जयपुर में फर्जी बैंक:स्टाफ में ज्यादातर लड़कियां, बिना आधार-पैन एक मिनट में बना देते नकली क्रेडिट कार्ड, टीम पहुंची तो भगदड़
जयपुर
नूडल्स बनने में भी कम से कम 2 मिनट लगते हैं, लेकिन राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक ऐसा फर्जी बैंक चल रहा है, जो 1 मिनट में क्रेडिट कार्ड बना देता है।
चाहे अभिनेता हो नेता, क्रिकेटर हो या बिजनेसमैन, किसी भी नाम से क्रेडिट कार्ड बन जाता है। इसके लिए न आधार कार्ड चाहिए, न पैनकार्ड…चाहिए तो बस 3500 रुपए।
यही इन ठगों का असली खेल है…
ई-क्रेडिट कार्ड बनते ही स्क्रीन पर मैसेज आता है- क्रेडिट कार्ड की हार्ड कॉपी लेने के लिए 999 और कार्ड इंश्योरेंस के 2450 रुपए चुकाने होंगे।
कई लोग क्रेडिट कार्ड के झांसे में आकर ये 3500 रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर देते हैं।
खास ये है कि इस बैंक में ज्यादातर लड़कियां ही काम करती हैं। फर्जी बैंक चलाने वालों ने फुल प्रूफ सिस्टम बना रखा है। दो दर्जन से ज्यादा सीसीटीवी लगा रखे हैं।
रिपोर्टर ने इन ऑनलाइन ठगों को एक्सपोज करने के लिए कई दिनों तक मामले में इन्वेस्टिगेशन किया, तब फर्जी बैंक केस का एड्रेस हाथ लगा।
टीम ऑफिस में गई तो पहले हमें धमकाया और फिर मामले में सेटलमेंट की बात कही। बात नहीं बनने पर ठग ऑफिस बंद कर भाग गए।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
इस तरह सामने आया मामला
कुछ दिनों पहले टीम के पास जयपुर शहर से ही एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने बताया कि क्रेडिट कार्ड बनाने के नाम पर उससे 3500 रुपए ठगे गए हैं।
ऑनलाइन ठगी की सामान्य घटना मानकर हमने उसे नजदीकी पुलिस स्टेशन में FIR कराने की सलाह दी, लेकिन इसके बाद युवक ने जो बताया, वो चौंकाने वाला था…
‘मेरे साथ ठगी बैंक ने की है। ये बैंक ऑनलाइन है और क्रेडिट कार्ड बनाती है। उन्होंने पैसे लेने के बाद बाकायदा मुझे मेरा ई-क्रेडिट कार्ड भी भेजा था, लेकिन अब फिजिकल क्रेडिट कार्ड नहीं भेज रहे हैं। इस बैंक का कर्नाटक के बेंगलुरू शहर में ऑफिस भी है। हालांकि इस बैंक में जो लड़कियां काम करती हैं, उनकी आवाज राजस्थानियों जैसी है। इस ऑफिस की एक लड़की से मेरी बातचीत हुई तो उसने भी बताया था कि ऑफिस में स्टाफ राजस्थान का है।’
पीड़ित की आपबीती सुनकर हमारा माथा ठनका। शक हुआ कि जिसे हम ऑनलाइन ठगी की एक छोटी सी घटना मान रहे हैं, वो बहुत बड़ा स्कैम भी हो सकता है। इसके बाद हमने पीड़ित से इस बैंक के बारे में हर जानकारी जुटाई।
Ssfc.in नाम से वेबसाइट बनी हुई है। जिसके बारे में ठग दावा करते हैं कि ये बैंक है, जिसकी स्थापना 1997 में हुई थी।
Ssfc.in नाम से वेबसाइट, बताते हैं बैंक
इन्वेस्टिगेशन में सामने आया कि ssfc.in नाम से एक वेबसाइट है, जिसे ठग SSFC बैंक बताते हैं।
वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, बैंक की स्थापना 1997 में हुई थी और साल 2014 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसे मंजूरी दी थी।
वेबसाइट पर अपने हेड ऑफिस के एड्रेस में बेंगलुरु शहर का पता दिया हुआ था और वहीं के मोबाइल नंबर भी लिखे हुए थे।
वेबसाइट पर बता रखा था कि ये बैंक सिर्फ क्रेडिट कार्ड बनाने का काम करती है। इसके लिए बाकायदा एप्लाई कार्ड का एक बटन भी शो हो रहा था।
हमने वेबसाइट पर दिए गए मोबाइल नंबर पर फोन लगाया तो यहां कॉल नहीं गई और फोन कट गया। वहीं ट्रू कॉलर पर ये नंबर फ्रॉड के तौर पर लिस्टेड था।
सारी गलत इंफार्मेशन डाली, फिर भी बन गया ई क्रेडिट कार्ड
ठगी का पूरा पैटर्न समझने के लिए हमने एक क्रेडिट कार्ड बनवाने का प्लान किया। वेबसाइट पर दिख रहे एप्लाई कार्ड बटन को क्लिक किया।
यहां एक फॉर्म में नाम, मोबाइल नंबर, मंथली इनकम, शहर और पासवर्ड की जानकारी मांगी। हमने मोबाइल नंबर के अलावा बाकी सारी सूचना गलत सबमिट की।
सबमिट बटन दबाने के बाद स्क्रीन पर एक और फॉर्म खुल गया। इस फॉर्म में पिता का नाम, ईमेल आईडी, जन्म तिथि, जेंडर और एड्रेस भरना था। यहां भी हमने सारी गलत जानकारी सबमिट की।
सबमिट करते ही स्क्रीन पर लिखा आया YOUR DOCUMENTS IS IN UNDER REVIEW IT CAN TAKE FEW MINIUTES… इस मैसेज के कुछ ही सेकेंड बाद स्क्रीन में झूठी जानकारी और झूठे नाम वाले क्रेडिट कार्ड की ई-कॉपी बनकर तैयार थी।
नीचे लिखा था- आपको बधाई, आपका क्रेडिट कार्ड बनकर तैयार है और इसकी क्रेडिट लिमिट एक लाख 25 हजार रुपए है।
वेबसाइट पर दावा किया गया है कि 2 लाख से ज्यादा लोगों ने कार्ड बनवाए हैं। इस आंकड़ें को सच माने तो ये फर्जी बैंक 80 करोड़ से ज्यादा की ठगी कर चुका है।
फिजिकल क्रेडिट कार्ड के लिए मांगे 3500 रुपए
ई-क्रेडिट कार्ड के नीचे लिखा था-क्रेडिट कार्ड की फिजिकल हार्ड कॉपी लेने के लिए बैंक के क्यूआर कोड को स्कैन कर उस पर 999 रुपए का एक्टिवेशन चार्ज ट्रांसफर करना पड़ेगा।
वहीं इसके बाद कार्ड इंश्योरेंस के 2450 रुपए भी ट्रांसफर करने होंगे। क्रेडिट कार्ड के एक्टिव होने के बाद ये दोनों अमाउंट रिफंड कर दिए जाएंगे।
हमने वेबसाइट पर शो हो रहे क्यूआर कोड की जांच की तो सामने आया कि क्यूआर कोड किसी बैंक और कंपनी के न होकर किसी पर्सनल सेविंग अकाउंट के हैं।
वेबसाइट पर दावा किया गया है कि 2 लाख से ज्यादा लोगों ने कार्ड बनवाए हैं। इस आंकड़ें को सच माने तो ये फर्जी बैंक 80 करोड़ से ज्यादा की ठगी कर चुका है।
फर्जी बैंक में काम करने वाली लड़की ने किया कॉल
अब तक की पड़ताल में ये बात साफ हो चुकी थी कि क्रेडिट कार्ड बनाने के नाम पर ठगी का ये खेल खेला जा रहा है। अब हमें उस ऑफिस का पता लगाना था, जहां से इस ठगी काे अंजाम दिया जा रहा है।
हमने फिजिकल क्रेडिट कार्ड के लिए 3500 रुपए नहीं दिए और बैंक के कॉल का इंतजार किया। दो दिन बाद कॉल आया। फोन पर एक लड़की थी और उसने हमें क्रेडिट कार्ड को लेकर जानकारी दी।
बातचीत के दौरान उसने बताया कि वो बेंगलुरु में बैंक के ऑफिस से बात कर रही है। काॅल कटने के बाद हमने एक सायबर एक्सपर्ट को वो नंबर दिए, जिनसे कॉल आया था। उसने कंफर्म किया कि ये कॉल जयपुर शहर से ही किया गया था। हालांकि इससे ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई।
जयपुर के विद्युत नगर में एक घर के बेसमेंट से फर्जी SSFC बैंक ऑपरेट किया जा रहा है।
फर्जी बैंक की लोकेशन ढूंढ़ी
हमें ये तो पता चल गया कि फर्जी बैंक का ऑफिस जयपुर में ही है, लेकिन जयपुर में कहां… कई दिन बीत जाने के बाद भी इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया था।
एक दिन मोबाइल सिम कार्ड का काम करने वाले हमारे सोर्स ने बताया कि- कुछ महीने पहले किसी शख्स ने सीरीज में सिम कार्ड लेने की डिमांड की थी। उसे ये सिम कार्ड फर्जी नाम पते पर चाहिए थे। हालांकि तब हमारे सोर्स ने उस शख्स को इसके लिए मना कर दिया था। उस शख्स ने बातों ही बातों में सोर्स को ये बता दिया था कि उसने जयपुर के विद्युत नगर में फाइनेंस कंपनी खोली है।
फाइनेंस कंपनी के लिए फर्जी नाम-पते वाली सीरीज के मोबाइल नंबर क्यों चाहिए थे? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने सोर्स से कहा कि वो उस फाइनेंस कंपनी का एड्रेस निकाल के दे। उसके लिए ये ज्यादा कठिन नहीं था। उसने हमें कंप्लीट एड्रेस की लोकेशन वाॅट्सऐप कर दी।
सीसीटीवी से लाइव मॉनिटरिंग
हम दी गई लोकेशन की मदद से फाइनेंस कंपनी के ऑफिस के बाहर की मेन सड़क तक पहुंच चुके थे। हम अब तक कंफर्म नहीं थे कि फर्जी SSFC बैंक यहीं से चल रही है।
ये पता लगाने के लिए हम ऑफिस के अंदर गए। ऑफिस एक घर के अंदर बेसमेंट में चल रहा था। गेट पर सड़क के दोनों तरफ सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे।
जैसे ही हम बेसमेंट में उतरकर अंदर पहुंचे तो देखा कि अंदर 5-6 युवतियां बैठी थीं और उनके सामने कई फोन रखे हुए थे। कुछ युवतियां फोन पर बात भी कर रही थीं।
थोड़ा और अंदर गए तो एक चेंबर में युवक मिला। उसके सामने टेबल पर लैपटॉप रखा हुआ था। वहीं उसके सामने दो एलईडी स्क्रीन पर इस ऑफिस और बाहर सड़क तक की लाइव फुटेज डिस्प्ले हो रही थी।
उस युवक ने हमें पूछा कि आप कौन हैं? क्या चाहिए? हमने उसे परिचय दिया और बताया कि हम जानकारी लेने आए हैं कि यहां क्या काम होता है?
सवाल सुनकर युवक झेंप गया, फिर बोला- यहां ऑनलाइन गेमिंग का काम होता है। हम तो इस ऑफिस में सारा काम ऑनलाइन करते हैं। लोगों को गेम खिलाते हैं।
हमारे सवालों से वो घबरा गया और उसने वहीं से किसी दूसरे शख्स को फोन लगाया और बाहर जाकर बात करने लग गया।
बेसमेंट में बने ऑफिस में हमें ये युवक और युवती मिले। दोनों से नाम पूछा लेकिन उन्होंने सही नाम नहीं बताया।
टीम से बोली युवती- कैमरा बंद कीजिए
इसी दौरान उस चैंबर में एक युवती पहुंची। उसने सीसीटीवी कैमरे में देख लिया था कि हम मोबाइल कैमरे से रिकॉर्डिंग कर रहे थे। वो आते ही हमें बोली कि आप कैमरा बंद कीजिए। यहां इसकी अनुमति नहीं है।
हम मोबाइल कैमरा बंद करते, उससे पहले ही सभी युवतियां ऑफिस से भाग गईं।
इस बीच वो लड़का वापस चैंबर में आया। हमें किसी शख्स से बात करने को कहा और अपना मोबाइल थमा दिया।
सामने से कोई शिवराज वर्मा नाम का शख्स बात कर रहा था। उसने हमें कहा, वो लोगों को ऑनलाइन गेम खिलाते हैं। हमने कहा कि- हमारे ऑफिस में आते ही यहां का सारा स्टाफ निकल गया है। यहां हमें कोई जानकारी भी नहीं दी जा रही है। इस पर उस शख्स ने फोन काट दिया।
इतने में ही युवक और युवती ने अपना सामान समेटा और लाइट्स बंद करने लगे। हमने उन्हें पूछा तो बोले कि ऑफिस आज बंद हो गया है, अब कल सुबह दस बजे ही खुलेगा। उस समय दोपहर के ढाई बज रहे थे।
पहचान उजागर न करने की शर्त पर ऑफिस में काम कर रही युवती ने बताया कि वहां किस तरह लोगों को ठगा जा रहा था।
ऑफिस में काम कर रही युवती ने बताया सच…
हम गली से निकलकर बाहर आए थे, तभी नुक्कड़ पर हमें एक लड़की दिखाई दी। वो इसी ऑफिस में भी हमें दिखी थी। हम उसके पास पहुंचे और उससे बात करने का प्रयास किया। पहले तो वो डर गई, फिर बोली- सर वो इस ऑफिस में फंस गई है, यहां बहुत गलत काम होता है।
हमने उसे भरोसा दिलाया कि उसे इस चंगुल से बाहर निकलने में मदद करेंगे। इसके बाद पहचान छिपाने की शर्त पर वो हमें सब कुछ बताने को तैयार हुई…
मैं जयपुर की रहने वाली हूं। मेरी उम्र 19 साल है और कॉमर्स ग्रेजुएट हूं। पिता आर्मी में हैं। महीने भर पहले एक जॉब साइट से जयपुर में नौकरी की एड मिली। यहां कॉल किया और इंटरव्यू के बाद 20 दिन पहले नौकरी मिल गई। मुझे बताया कि 20 हजार रुपए सैलरी मिलेगी। रोजाना कुछ लोगों के मोबाइल नंबर दिए जाएंगे, जिन्हें कॉल कर उनसे क्रेडिट कार्ड एक्टिवेशन और इंश्योरेंस के रुपए जमा करवाने होंगे। महीने में 80 लोगों से ये करवाने का टारगेट भी दिया गया। इससे ज्यादा करने पे इंसेंटिव का भी ऑफर दिया गया था।
ट्रेनिंग के दौरान बताया गया कि मुझे मोबाइल पर अपने आप को बेंगलुरू शहर का ही बताना है। कोई आईडी भी मांगे तो बेंगलुरू की ही भेजनी है। ऑफिस में पहले से ही सैकड़ों ऐसे फर्जी आईडी कार्ड बनाकर रखे हुए थे।
ऑफिस में 6-7 दूसरी युवतियां भी काम कर रही थीं। ऑफिस का एक वॉट्सऐप ग्रुप भी बना हुआ था।
कुछ लोगों को मैंने फोन किए थे, उनका मेरे पास वापस फोन आए। उन्होंने बताया कि पैसे जमा कराने के बाद भी क्रेडिट कार्ड नहीं मिल रहे हैं।
मैंने ऑफिस में काम करने वाली आरती नाम की युवती से पूछा-मैम, कस्टमर्स का पेमेंट आने के बाद भी उन्हें क्रेडिट कार्ड नहीं मिल रहे है। वो लोग फोन करके परेशान कर रहे हैं। इस पर आरती मैम ने कहा था- ऐसे लोगों के मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दो।
इसके बाद मुझे अहसास हुआ कि मैं गलत लोगों के लिए काम कर रही हूं।
फोन कर बोला ठग- आप रुपए बोलो सॉर्ट आउट कर लेते हैं
रिपोर्टर के पास Ssfc.in वेबसाइट पर दिखाए जा रहे मोबाइल नंबर 9216604479 से कॉल आया।
- ठग : आप जयपुर के विद्युत नगर में मेरे ऑफिस आए थे, बताओ क्या करना है?
- रिपोर्टर : आप लोग जो क्रेडिट कार्ड बनाते हैं, ये क्या मामला है?
- ठग : आपको पता है क्या जयपुर में कितने लोग ये काम कर रहे हैं?
- रिपोर्टर : अभी तो आप ये बता दीजिए कि आप ये काम करते हो या नहीं?
- ठग : हां, हम भी छोटा-मोटा कर ही लेते हैं। आप तो ये बताओ कि अब आपको क्या चाहिए? आप ये तो बताओ कि आपको ये जानकारी मिली कहां से? क्या हमारा ही कोई दोस्त गद्दार निकला है क्या? कौन हमारी थाली में छेद कर रहा है? जयपुर में ऐसे दस ऑफिस अभी चल रहे हैं, आपको जानकारी दूं क्या?
- रिपोर्टर : अगर बता देंगे तो हमारी तो मदद हो जाएगी। हमारा तो काम ही यहीं है।
- ठग : भाईसाहब हमारी तो आप मदद कर दो, अभी आर्थिक तंगी भी चल रही है लेकिन फिर भी आप रुपए बोलो, आपका सॉर्ट आउट कर देंगे।
(इसके बाद फोन कट हो गया)
टीम के कैमरे देख स्टाफ में हड़कंप मच गया और दोपहर में ढाई बजे ही वे ऑफिस बंद कर वहां से चले गए।
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