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डूँगर कॉलेज में सर्पों पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

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संस्थान के प्रताप सभागार में प्राणिशास्त्र विभाग द्वारा सर्प सम्बन्धी राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
प्राचार्य डॉ. जी. पी. सिंह एवं सहायक निदेशक कॉलेज शिक्षा डॉ. राकेश हर्ष के साथ वन विभाग के प्रमुख डीफओ श्री सुनील कुमार गौड़ की उपस्थिति में हुआ।

इस आयोजन में भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के डॉ कार्तिक सुनागर और अजिंक्य उनावाने सहित देश के बड़े सर्प वैज्ञानिकों ने सर्पों की पहचान एवं उनके प्रबन्धन की प्रत्यक्ष सैद्धांतिक व प्रायोगिक जानकारी दी।

उन्होंने सभी प्रकार के कोबरा सहित वाइपर, क्रेत व अन्य विषैले सर्पों की प्रजातियों की पहचान के साथ ही उनके व्यवहार, उनके आवास, प्रजनन, भोजन, उनके विष की तीव्रता इत्यादि को भलीभाँति समझाया एवम विषैले साँपों को भी सुरक्षित रूप से पकड़ने की विधियों का प्रदर्शन किया। सर्प को रेस्क्यू करते समय कौशल ज़रूरी होता है, जिससे कि सर्प को भी हानि न हो और पकड़ने वाले को भी हानि न हो।

कार्यशाला में वक्ताओं ने लोगों में व्याप्त साँप सम्बन्धी अनेक भ्रान्तियों का भी निराकरण किया, जैसे कि साँप दूध पीता है, साँप बीन की आवाज़ पर नाचता है, साँप अपने दुश्मन की छवि अपनी आँखों में क़ैद कर लेता है, साँप के दो मुँह होते हैं, नागमणि होती हैं, साँप की केंचुली घर में रखने से समृद्धि आती है इत्यादि।

सभी वक्ताओं ने बताया कि सर्प हमारे शत्रु नहीं हैं, बल्कि हमारी पारिस्थितिकी के अहम् घटक हैं। वन्यजीव अधिनियमों के अनुसार अन्यान्य प्राणियों की भाँति साँपों को भी बचाना हम सबका कर्तव्य है। कुछ सावधानियाँ रखने पर हम सर्पदंश की घटनाओं से बच सकते हैं। सर्पदंश की स्थिति में प्राथमिक उपचार और फिर विधिवत् चिकित्सकीय उपचार को आवश्यक बताते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि हमें ऐसी स्थिति में तान्त्रिक, मान्त्रिक, झाड़फूँक आदि के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।

बीकानेर के सर्प मित्र इक़बाल भाई, बीकानेर के ही श्याम भाई और डीडवाना सहदेव भाई भी, जो अब तक हज़ारों साँपों को रेस्क्यू कर चुके, अपने साथ नमूने के तौर पर कुछ साँपों को लेकर आएँ तथा उन्होंने इस क्षेत्र के साँपों के विषय में अनेक तरह की जानकारियाँ साझा कीं।

प्राणिशास्त्र विभाग के प्रभारी डॉ राजेंद्र पुरोहित ने स्वागत उद्बोधन में सभी आगुंतकों का स्वागत करते हुए कहा कि यह आयोजन अपनी प्रकृति और संरचना में बहु उपादेय है।इस जहरीले और अजहरीले सांपों की पहचान बढ़ेगी।

प्राचार्य प्रो जी पी सिंह ने कहा कि ऐसे आयोजन समाज में फैली भ्रान्तियों का न केवल प्रतिकार ही करते हैं बल्कि हमारे मानस को वैज्ञानिक दृष्टि से भी भरते हैं।

डॉ राकेश हर्ष ने कहा कि सर्प सहित अन्य वन्य जीवों को जीवन जीने का उतना ही अधिकार है जितना मनुष्यों को।
श्री हर्ष ने कहा कि हमें पूरी जिम्मेदारी के साथ सर्प सहित अन्यान्य जानवरों के जीवन की राहों को आसान बनाना चाहिए।

कार्यशाला के संयोजक डॉ प्रतापसिंह ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से छात्रों में साँपों के प्रति जागरूकता का तो विकास होगा ही साथ ही शेष जानवरों के प्रति संवेदनशील व्यवहार की चेतना का संस्कार भी होगा।

कार्यशाला में बड़ी संख्या में बी एस एफ के जवान और अधिकारियों के साथ-साथ संकाय सदस्य एवं छात्रों ने सहभागिता की

संयोजक डॉ. प्रताप सिंह, आयोजन सचिव डॉ. बलराम साईं ने जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में आयोजन सचिव श्री महेंद्र सिंह सोलंकी ने सभी जन का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो प्रकाश आचार्य एवं डॉ बलराम साईं ने किया।

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