REPORT BY SAHIL PATHAN
अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) के भतीजे सोहैल कासकर (Sohail Kaskar) को भारत वापस लाने की कोशिश कर रही मुंबई पुलिस को कोशिश नाकामयाब हो गई. मुंबई पुलिस सूत्रों ने बताया कि सोहैल कासकर जिसे US की एजेंसियों ने नार्को टेररिज्म (Narco Terrorism) के आरोप में गिरफ़्तार किया था वो अब पाकिस्तान वापस चला गया है. वहीं US एजेंसियों द्वारा सोहैल के साथ गिरफ़्तार अली दानिश को भारत लाने में सफलता मिली थी जिसके बाद मुंबई पुलिस (Mumbai Police) सोहैल को भारत लाने की तैयारी में थी.
पाकिस्तान पहुंचा सोहैल कासकर
सूत्रों ने बताया कि हाल ही में एक इंटरसेप्शन में भारतीय जांच एजेंसियों को सोहैल कासकर की आवाज़ सुनाई दी थी जिसके बाद एजेंसियों ने पता लगाना शुरू किया तो पता चला कि वो US से निकल चुका है और दुबई होते हुए पाकिस्तान भी पहुंच गया है. बहरहाल पुलिस अबतक यह समझ नहीं पा रही है कि आख़िर ऐसा क्या हुआ कि सोहैल कासकर को US ने भारत को सौंपने के बजाय उसे जाने दिया.
कौन है अली दानिश?
सूत्रों ने बताया कि अली दानिश (Ali Danish) ने पिता दिल्ली के जामा मस्जिद में काम करते थे. उसके दो भाईयों में से एक डॉक्टर है जो क रशिया में प्रैक्टिस करता है तो दूसरा भाई सीनियर वकील है जो कि सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करता है. मुंबई पुलिस सूत्रों ने बताया कि साल 2001 में दानिश दुबई गया था जहां उसकी मुलाक़ात सोहैल कासकर से हुई थी जहां दो से तीन साल तक दोनो साथ में थे और फिर सोहैल ने दानिश को हीरे की स्मगलिंग के काम के बारे में बताया और तय किया कि वो रशिया जाएंगे जहां हीरे की बहुत खदाने हैं.
दानिश ने बहुत प्रयास किया पर उसे रशिया का वीसा नहीं मिल रहा था जिसके बाद साल 2003-04 में वो पढ़ाई के नाम पर स्टूडेंट वीसा लेकर रशिया गया. जहां उसने दो साल पढ़ाई की और फिर उसने हीरे की दुनिया में अपने पैर रखा. उसी दौरान सोहैल दक्षिण अफ़्रीका में हीरे की स्मगलिंग के आरोप में गिरफ़्तार हो गया और इस आरोप में वो क़रीब एक साल तक जेल में था, जेल से रिहा होने के बाद सोहैल और दानिश मिलकर हथियारों की स्मगलिंग करने लगे.
इस तरह अमेरिका की एजेंसी की रडार पर आए
सोहैल कासकर और दानिश इसके बाद स्पेन चले गए जहां पर वो पहली बार अमेरिकन एजेंसियों की रडार पर आए और फिर उन्हें अमेरिकन एजेंसी और स्पैनिश पुलिस ने एक प्लॉट बनाया ताकि वो इनके काम काज को और भी बेहतर समझ सके. जिसके बाद उनकी एजेंसी का एक अधिकारी आतंकी बना और फिर वो सोहैल और दानिश के सम्पर्क में आया. उस फ़र्ज़ी आतंकी ने अपने आपको को रिवोल्यूशनरी आर्म्ड फ़ोर्स ऑफ़ कोलंबिया से जुड़े होने का दावा किया था. उन्हें यह विश्वास दिलाया कि वो कोलंबियन सरकार के ख़िलाफ़ है और इसके लिए उन्हें आर्म्स और एम्युलेशन की बहुत ज़रूरत है.
अमरीकन जांच एजेंसियों ने उनकी हर एक मीटिंग का स्टिंग ओपरेशन किया ताकि उनके पास उन्हें गिरफ़्तार करने के लिए जितने चाहिए उतने सबूत रहे, इतना ही नहीं अमेरिकन एजेंसियों ने उन्हें इस डील के लिए पैसे भी दिए थे. इसके बाद साल 2014 में अमेरिकन एजेंसियों ने सोहैल, दानिश को हेरोइन (ड्रग्स) और एयर मिसाइल की डिलिंग मामले में गिरफ़्तार कर लिया था. इसके बाद यह मामला जांच के लिए फ़ेडरल ब्यूरो ओफ़ इंवेस्टिगेशन को सौंपा गया था. बता दें कि सोहैल दाऊद इब्राहिम के भाई नूरा कासकर का लड़का है, नूरा की मौत साल 2010 में पाकिस्तान में किडनी फेल होने की वजह से हुई थी.
सोहैल जब गिरफ़्तार किया गया था तब उसके साथ हामिद चिस्ती उर्फ़ बेनी, वाहब चिस्ती और अली दानिश को भी गिरफ़्तार किया गया था. 12 सितम्बर 2018 को कासकर को US फ़ेडरल कोर्ट (US Federal Court) ने सजा सुनाई थी जिसके बाद उसे भारत भेजने की तैयारी की गई थी क्योंकि उसकी गिरफ़्तारी के समय उसके पास से भारतीय पासपोर्ट मिला था. भारत और US के बीच साल 2005 में म्यूचअल लीगल असिस्टेंट्स ट्रीटी साइन हुई थी जिसके आधार पर ही सोहैल को भारत लाया जाने वाला था और ऐसा बताया जा रहा था कि उसकी कस्टडी भारत को मिल जाती तो दाऊद के बारे में और पता लगाने में मुंबई पुलिस को मौक़ा मिलता.
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