डिप्टी सीएम पद की शपथ को चुनौती देने का मामला:केन्द्र ने कहा- याचिका राजनीति से प्रेरित, याचिकाकर्ता बोले, संविधान में ऐसा पद ही नहीं
डिप्टी सीएम दिया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा की उप मुख्यमंत्री पद की शपथ को असंवैधानिक करार देने से जुड़ी याचिका पर आज हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता, अधिवक्ता ओम प्रकाश सोलंकी ने कहा कि संविधान में डिप्टी सीएम का कोई पद ही नहीं है। यह राजनीति से प्रेरित शब्द हैं।
दिया कुमारी व प्रेमचंद बैरवा ने इस पदनाम की शपथ ली हैं। ऐसे में इनकी शपथ को असंवैधानिक करार दिया जाए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता की तरह गाउन और बैंड लगा रखा था। इस पर कोर्ट ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि जब अधिवक्ता याचिकाकर्ता के रूप में कोर्ट के समक्ष उपस्थित हों तो उसे गाउन व बैंड नहीं लगाना चाहिए। इस कोर्ट ने सुनवाई 5 जनवरी तक टाल दी।
केन्द्र ने कहा याचिका राजनीति से प्रेरित
सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी ने कहा कि यह याचिका पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। शपथ में किसी भी तरह से संवैधानिक व कानूनी कमी नहीं है। पहले भी सुप्रीम कोर्ट व अलग-अलग हाई कोर्ट इस तरह की शपथ को सही ठहरा चुके हैं। उन्होंने हाई कोर्ट के समक्ष इन आदेशों को भी प्रस्तुत किया।
दिया-प्रेमचंद ने 15 दिसम्बर को ली थी शपथ
उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी और उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने 15 दिसम्बर को अल्बर्ट हॉल पर उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। राज्यपाल कलराज मिश्र ने उन्हें यह शपथ दिलाई थी। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी सहित केन्द्रीय मंत्री व अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे थे।
राजस्थान में अब तक डिप्टी सीएम बने नेता कैबिनेट मंत्री की शपथ लेते रहे हैं
राजस्थान में पहले भी डिप्टी सीएम बनते रहे हैं। भैरोंसिंह शेखावत सरकार में हरिशंकर भाभड़ा डिप्टी सीएम बने थे। अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार में 2002 में कमला बेनीवाल और बनवारीलाल बैरवा डिप्टी सीएम बने थे। 2018 में सचिन पायलट डिप्टी सीएम बनाए गए थे। इन सब नेताओं ने डिप्टी सीएम की जगह कैबिनेट मंत्री की ही शपथ ली थी। हालांकि इस बार राजस्थान के साथ ही छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में डिप्टी सीएम बने नेताओं ने कैबिनेट मंत्री की जगह डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी।
सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका डिप्टी सीएम की शपथ पर आपत्ति
डिप्टी सीएम के पद की शपथ को लेकर पहले भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर हुई हैं। डिप्टी सीएम की शपथ पर आपत्ति को सुप्रीम कोर्ट 1990 में खारिज कर चुका है। कर्नाटक, पंजाब-हरियाणा, बॉम्बे हाईकोर्ट में भी डिप्टी सीएम की शपथ पर आपत्ति जताते हुए नियुक्ति अवैध घोषित करने की याचिकाएं दायर हुईं, सब जगह याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए साफ कर दिया था कि डिप्टी सीएम को भी संविधान के आर्टिकल 164(3) के तहत शपथ दिलाई जाती है, डिप्टी सीएम की शपथ लेना संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है।
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