NATIONAL NEWS

पढ़ाई के साथ की सिलाई;LIC एजेंट रहे, अब उपमुख्यमंत्री बने:सरपंच का चुनाव लड़ना चाहते थे; ABVP से शुरू हुआ राजनीतिक सफर

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

पढ़ाई के साथ की सिलाई;LIC एजेंट रहे, अब उपमुख्यमंत्री बने:सरपंच का चुनाव लड़ना चाहते थे; ABVP से शुरू हुआ राजनीतिक सफर

दूदू

जयपुर में दूदू की मौजमाबाद तहसील से 7 किलोमीटर दूर स्थित गांव श्रीनिवासपुरा में मंगलवार शाम से ही जश्न का माहौल है। 500 लोगों की आबादी वाले इस गांव में लोगों ने देर रात तक डीजे पर नाचकर जश्न मनाया।

दरअसल, उनके गांव के छोटे किसान परिवार से निकले डॉ. प्रेमचंद बैरवा प्रदेश के डिप्टी सीएम बने हैं। डॉ. प्रेमचंद बैरवा के डिप्टी सीएम बनने के बाद अब श्रीनिवासपुरा के लोगों को भरोसा है कि उनके गांव में बुनियादी सेवाओं का विस्तार होगा।

जब मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होना था, तब डॉ. प्रेमचंद बैरवा का पूरा परिवार टीवी के सामने बैठकर सीएम के नाम का इंतजार कर रहा था। लेकिन, जैसे ही डिप्टी सीएम के लिए डॉ. प्रेमचंद बैरवा का नाम आया तो वे भी चौंक गए। डॉ. प्रेमचंद बैरवा का खेती, सिलाई का काम, एलआईसी एजेंट से लेकर प्रॉपर्टी बिजनेसमैन और अब डिप्टी सीएम तक का सफर देख परिवार के लोग बहुत खुश हैं।

उनके घरवालों से उनकी जिंदगी के अनसुने किस्सों के बारे में जाना…।

डॉ. प्रेमचंद बैरवा के पुश्तैनी गांव श्रीनिवासपुरा में जश्न मनाते ग्रामीण।

डॉ. प्रेमचंद बैरवा के पुश्तैनी गांव श्रीनिवासपुरा में जश्न मनाते ग्रामीण।

पत्नी को घोषणा होने के बाद पता चला
डॉ. प्रेमचंद बैरवा का जन्म 31 अगस्त 1969 को श्रीनिवासपुरा गांव के किसान रामचंद्र बैरवा के घर में हुआ। जिस समय राजधानी जयपुर में विधायक दल की बैठक हो रही थी, उस दौरान डॉ. प्रेमचंद बैरवा का परिवार अपने मानसरोवर स्थित आवास पर था। पूरा परिवार नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर टीवी पर खबरें देख रहा था।

डॉ. प्रेमचंद की पत्नी नारायणी देवी ने बताया कि सुबह जब वह घर से निकले तो उन्होंने इस तरह की कोई बात नहीं की थी। हर रोज की तरह दिन चल रहा था। टीवी पर नाम आने के बाद ही मुझे अपने पति के डिप्टी सीएम बनने का पता चला।

भास्कर की टीम जब डॉ. प्रेमचंद के घर पहुंची तो उनकी पत्नी नारायणी देवी खाना बना रही थीं।

जब डॉ. प्रेमचंद के घर पहुंची तो उनकी पत्नी नारायणी देवी खाना बना रही थीं।

सरपंच का चुनाव लड़ना चाहते थे, पार्टी ने जिला परिषद का चुनाव लड़वाया
डॉ. प्रेमचंद बैरवा के बड़े भाई चिरंजीलाल ने बताया कि शुरुआती दिनों में उनके भाई ने काफी संघर्ष किया। पैदल ही स्कूल आते-जाते थे। दोस्त और पूर्व सरपंच (झाग) अर्जुनलाल जाट ने बताया कि डॉ. प्रेमचंद बैरवा पढ़ाई में शुरू से होशियार थे। उनके मन में कुछ करने का जज्बा शुरुआत से ही था। जीवन में बहुत संघर्ष किया।

डॉ. प्रेमचंद बैरवा के राजनीतिक गुरु दातार सिंह नाथावत ने बताया- साल 2000 में दूदू विधानसभा क्षेत्र के संगठन की कमान मेरे पास थी। उस समय डॉ. प्रेमचंद सरपंच का चुनाव लड़ना चाह रहे थे। लेकिन, उनकी योग्यता को देखते हुए जिला परिषद का चुनाव लड़वाया। इसके बाद लगातार आगे बढ़ते गए।

डॉ. प्रेमचंद बैरवा के मानसरोवर स्थित घर के बाहर लगा समर्थकों का जमावड़ा।

डॉ. प्रेमचंद बैरवा के मानसरोवर स्थित घर के बाहर लगा समर्थकों का जमावड़ा।

खेती और सिलाई के काम के बाद प्रॉपर्टी बिजनेस में हाथ आजमाया
डॉ. प्रेमचंद बैरवा को बचपन से पढ़ने की लगन रही है। शुरुआत में जीवन यापन के लिए भाई के साथ गांव में ही खेती की। इसके साथ जब वे पढ़ाई के लिए जयपुर में रहते थे तो यहां राजा पार्क में 1989 से 1995 तक सिलाई का काम किया। इसके साथ ही 1990 से 2005 तक LIC एजेंट के तौर पर भी काम किया। साल 2000 के बाद उन्होंने प्रॉपर्टी का काम शुरू किया, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली।

संगीत और धार्मिक कार्यक्रमों में रुचि
डॉ. प्रेमचंद बैरवा पढ़ाई के साथ-साथ संगीत का भी बहुत शौक रखते हैं। उन्हें ढोलक और मंजीरा बजाना बेहद पसंद है। बचपन से लेकर अब तक वे कई धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग तरह से अपनी भूमिका निभाई।

डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने राजस्थान विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।

डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने राजस्थान विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।

पड़ोस के गांव झाग में ली प्रारंभिक शिक्षा
डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने अपने गांव से 2 किलोमीटर दूर झाग गांव के सरकारी स्कूल से 8वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद साइंस सब्जेक्ट के लिए मौजमाबाद आ गए। यहां वे 12वीं तक पढ़े। 1992 में राजस्थान विश्वविद्यालय से बीए पास किया और 1996 में राजस्थान विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ आट्‌र्स की डिग्री ली। 1999 में मास्टर ऑफ फिलॉसफी (दक्षिण एशिया अध्ययन) और 2012 में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (भारत भूटान के संबंध-चीन के संदर्भ में) की उपाधि हासिल की।

स्कूली और कॉलेज शिक्षा के दौरान डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कई पुरस्कार जीते।

स्कूली और कॉलेज शिक्षा के दौरान डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कई पुरस्कार जीते।

ABVP से की राजनीतिक करियर की शुरुआत
कॉलेज शिक्षा के दौरान डॉ. प्रेमचंद बैरवा छात्र संगठन एबीवीवी से जुड़ गए। 1995 में संगठन की ओर से उन्होंने दूदू ब्लॉक में काम किया। साल 2000 में उन्होंने पहली बार राजनीति में कदम रखा और दूदू के वार्ड 15 से जिला परिषद का चुनाव जीते। इसके बाद उन्हें दूदू बीजेपी मंडल का महामंत्री बनाया गया। इस दौरान डॉ. प्रेमचंद बैरवा पार्टी और संगठन के लिए हर जिम्मेदारी निभाते रहे।

2013 में पहली बार विधायक बने
बीजेपी ने उन्हें 2013 के विधानसभा चुनाव में दूदू से प्रत्याशी बनाया। उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता बाबूलाल नागर के भाई हजारी लाल नागर को 33 हजार 720 वोटों से हराया। हालांकि 2018 में वे निर्दलीय बाबूलाल नागर से 14,779 वोटों से चुनाव हार गए।

2013 में पहली बार विधायक बनने पर निर्वाचन का प्रमाण पत्र।

2013 में पहली बार विधायक बनने पर निर्वाचन का प्रमाण पत्र।

बाबूलाल नागर को हराकर किया कमबैक
2018 में चुनाव हारने के बाद भी डॉ. प्रेमचंद बैरवा अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रहे। लोगों के बीच उनकी छवि ईमानदार और सरल स्वभाव के नेता के तौर पर है। हालिया विधानसभा चुनाव में डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कांग्रेस के बाबूलाल नागर को 35,743 वोटों के अंतर से हराया।

एक बेटा और तीन बेटी हैं
डॉ. प्रेमचंद बैरवा के दो भाई और चार बहन हैं। सबसे बड़े भाई चिरंजीलाल हैं। उनसे छोटे गोगाराम का देहांत हो चुका है। सबसे छोटे डॉ. प्रेमचंद बैरवा हैं। डॉ. प्रेमचंद की शादी बचपन में ही फागी तहसील के चकवाडा गांव की नारायणी देवी से हुई। उनके 3 बेटियां और 1 बेटा है। बेटी प्रियंका और ज्योति की शादी हो चुकी है। छोटी बेटी पूजा ग्रेजुएशन कर रही है। बेटा चिन्मय 12वीं क्लास में पढ़ रहा है।

डॉ. प्रेमचंद बैरवा की फैमिली फोटो। उनकी तीन बेटी और एक बेटा है।

डॉ. प्रेमचंद बैरवा की फैमिली फोटो। उनकी तीन बेटी और एक बेटा है।

श्रीनिवासपुरा गांव में डॉ. प्रेमचंद बैरवा का पुश्तैनी मकान, जहां वह शुरू में रहा करते थे।

श्रीनिवासपुरा गांव में डॉ. प्रेमचंद बैरवा का पुश्तैनी मकान, जहां वह शुरू में रहा करते थे।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!