जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में चूरू का जवान शहीद:सर्च ऑपरेशन के दौरान हमला; पिता बोले- 4 बेटे होते तो भी देश को दे देता
सादुलपुर
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में चूरू के योगेश शहीद हो गए।
जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों से हुई मुठभेड़ में चूरू (राजस्थान) का जवान शहीद हो गया। शनिवार रात 12:15 बजे 14 आरआर और गढ़वाल राइफल्स का जॉइंट सर्च ऑपरेशन चल रहा था। सामने से आतंकियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें योगेश कुमार (28) शहीद हो गए।
शहीद योगेश के पिता पृथ्वी सिंह (65) ने बताया- शनिवार आधी रात को 14 आरआर बटालियन के अधिकारी ने योगेश की पत्नी सुदेश को फोन करके इस ऑपरेशन में योगेश के शहीद होने की जानकारी दी।
योगेश की पार्थिव देह सोमवार को दिल्ली पहुंचेगी। इसके बाद शहीद का पार्थिव शरीर सादुलपुर स्थित उनके पैतृक गांव लंबोर बड़ी लाया जाएगा।
योगेश इंडियन आर्मी की 18 केवलरी की 14 राष्ट्रीय राइफल में सिपाही के पद पर डेपुटेशन पर थे। वह 2013 में खेल कोटे से सेना में भर्ती हुए थे।
लंबोर गांव में योगेश के शहीद होने की सूचना मिलने के बाद उनके घर पहुंचे दोस्त ओम प्रकाश (गहरे नीले रंग की टीशर्ट), सुरेन्द्र बेनीवाल (सफेद शर्ट), रविंद्र फगेड़िया (नीले रंग की टीशर्ट) और ग्रामीण।
2 आतंकियों को किया ढेर
चूरू जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने बताया- जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकवादियों के साथ शनिवार रात मुठभेड़ हुई थी। इसमें चूरू जिले के लंबोर बड़ी गांव के जवान योगेश कुमार ने दो आतंकवादियों को मार गिराया था। इसके बाद मुठभेड़ में योगेश कुमार शहीद हो गए।
शहीद योगेश की तस्वीर के साथ पिता पृथ्वी सिंह।
पत्नी बीकानेर में है नर्सिंग कर्मचारी
योगेश का पूरा परिवार बीकानेर में रहता है। उनकी पत्नी सुदेश (23) बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में नर्सिंग कर्मचारी हैं। उनके 4 साल का बेटा हार्दिक और 4 महीने की बेटी निशा है। योगेश के पिता पृथ्वी सिंह किसान हैं और मां विमला देवी गृहिणी हैं। पैतृक गांव लंबोर में उनका खेत और पुराना घर है। इन दिनों योगेश के पिता गांव में खेतीबाड़ी संभालने आए हुए थे। सूचना मिलते ही उनके घर आस-पास के लोगों की भीड़ लग गई।
पिता बोले- 4 बेटे होते तो भी देश को दे देता
शहीद योगेश के पिता पृथ्वी सिंह से मिली तो उनकी आंखों में आंसू थे। उन्होंने कहा कि मेरा एक ही बेटा था, जो देश के लिए काम आया। मेरे 4 बेटे होते तो भी मैं देश के लिए दे देता। उन्होंने कहा- गर्व है कि मेरे बेटे ने सीने पर गोली खाई। उसने रण भूमि में पीठ नहीं दिखाई।
दोस्त बोले- साथ नौकरी की, लेकिन उसे ये सौभाग्य मिला
तारानगर तहसील के गांव बुचवास निवासी सूबेदार ओमप्रकाश और मुंदी ताल गांव के सुरेन्द्र बेनीवाल ने बताया कि योगेश ने हमारे साथ नौकरी की है। योगेश एक अच्छा सैनिक होने के साथ-साथ हैमर थ्रो का अच्छा खिलाड़ी भी था। हर सैनिक का सपना होता है कि वह देश के लिए कुछ ऐसा करे, जिससे उसका नाम इतिहास में लिखा जाए। आज योगेश ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। ये एक सैनिक के लिए सौभाग्य की बात है।
दिसंबर में छुट्टी पर आने का किया था वादा
सादुलपुर तहसील के गांव बन गोठड़ी निवासी अंकित पुत्र जयवीर ने बताया कि वह भी आर्मी में हैं और जम्मू-कश्मीर में ही तैनात हैं। कल शाम 6 बजे मिशन पर जाने से पहले फोन पर बात हुई थी। योगेश ने बताया कि वह दिसंबर में छुट्टी पर आएगा। अभी तीन साल की नौकरी और बची थी। उसके बाद रिटायर होने वाले थे।
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