जल का पर्यावरणीय एवं अध्यात्मिक स्वरूप’’ विषय विषशज्ञों का राष्ट्रीय संगोष्टी में चिन्तन
‘‘जल ही जीवन ’’ ‘‘राजकीय डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर में जल पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्टी
बीकानेर 11 जनवरी।भारत को विश्व गुरू बनाने की दिशा में पंचतत्वों तथा अध्यात्म पर चिन्तन की आवश्यकता
जल, विज्ञान, संस्कृति व समाज जैसे विषय भारतीय परंपरा व विश्व बन्धुत्व को अंगीकार कर सर्व समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न कर विकार मुक्त सामाजिक संरचना व उत्कृष्ट ढांचा बनया जा सकता है एवं इसी से रोगमुक्त जीवन शैली भी संभव है। इन्हीं विचारों के साथ आज राजकीय डँूगर महाविद्यालय, बीकानेर में राष्ट्रीय जागरण मंच की सुबुही खान, लालेश्वर धाम अधिष्ठाता स्वामी विमर्शानन्द जी महाराजा, एनआरसीसी निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू, डँूगर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र पुरोहित, संयोजक डॉ. दिव्या जोशी , समन्वयक डा नरेंद्र भोजक व सह समन्वयक डॉ. हेमेन्द्र भंडारी द्वारा द्वीप प्रज्जवलन कर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ किया गया। मुख्य अतिथि सुबुही खान ने भारतीय परम्परा में जल की महता, राजस्थान में सरोवरों की परिकल्पना तथा जल संसाधनों का ज्ञान पर विस्तार से सनातन के सिद्धान्त को उदाहरणों के माध्यम से समझाया विशिष्ट अतिथि डॉ. आर्तबन्धु साहू ने जल के वैज्ञानिक पक्ष को उजागर करते हुए मानव व अन्य जीवों पर इसके प्रभाव की विवेचना ऊंटो का उदाहरण देकर की कार्यक्रम अध्यक्ष स्वामी विमर्शानन्द जी ने जल संस्कृति के पक्ष को समाज के सामने रखते हुए जल संरक्षण की आध्यात्मिकता उत्पन्न करने के बारे में मंत्रोचार सहित बताया इससे पूर्व प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र पुरोहित ने स्वागत अभिभाषण प्रस्तुत किया, डॉ. दिव्या जोशी ने सेमिनार संकल्पना एवं डॉ. हेमेन्द्र भंडारी ने बीआईआरसी के बीस वर्षों की यात्रा का वृतान्त प्रस्तुत किया।
स्वागत सत्र पे 25 विषयों के विशेषज्ञों द्वारा गठित एवं डॉ. सत्यनारायण जाटोलिया, डॉ. उमा राठौड़, डॉ. राजा राम, डॉ. एस.के. वर्मा, डॉ हेमेन्द्र भंडारी द्वारा ‘‘संकलित सूर्य सिद्धान्त’’ पुस्तक का विमोचन भी किया गया। उद्घाटन सत्र का धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. इन्द्रसिंह राजपुरोहित द्वारा दिया गया। द्वितीय तकनीक सत्र में गोआ के प्रो. एन.एन. सावल ने जल प्रबन्धन की तकनीक को गोआ के पर्यटन बढ़ाने के प्रयोगों से जोड़कर पावर पाइन्ट के माध्यम से दर्शाया, जयपुर के प्रो. राघव प्रकाश ने हिन्दी साहित्य व उच्च शिक्षण संस्थाओं पे मूलभूत जल-शिक्षा का महत्व बताया। आसाम की भौतिकशास्त्री डॉ. मानसी बुरजहा, दिल्ली की डॉ. कनिका सोंलकी एवं नोएड़ा की डॉ. ममता चाहर के साथ इंजीनियरिंग कॉलेज की डॉ. चंचल कच्छावा ने विभिन्न आयामों पर परिचर्चा की दूसरे सत्र के चेयरपर्सन डॉ. देवेश खण्डेलवाल व डॉ. राजा राम रहे।
इस संगोष्ठी में छात्र छात्राओं द्वारा विषय पर बनाए गए पोस्टर्स गैलरी का उद्घाटन भी अतिथियों द्वारा किया गया । इन पोस्टर्स तथा ओरल प्रेजेंटेशन के आधार पर कल समापन सत्र में बेस्ट पोस्टर बेस्ट पेपर अवॉर्ड्स भी दिए जायेंगे । प्रो एस के वर्मा ने जल आधारित एक क्विज प्रतियोगिता भी आयोजित करवाई।
तेजी से हो रहे औद्योगीकरण से सेवा क्षेत्र जैसे पर्यटन और मनोरंजन जैसी व्यावसायिक गतिविधियां तेजी से विस्तार कर रही है। इस विस्तार के फलस्वरूप पूर्ति और स्वच्छता सहित जल सेवाओं में वृद्धि होती है जो पानी और प्राकृतिक संसाधानों और पारिस्थितिक तंत्र पर और अधिक दबाव के कारण हा सकते हैं। जलवायु परिवर्तन मौसम और जल चक्र के बीच अभिन्न सम्बन्धों के कारण दुनिया भर के जल संसाधानों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा जल के अध्यात्मिक और मनौवैज्ञानिक महत्व पर गहन विचार विमर्श के साथ राष्ट्रीय संगोष्टी का प्रथम दिवस संपन्न हुआ। कल द्वितीय दिवस का आगाज विवेकानन्द जयन्ती राष्ट्रीय युवा दिवस तथा स्वामी विवेकानन्द के वेदान्त की व्याख्या से होगा। बीकानेर पश्चिम विधायक श्री जेठानन्द जी व्यास, राजस्थान प्रान्त संगठक माननीय शीतल जोशी तथा उच्च न्यायालय अधिवक्ता सुबुही खान, कल उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता होगें।
Add Comment