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जयपुर नगर निगम ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर बर्खास्त:6 साल तक नहीं लड़ सकेंगी चुनाव; जांच रिपोर्ट के बाद सरकार का एक्शन

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जयपुर नगर निगम ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर बर्खास्त:6 साल तक नहीं लड़ सकेंगी चुनाव; जांच रिपोर्ट के बाद सरकार का एक्शन

राजस्थान में सरकार में चल रहे सियासी भूचाल के बीच गहलोत सरकार ने भाजपा मेयर सौम्या गुर्जर को पद से बर्खास्त कर दिया है। न्यायिक जांच की रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने आज इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। 23 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने के बाद सरकार को कोर्ट ने 2 दिन तक कार्रवाई नहीं करने का समय दिया था।

कल छुट्‌टी के दिन सुप्रीम कोर्ट का दिया समय पूरा हो गया था, जिसके बाद स्वायत्त शासन विभाग ने पद से बर्खास्त करने का प्रस्ताव तैयार करके नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के पास भिजवाया था। मंत्री धारीवाल ने हस्ताक्षर करके प्रस्ताव को मंजूरी दी।

मंत्री से मिली मंजूरी के बाद स्वायत्त शासन विभाग ने आज आदेश जारी करते हुए मेयर को पद से बर्खास्त करते हुए उन्हें अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया है।

हाईकोर्ट जाने का विकल्प
इधर जयपुर मेयर सौम्या गुर्जर के पास अब केवल हाईकोर्ट जाने का विकल्प बचा है। विधि विशेषज्ञ अशोक सिंह की माने तो सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश जारी किए है उसके तहत मेयर सौम्या गुर्जर न्यायिक जांच की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चैलेंज कर सकती है। उनके पास अब यही एक विकल्प है।

6 जून को सौम्या गुर्जर को मेयर पद से और अन्य तीन पार्षदों को आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के साथ हुए विवाद के बाद निलंबित कर दिया था।

6 जून को सौम्या गुर्जर को मेयर पद से और अन्य तीन पार्षदों को आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के साथ हुए विवाद के बाद निलंबित कर दिया था।

ये है पूरा विवाद और यूं चला पूरा घटनाक्रम

  • 4 जून 2021 को जयपुर नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय में मेयर सौम्या गुर्जर, तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव और अन्य पार्षदों के बीच एक बैठक में विवाद हुआ। कमिश्नर से पार्षदों और मेयर की हॉट-टॉक हो गई। कमिश्नर बैठक को बीच में छोड़कर जाने लगे।
  • इस दौरान पार्षदों ने उन्हें गेट पर रोक दिया, जिसके बाद विवाद बढ़ गया। कमिश्नर ने पार्षदों पर मारपीट और धक्का-मुक्की करने का तीनों पार्षदों पर आरोप लगाते हुए सरकार को लिखित में शिकायत की और ज्योति नगर थाने में मामला दर्ज करवाया।
  • 5 जून को सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए मेयर सौम्या गुर्जर और पार्षद पारस जैन, अजय सिंह, शंकर शर्मा के खिलाफ मिली शिकायत की जांच स्वायत्त शासन निदेशालय की क्षेत्रिय निदेशक को सौंप दी।
  • 6 जून को जांच रिपोर्ट में चारों को दोषी मानते हुए सरकार ने सभी (मेयर और तीनों पार्षदों को) पद से निलंबित कर दिया। इसी दिन सरकार ने इन सभी के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवा दी।
  • 7 जून को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए पार्षद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया।
  • सरकार के निलंबन के फैसले को मेयर सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 28 जून को हाईकोर्ट ने मेयर को निलंबन आदेश पर स्टे देने से मना कर दिया।
  • जुलाई में सौम्या गुर्जर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच रूकरवाने और निलंबन आदेश पर स्टे की मांग की।
  • 1 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन ऑर्डर को स्टे दे दिया, जिसके बाद 2 फरवरी को सौम्या गुर्जर ने वापस मेयर की कुर्सी संभाली थी।
  • 11 अगस्त 2022 को सौम्या और 3 अन्य पार्षदों के खिलाफ न्यायिक जांच की रिपोर्ट आई, जिसमें सभी को दोषी माना गया।
  • 22 अगस्त को सरकार ने वार्ड 72 से भाजपा के पार्षद पारस जैन, वार्ड 39 से अजय सिंह और वार्ड 103 से निर्दलीय शंकर शर्मा की सदस्यता को खत्म कर दिया है। इन पार्षदों को भी सरकार ने इसी न्यायिक जांच के आधार पर पद से हटाया है।
  • इसके बाद सरकार ने 23 सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच की रिपोर्ट पेश की और मामले की जल्द सुनवाई की मांग की।
  • 23 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार को कार्यवाही के लिए स्वतंत्र करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया।
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