देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने पर्सनल स्टाफ से 8 अधिकारियों को 20 संसदीय कमेटियों में नियुक्त किया है। उपराष्ट्रपति ऑफिस और राज्यसभा सभापति के ऑफिस से 4-4 अधिकारियों को इन कमेटियों में जोड़ा गया है। ये अधिकारी कमेटियों के काम में मदद करेंगे, जिसमें इनकी गोपनीय मीटिंग भी शामिल हैं।
मंगलवार को जारी हुए एक ऑर्डर में राज्यसभा सचिवालय ने कहा कि अधिकारियों को कमेटियों में तत्काल प्रभाव से और अगले ऑर्डर तक के लिए जोड़ा गया है। विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति के इस कदम का विरोध किया है। कांग्रेस के कई नेताओं ने आरोप लगाया है कि कमेटियों के काम पर नजर रखने के लिए ये नियुक्तियां की गई हैं।
उपराष्ट्रपति के OSD और पर्सनल सेक्रेटरी की नियुक्ति
उपराष्ट्रपति के स्टाफ में से ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) राजेश एन नाइक, प्राइवेट सेक्रेटरी (PS) सुजीत कुमार, एडिशनल प्राइवेट सेक्रेटरी संजय वर्मा और OSD अभ्युदय सिंह शेखावत को इन कमेटियों से जोड़ा गया है। वहीं राज्यसभा सभापति के ऑफिस से जगदीप धनखड़ के OSD अखिल चौधरी, दिनेश डी, कौस्तुभ सुधाकर भालेकर और PS अदिति चौधरी को नियुक्त किया है।
पहले कभी नहीं हुई ऐसी नियुक्ति
लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल पी डी टी आर्चाय ने बताया कि संसदीय कमेटियों में सांसद और मदद के लिए लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के अधिकारी होते हैं। स्पीकर या सभापति अपने पर्सनल स्टाफ को कमेटियों में नियुक्त नहीं कर सकते हैं। इससे पहले ऐसी नियुक्ति कभी नहीं हुई है।
मनीष तिवारी और जयराम रमेश ने जताया विरोध
कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति हैं। वे उपसभापति की तरह सदन के सदस्य नहीं हैं। वे अपने पर्सनल स्टाफ को संसद की स्टैंडिंग कमेटियों में कैसे नियुक्त कर सकते हैं। क्या ये संस्थागत ढांचे को बर्बाद करने जैसा नहीं होगा?
राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप जयराम रमेश ने कहा है कि वे इस मुद्दे को उपराष्ट्रपति के सामने उठाएंगे। उन्होंने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि इस कदम के पीछे का मकसद और जरूरत क्या है। राज्यसभा की सभी कमेटियों में सचिवालय का योग्य स्टाफ मौजूद है। ये कमेटियां राज्यसभा की हैं ना कि सभापति की।
हरेक स्टैंडिंग कमेटी में होते हैं 31 सांसद
देश में कुल 24 स्टैंडिंग कमेटियां हैं। हरेक में 21 लोकसभा सांसद और 10 राज्यसभा सांसद हैं। इन 24 में से 16 कमेटियां लोकसभा स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में काम करती हैं वहीं 8 राज्यसभा सभापति के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। ज्यादातर बिल्स को सदन में पेश करने के बाद विस्तृत चर्चा के लिए इन कमेटियों के पास भेजा जाता है।
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