ऑर्डर पर उसके पास जो भी सबूत या जानकारी उसके आधार पर उसे यकीन हो जाए कि कोई व्यक्ति PMLA के तहत अपराधी है तो उसे गिरफ्तार कर सकता है। हालांकि, अफसर के भरोसे का कारण लिखित होना चाहिए और उसे गिरफ्तारी के आधार की सूचना देनी होगी।
ED का हेड क्वार्टर दिल्ली में है। 5 रीजनल ऑफिस मुंबई, चेन्नै, चंडीगढ़, कोलकाता तथा दिल्ली में है। इसके अलावा कई शहरों में सब रीजनल ऑफिस भी हैं।
सवाल 7: कोर्ट ने गिरफ्तारी के इन प्रावधानों की व्याख्या कैसे की है?
जवाब: दिल्ली हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट ने 19 अक्टूबर 2023 को कहा था कि धारा 50 के तहत गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। जस्टिस भंभानी ने कहा कि PMLA की धारा 19 और 50 दो अलग और विशिष्ट प्रावधान हैं। एक के तहत शक्तियों के प्रयोग को इस आशंका पर नहीं रोका जा सकता कि इससे दूसरे के तहत शक्तियों का प्रयोग हो सकता है।
कोर्ट ने कहा कि यदि इसकी अनुमति दी तो PMLA की धारा 50 के तहत सबूत या कागजात पेश करने या हलफनामे पर बयान देने के लिए बुलाया गया कोई भी व्यक्ति केवल यह आशंका व्यक्त करते हुए ऐसे समन का विरोध कर सकता है कि उसे ED धारा 19 के तहत गिरफ्तार होना पड़ सकता है। ऐसे हालात कानूनी योजना के खिलाफ होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्टूबर 2023 को एक मामले की सुनवाई में कहा था कि ED बदले की भावना से काम न करें। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों से ED ने जो सवाल पूछे गए, अगर वे उनका जवाब नहीं दे पाते हैं, तो ये उन्हें गिरफ्तार करने के लिए काफी नहीं है। जिस व्यक्ति को पूछताछ के लिए बुलाया गया है, उससे ये उम्मीद रखना कि वह गुनाह कबूल लेगा, इसका ED को कोई अधिकार नहीं है।
सवाल 8: CM सोरेन की अगर गिरफ्तारी होती है तो अब आगे क्या होगा?
जवाब: CM सोरेन को अगर ED गिरफ्तार करती है तो दो तरह की राजनीतिक स्थिति प्रदेश में पैदा हो सकती है…
1. राष्ट्रपति शासन: झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि मैं संविधान के संरक्षक के रूप में पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हूं। यह राज्यपाल का काम है, मैं कर रहा हूं। अगर जरूरत हुई तो मैं सीमा लांघूंगा। इसके बाद से ही CM की गिरफ्तारी के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की संभावना जाहिर की जा रही है।
2. कल्पना सोरेन CM बनें: हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन प्रदेश की अगली CM बन सकती हैं। सियासी अटकलें हैं कि अगर हेमंत सोरेन को जेल जाने की नौबत आई तो कल्पना को गद्दी सौंपी जा सकती है। JMM के विधायक सरफराज अहमद के अचानक इस्तीफे के बाद ऐसी अटकलों को और भी बल मिला है। हालांकि हेमंत सोरेन ने कल्पना के चुनाव लड़ने की अटकलों को खारिज कर दिया था। लेकिन, अब एक बार फिर से सत्ताधारी दलों के विधायकों के रांची पहुंचने के बाद इस बात का कयास लगाया जा रहा है।
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