दो धमाकों से दहला अफगानिस्तान का मजार-ए-शरीफ शहर, 9 लोगों की मौत, 13 घायल
REPORT BY SAHIL PATHAN
अफगानिस्तान के बल्ख प्रांत के शहर मजार-ए-शरीफ में मिनी बसों पर हुए दोहरे बम विस्फोटों में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में स्वास्थ्य अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी गई है. TIN न्यूज के मुताबिक, दोनों धमाकों में सार्वजनिक परिवहन को निशाना बनाया गया. प्रांतीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने पुष्टि की है कि अस्पतालों में मृतकों के शव लाए गए हैं और घायलों का इलाज किया जा रहा है. इस बीच, किसी भी समूह ने विस्फोटों की जिम्मेदारी नहीं ली है.
पिछले कुछ दिनों में अफगानिस्तान में कई विस्फोट हुए हैं. मजार-ए-शरीफ में ही कुछ दिन पहले 21 अप्रैल (गुरुवार) को दोपहर की नमाज के दौरान सेह डोकान मस्जिद में बम विस्फोट हुआ था जिसमें 12 उपासक मारे गए थे और 58 लोग घायल हुए थे. इस विस्फोट की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली थी. तालिबान बलों ने इस सिलसिले में एक संदिग्ध आईएसआईएस आतंकवादी को गिरफ्तार किया जिसने शिया मस्जिद में बम हमले की योजना बनाई थी.
21 अप्रैल को ही अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गुरुवार को सड़क के किनारे किए गए विस्फोट में दो बच्चे जख्मी हो गए. यह विस्फोट शिया बहुल इलाके के पास हुआ था. इससे दो दिन पहले इसी इलाके में, शिक्षण संस्थानों को निशाना बनाकर कई विस्फोट किए गए थे. इन बम धमाकों में कम से कम छह बच्चों की मौत हो गई थी और 17 अन्य जख्मी हुए थे. ये धमाके काबुल के पास शिया बहुल इलाके दश्त-ए-बारची में अब्दुल रहीम शहीद हाई स्कूल के अंदर और मुमताज एजुकेशन सेंटर के निकट हुए. 22 अप्रैल को उत्तरी प्रांत कुंदुज की एक मस्जिद में विस्फोट हुआ था जिसमें 33 लोगों की मौत हो गई थी.
तालिबान के दावे पर उठे सवाल
तालिबान यह दावा करता आया है कि पिछले साल अगस्त में सत्ता संभालने के बाद से उन्होंने देश को सुरक्षित कर लिया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां और विश्लेषक तालिबान के इस दावे पर सवाल उठाते रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का कहना है कि अफगानिस्तान में आतंकवाद का फिर से उभरने का खतरा बना हुआ है और इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह ने कई बड़े हमलों का दावा किया है.
शिया समुदाय पर हमले कर रहा है आईएसआईएस
ISIS ने अफगानिस्तान में अक्सर शिया समुदाय के खिलाफ घातक हमलों की जिम्मेदारी ली है. शिया अफगान ज्यादातर हजारा जातीय समुदाय से हैं. देश के 38 मिलियन लोगों में से 10 से 20 प्रतिशत के बीच हैं. वे लंबे समय से ISIS के निशाने पर हैं, जो उन्हें विधर्मी मानते हैं.
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