जम्मू-कश्मीर आरक्षण-पुनर्गठन संशोधन बिल राज्यसभा से भी पास:शाह की विपक्ष को चेतावनी- लौट आइए, नहीं तो जितने हो उतने भी नहीं बचोगे
नई दिल्ली
राज्यसभा में अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिलों पर हुई चर्चा पर जवाब दिया।
संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन (11 दिसंबर) गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिल पेश किए। इनमें जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 शामिल रहे।
राज्यसभा में बहस के दौरान अमित शाह ने धारा 370 हटाने का विरोध कर रहे विपक्ष को चेतावनी दी कि लौट आइए, नहीं तो जितने हो, उतने भी नहीं बचोगे। दरअसल, पूरे दिन बिल पर बहस के दौरान विपक्ष सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत ठहराता रहा।
अमित शाह के जवाब के दौरान भी विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया। इसके बाद बिलाें पर वोटिंग हुई और दोनों बिल राज्यसभा से भी पास हो गए।
बिल पास होने से जम्मू में 37 की जगह 43, कश्मीर में 46 की जगह 47 विधानसभा सीटें होंगी। पहले यहां 83 सीटें थी, जो बढ़कर 90 होंगी। इसमें अभी लद्दाख शामिल नहीं है।
वहीं 24 सीटें PoK के लिए रिजर्व हैं। SC/ST के लिए 9 सीटें रिजर्व हैं। साथ ही संसद में कश्मीरी पंडितों के लिए 2 और PoK विस्थापितों की 1 सीट भी रिजर्व होगी।
बहस के बाद अमित शाह के बयान की बड़ी बातें…
- जो कहते हैं धारा 370 स्थायी है। वे संविधान और संविधान सभा का अपमान कर रहे हैं। 370 निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर संविधान की कोई वैधता नहीं रह गई है।
- मैं पहले ही वादा कर चुका हूं कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा उचित समय पर बहाल किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 ने अलगाववाद को जन्म दिया जिसके परिणामस्वरूप आतंकवाद को बढ़ावा मिला।
- क्या आपने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में कोई बड़ी भीड़ देखी है। अलगाववाद की बात करने वालों को कश्मीरी लोग नकारते हैं। हमने आतंकी फंडिंग के इकोसिस्टम को खत्म करने की कोशिश की है।
- हमने पत्थर फेंकने वालों के हाथों में लैपटॉप दे दिए। हम उरी, पुलवामा में आतंकी घटनाओं का बदला लेने के लिए उनके घर में घुसे। अब भारत में एक संविधान, एक झंडा और एक प्रधानमंत्री है।
- जम्मू-कश्मीर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला विपक्षी दलों की बड़ी हार है। धारा 370 हटाने का फैसला संवैधानिक है। PoK भारत का हिस्सा है। कोई भी भारत की एक इंच भी जमीन छीन नहीं सकता।
- सवाल उठाने वालों को जवाब मिल गया है। जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों को 3 परिवारों ने रोक रखा था और ये लोग धारा 370 को एंजॉय कर रहे थे।
- कोर्ट ने भी माना है कि राष्ट्रपति शासन लगाना भी गलत फैसला नहीं था। याचिकाकर्ताओं के दावे को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
- SC ने माना कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था, इसमें कोई शंका नहीं है। अगर अनुच्छेद 370 इतना ही उचित और आवश्यक था, तो नेहरू ने इसके आगे अस्थायी शब्द का उपयोग क्यों किया होगा?
- जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय में देरी हुई क्योंकि एक व्यक्ति (नेहरू) को यह काम सौंपा गया था। अगर कश्मीर में अचानक गलत समय पर युद्धविराम नहीं होता तो PoK नहीं होता। पीएम मोदी, मैं, कैबिनेट और बीजेपी जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने की जिम्मेदारी लेने से नहीं भागेंगे।
- जम्मू-कश्मीर से ज्यादा मुसलमान तो बंगाल और बाकी राज्यों में हैं, लेकिन अलगवावाद और आतंकवाद वहीं क्यों ज्यादा है।
- गलती तो किसी से भी और कितने भी बड़े आदमी से हो सकती है। आप लोग वापस लौट आइए नहीं तो जितने हो उतने भी नहीं बचोगे।
पेरियार का जिक्र हुआ तो नाराज हुए धनखड़
बिल पर बहस के दौरान राज्यसभा में भाजपा और विपक्ष में तीखी नोकझोंक हुई। DMK के एक सांसद ने द्रविड़ आंदोलन के जनक ईवी रामास्वामी पेरियार के विवादित बयान को कोट करते हुए कहा कि हर समुदाय को अपनी पहचान तय करने का अधिकार है।
इस पर सभापति जगदीप धनखड़ नाराज हो गए। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि सदन में देश विरोधी बयानों की इजाजत नहीं है। चर्चा के दौरान DMK सांसद एम अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कमेंट किया था।
अमित शाह ने चुटकी ली और कहा- तिरुचि शिवा DMK का एजेंडा बता रहे हैं कि आर्टिकल 370 फिर से लाएंगे या ये पूरा INDI अलायंस का एजेंडा है, इसको स्पष्ट करना चाहिए।
सांसद को रोके जाने पर कांग्रेस सांसद वेणुगोपाल ने विरोध किया। इसके बाद हंगामा हुआ। फिर सभापति ने एम अब्दुल्ला से अपनी बात पूरी करने को कहा। अब्दुल्ला ने अपनी स्पीच में पेरियार के बयान का जिक्र किया।
पेरियार ने दक्षिण भारत में अलग देश द्रविड़नाडु की वकालत की थी। अब्दुल्ला ने कहा कि यह बात कश्मीर के लोगों के लिए भी लागू होती है। इसे सभापति धनखड़ ने ठीक नहीं माना। इसे सदन के रिकॉर्ड से भी हटा दिया गया।
धनखड़ ने कहा- सांसद इस बयान से ऑक्सीजन ले रहे थे। इसके बाद सांसद तिरुचि शिवा ने DMK सांसद एम अब्दुल्ला के समर्थन में कहा कि पेरियार को कोट करने में क्या गलत है।
झारखंड सांसद के यहां 300 करोड़ मिलने पर प्रदर्शन
इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी सांसदों ने संसद परिसर में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया। इसमें झारखंड के कांग्रेस सांसद धीरज साहू के घर 300 करोड़ कैश मिलने का विरोध जताया।
झारखंड से कांग्रेस सांसद धीरज साहू के ठिकाने से 300 करोड़ मिलने को लेकर भाजपा ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया।
22 दिसंबर तक चलेगा सत्र
संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू हुआ था, जो 22 दिसंबर तक चलेगा। इस शीतकालीन सत्र में कुल 15 बैठकें होनी हैं, जिसमें से 5 हो चुकी हैं। चार राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद शुरू हुए इस सत्र की शुरुआती 5 बैठकों में कई मुद्दों पर हंगामे हुए। 6 दिसंबर को INDIA गठबंधन के सांसदों की भी बैठक हुई थी, जिसमें संसद के लिए विपक्ष की रणनीति पर चर्चा हुई थी।
संसद के शीतकालीन सत्र की पिछली 5 कार्यवाही को सिलसिलेवार पढ़ें…
पहले दिन की कार्यवाही- PM मोदी बोले- पराजय का गुस्सा सदन में न निकालें
संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार 4 दिसंबर से शुरू हुआ। लोकसभा में PM नरेंद्र मोदी के पहुंचते ही NDA के सांसदों ने उनका जोरदार स्वागत किया था। सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष से कहा था- बाहर मिली पराजय का गुस्सा सदन में मत निकालिए।
दूसरे दिन की कार्यवाही- DMK नेता के गोमूत्र स्टेट्स वाले बयान पर हंगामा
दूसरे दिन (5 दिसंबर) लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश किया था। चर्चा के दौरान धर्मपुरी से DMK सांसद डॉ. सेंथिल कुमार ने कहा था कि भाजपा की ताकत केवल हिंदी बेल्ट के उन राज्यों को जीतने में ही है, जिन्हें हम आमतौर पर गोमूत्र राज्य कहते हैं। हंगामा बढ़ने के बाद रिकॉर्ड से यह बयान हटा दिया गया था।
तीसरे दिन की कार्यवाही- शाह ने लोकसभा में नेहरू की चिट्ठी पढ़ी
तीसरे दिन (6 दिसंबर) को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) बिल और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल पास हो गए थे। सदन में चर्चा के दौरान अमित शाह ने जवाहर लाल नेहरू को कोट किया था। गृह मंत्री ने कहा- ‘नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को लिखा था कि कश्मीर मुद्दा यूएन ले जाना गलती थी।’
चौथे दिन की कार्यवाही- भाजपा के रमेश बिधूड़ी ने माफी मांगी; राज्यसभा में धनखड़ ने जताया दुख
चौथे दिन (7 दिसंबर) को लोकसभा में सेंट्रल यूनिवर्सिटी अमेंडमेंट बिल 2023 पास हो गया था। इस बीच, भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने संसदीय समिति से माफी मांगी थी। विशेष सत्र के दौरान में बिधूड़ी ने सपा सांसद दानिश अली पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। उधर, राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने वायरल वीडियो पर दुख जताया था।
पांचवे दिन की कार्यवाही- लोकसभा से महुआ निष्कासित
संसद के पांचवें दिन महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप में एथिक्स कमेटी की 500 पेज की रिपोर्ट पेश हुई थी। जिसमें महुआ की संसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश और कानूनी जांच की मांग की गई थी। TMC ने मांग की थी कि 500 पेज की रिपोर्ट पढ़ने के लिए 48 घंटों का समय दिया जाए। इसके बाद सदन स्थगित हो गया था।
लोकसभा में इस पर 3 बार हंगामा हुआ था। दो बार कार्यवाही स्थगित हुई थी। दोपहर 2 बजे से तीसरी बार कार्यवाही शुरू होने पर महुआ के निष्कासन पर वोटिंग हुई थी, जिसके बाद उन्हें निष्कासित करने का प्रस्ताव पास हो गया। सदन में वोटिंग शुरू होते ही विपक्ष ने बॉयकॉट कर दिया था।
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