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तब नेपाल का भूकंप, अब सूडान में गृहयुद्ध… मोदी सरकार ने विदेशों में फंसे भारतीयों के लिए जी-जान लगा दी अब तक कितने चलाए गए बचाव राहत ऑपरेशन! पढ़े साहिल पठान कि विशेष रिपोर्ट

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तब नेपाल का भूकंप, अब सूडान में गृहयुद्ध… मोदी सरकार ने विदेशों में फंसे भारतीयों के लिए जी-जान लगा दी

REPORT BY SAHIL PATHAN

भारत सरकार ने सूडान में फंसे अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए कमर कस ली है। सरकार ने एयर फोर्स के दो विमानों को सऊदी अरब के जेद्दा जबकि नौसेना के जहाज आईएनएस सुमेध को सूडान के बंदरगाह पर तैनात कर दिया है।

नई दिल्ली: भारत सरकार ने सूडान में फंसे अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए कमर कस ली है। सरकार ने एयर फोर्स के दो विमानों को सऊदी अरब के जेद्दा जबकि नौसेना के जहाज आईएनएस सुमेध को सूडान के बंदरगाह पर तैनात कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि हिंसा प्रभावित सूडान से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए कई विकल्पों पर काम हो रहे हैं। इसी के तहत, भारत ने सूडान के पड़ोसी देशों की मदद के विकल्पों को भी आजमाया है। इसी के तहत, सऊदी अरब ने भी भारत के कई नागरिकों को सूडान से निकालने में मदद की है। बहरहाल, विदेश में कोई प्राकृतिक आपदा, युद्ध या अन्य किसी तरह की आफत में फंसे भारतीयों को निकालने के मामले में केंद्र की मोदी सरकार का रिकॉर्ड बेहतरीन रहा है। पिछले कुछ उदाहरणों पर ध्यान दें तो पता चलता है कि कैसे मोदी सरकार ने अपने नागरिकों की वापसी के लिए बिना लेट-लतीफी के प्रभावी कदम उठाए हैं। अफगानिस्तान हो या यूक्रेन, सरकार ने युद्धग्रस्त देशों से भारतीयों को निकालने में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। इतना ही नहीं, भारत ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन पर दूसरे देशों को भी उनके नागरिकों को निकालने में मदद की है। आइए देखते हैं कि मोदी सरकार में भारत ने विदेशों से भारतीयों को निकालने के लिए अब तक कौन-कौन से अभियान चलाए हैं…

​नेपाल में ऑपरेशन मैत्री

2015 में ही नेपाल में भयंकर भूकंप आया था। भूकंपग्रस्त इलाकों में जबर्दस्त तबाही मची थी। भारत ने भूकंप आने के 15 मिनट के अंदर ऑपरेशन लॉन्च कर दिया। ऑपरेशन मैत्री के जरिए नेपाल से 5 हजार से ज्यादा भारतीयों को वापस लाया गया। इतना ही नहीं, अमेरिका, इंग्लैंड, रूस और जर्मनी के भी 170 नागरिकों को भारत ने नेपाल से निकाला। भारतीय वायुसेना ने अपनी पूरी क्षमता से ऑपरेशन मैत्री को अंजाम दिया।

​यमन में ऑपरेशन राहत​

पश्चिमी एशिया के देश यमन में युद्ध छिड़ा तो भारत के सामने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने की पहाड़ जैसी चुनौती खड़ा हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले वर्ष ही देश की सत्ता संभाली थी और अगले वर्ष 2015 में बड़ी परीक्षा का वक्त आ गया। सरकार ने पहले तत्परता दिखाते हुए नौसेना और वायुसेना को मोर्चे पर तैनात कर दिया। भारतीय सेनाओं के विमान और जहाज यमन पहुंच गए। भारत ने ‘ऑपरेशन राहत’ के जरिए 5,600 भारतीयों और 1,000 से भी ज्यादा विदेशियों को यमन से निकालने में सफलता पाई।

​कोरोना काल में मिशन वंदे भारत​


वर्ष 2020 में घातक कोरोना वायस के फैलने से पूरी दुनिया सहम गई थी। भारत के सामने भी गंभीर रूप से प्रभावित देशों से भारतीयों की वापसी का यक्ष प्रश्न मुंह बाए खड़ा हो गया। चूंकि वायरस चीन से पैदा हुआ था, इस कारण सबसे पहले वहीं से भारतीयों को निकालने की जरूर थी। भारत ने तब ऑपरेशन वंदे भारत लॉन्च किया। 7 मई, 2020 को मिशन का पहला चरण लॉन्च हो गया। उसके बाद से भारत ने चीन सहित दुनियाभर से करीब 70 लाख लोगों को निकाला। यह संभवतः भारत का वर्ष 1990 के बाद सबसे बड़ा ऑपरेशन था। उस वर्ष खाड़ी युद्ध छिड़ने के बाद भारत ने कुवैत से 1.70 लाख लोगों को निकाला था।

अफगानिस्तान में ऑपरेशन देव शक्ति

अमेरिका ने 2021 में अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को हटा लिया। उसके बाद वहां तालिबान का शासन हो गया। उस हालात में विदेशी ही नहीं, अफगानों के बीच भी देश छोड़कर भागने की होड़ मच गई। भारी अफरा-तफरी के माहौल में भारत के सामने भी वहां फंसे अपने नागरिकों के साथ-साथ अफगान हिंदू और सिख समुदाय के लोगों को निकालने की चुनौती थी। तभी मोदी सरकार ने ‘ऑपरेशन देवशक्ति’ शुरू किया। 16 अगस्त, 2021 को काबुल से 40 भारतीयों को एयरलिफ्ट कर लिया गया। लेकिन कुछ दिनों में ही तालिबानी आतंकियों का जत्था काबुल एयरपोर्ट तक भी पहुंच गया। तब भारत ने कंधार समेत अफगानिस्तान के अन्य इलाकों में अस्थाई दूतावास खोलकर ऑपरेशन देवशक्ति को संचालित करने लगा। इन प्रयासों से भारत ने अफगानिस्तान से हजारों लोगों को बाहर निकालने में सफलता पाई।

यूक्रेन में ऑपरेशन गंगा

जब यूक्रेन पर रूस का हमला हुआ तो कीव समेत कई बड़े शहर तबाह होने लगे। यूक्रेन के उन शहरों में मेडिकल की पढ़ाई करने गए भारतीय छात्रों की अच्छी-खासी तादाद थी। तब भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन गंगा’ चलाया था। इस अभियान के तहत भारत सरकार ने यूक्रेन से 1,000 भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया। सरकार ने भारतीय वायुसेना के सी-17 एयरक्राफ्ट को तैनात कर दिया था। वहीं, पोलैंड समेत यूक्रेन के अन्य पड़ोसी देशों में भारतीय दूतावासों ने स्टूडेंट्स की सुरक्षित निकासी के लिए बसों की व्यवस्था की, हर जगह 24*7 कंट्रोल सेंटर्स स्थापित किए और पश्चिमी यूक्रेन से बुडापेस्ट के लिए वैकल्पिक ट्रेन रूट की व्यवस्था की। भारत ने तब पाकिस्तानी और तुर्क स्टूडेंट्स को भी वहां से निकाला था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब केंद्रीय मंत्रियों हरदीप पुरी, किरेन रिजीजू, ज्योतिरादित्य सिंधिया और जनरल वीके सिंह को पोलैंड और रोमानिया भेजा था।

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