WORLD NEWS

पाकिस्तान में एक दिन में 2 फिदायीन हमले, 59 मौतें:नमाज और ईद-ए-मिलाद के जुलूस में हुए धमाके; बलूचिस्तान में ही 55 की जान गई

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

पाकिस्तान में एक दिन में 2 फिदायीन हमले, 59 मौतें:नमाज और ईद-ए-मिलाद के जुलूस में हुए धमाके; बलूचिस्तान में ही 55 की जान गई

इस्लामाबाद

  • नमाज और ईद-ए-मिलाद के जुलूस में हुए धमाके; बलूचिस्तान में ही 55 की जान गई|विदेश,International - Dainik Bhaskar0:41
  • नमाज और ईद-ए-मिलाद के जुलूस में हुए धमाके; बलूचिस्तान में ही 55 की जान गई|विदेश,International - Dainik Bhaskar
  • नमाज और ईद-ए-मिलाद के जुलूस में हुए धमाके; बलूचिस्तान में ही 55 की जान गई|विदेश,International - Dainik Bhaskar
  • नमाज और ईद-ए-मिलाद के जुलूस में हुए धमाके; बलूचिस्तान में ही 55 की जान गई|विदेश,International - Dainik Bhaskar
  • नमाज और ईद-ए-मिलाद के जुलूस में हुए धमाके; बलूचिस्तान में ही 55 की जान गई|विदेश,International - Dainik Bhaskar
  • नमाज और ईद-ए-मिलाद के जुलूस में हुए धमाके; बलूचिस्तान में ही 55 की जान गई|विदेश,International - Dainik Bhaskar
  • नमाज और ईद-ए-मिलाद के जुलूस में हुए धमाके; बलूचिस्तान में ही 55 की जान गई|विदेश,International - Dainik Bhaskar

1/7

पाकिस्तान में शुक्रवार को 2 जगहों पर 2 ब्लास्ट हुए। पहला धमाका बलूचिस्तान के मस्तुंग शहर में एक मस्जिद के पास हुआ। ये आत्मघाती हमला था। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, इसमें एक DSP समेत 55 लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 लोग घायल हुए हैं। हमले के वक्त लोग ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूस के लिए इकट्ठा हो रहे थे।

दूसरा धमाका खैबर पख्तूनख्वा के हंगू शहर की मस्जिद में हुआ। ये भी फिदायीन हमला था। पाकिस्तानी मीडिया न्यूज इंटरनेशनल के मुताबिक, यहां एक पुलिस अफसर समेत 4 लोगों की मौत हो गई। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मस्जिद में नमाज पढ़ी जा रही थी तभी धमाका हुआ। इसके बाद मस्जिद की छत गिर गई। यहां 30-40 लोग मलबे में दबे हुए हैं। 12 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है।

सबसे पहले बलूचिस्तान में हुए धमाके की तस्वीरें देखें…

मस्जिद के पास हुए धमाके में बच्चे भी घायल हुए हैं।

मस्जिद के पास हुए धमाके में बच्चे भी घायल हुए हैं।

आत्मघाती हमले में घायल हुए लोगों को मस्तुंग के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

आत्मघाती हमले में घायल हुए लोगों को मस्तुंग के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

सुसाइड ब्लास्ट में मरने वालों में एक पुलिस अफसर भी शामिल है।

सुसाइड ब्लास्ट में मरने वालों में एक पुलिस अफसर भी शामिल है।

जरूरत पड़ने पर घायलों को कराची शिफ्ट किया जाएगा।

जरूरत पड़ने पर घायलों को कराची शिफ्ट किया जाएगा।

बलूचिस्तान धमाके में घायल लोगों का इलाज करवाएगी सरकार
पहला धमाका बलूचिस्तान के मस्तुंग शहर में हुआ। यहां के असिस्टेंट कमिश्नर ने बताया कि ब्लास्ट DSP नवाज गिशकोरी की कार के पास हुआ। जियो न्यूज के मुताबिक, हमले में जिस पुलिस ऑफिसर की मौत हुई है वो DSP नवाज ही हैं।

बलूचिस्तान के कार्यवाहक सूचना मंत्री जन अचकजई ने बताया कि सभी घायलों को अस्पताल भेजा गया है। जरूरत पड़ी तो उन्हें कराची शिफ्ट किया जाएगा। घायलों के इलाज की पूरी जिम्मेदारी सरकार उठाएगी।

बलूचिस्तान में 3 दिन का शोक
बलूचिस्तान के चीफ मिनिस्टर ने पूरे प्रांत में 3 दिन के शोक का ऐलान किया है। बलूचिस्तान में एक्टिव आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP ने कहा है कि इस विस्फोट के पीछे उनका हाथ नहीं है। उन्होंने इस हमले की निंदा की है। हमारा मकसद साफ है कि हम मस्जिद और पब्लिक गैदरिंग को निशाना नहीं बनाते हैं।

अब खैबर पख्तूनख्वा में हुए धमाके की तस्वीरें देखें…

धमाके के बाद मस्जिद की छत गिर गई। मलबे में 30-40 लोगों के दबे होने की आशंका है।

धमाके के बाद मस्जिद की छत गिर गई। मलबे में 30-40 लोगों के दबे होने की आशंका है।

मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

खैबर में पुलिस ने एक धमाका रोका
पहले खबर थी कि हंगू शहर में दो धमाके हुए। एक पुलिस स्टेशन के बाहर और एक मस्जिद के अंदर। अब पुलिस अधिकारियों ने जानकारी दी है कि पुलिस स्टेशन के बाहर धमाका नहीं हुआ। वहां पुलिस अफसरों ने धमाके से पहले ही स्टेशन के अंदर घुस रहे एक आतंकी को मार गिराया।

खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस अधिकारियों ने कहा- दो आतंकी पुलिस स्टेशन में घुसने की कोशिश कर रहे थे। एक को हमने मार गिराया और दूसरा फरार हो गया। भागने वाला ये आतंकी सुसाइड बॉम्बर था, जिसने पास की मस्जिद में हमला कर दिया।

सूचना मंत्री बोले- विदेशी ताकतों की मदद से बलूचिस्तान में शांति भंग कर रहे दुश्मन
बलूचिस्तान के कार्यवाहक सूचना मंत्री जन अचकजई ने कहा- हमारे दुश्मन विदेशी ताकतों की मदद से बलूचिस्तान में धार्मिक जगहों को निशाना बनाकर शांति भंग करना चाहते हैं। इस तरह के हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। बलूचिस्तान में सरकार के मंत्रियों और दूसरे कई नेताओं ने हमले की निंदा की है।

दरअसल, बलूचिस्तान में बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) की हुकूमत चलती है। यह संगठन पाकिस्तान से आजादी की मांग कर रहा है। बलूचिस्तान के नागरिक 1947-1948 से ही खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। इसके बावजूद ये प्रांत किसी तरह पाकिस्तान के नक्शे पर मौजूद रहा। इन्हें दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता रहा। पंजाब, सिंध या खैबर पख्तूनख्वा की तरह उन्हें कभी अपने जायज हक भी नहीं मिले। वक्त गुजरता रहा और इसके साथ ही इनका गुस्सा भी बढ़ता गया।

पाकिस्तान के PM, राष्ट्रपति ने हमले की निंदा की
पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री अनवार-उल-हक काकड़ ने भी मस्जिद के पास हुए हमले की निंदा की है। काकड़ ने मरने वालों के परिजन के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को घायलों को हरसंभव मदद पहुंचाने का आदेश दिया है। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने दुख जताया है।

कल TTP के हमले में मारे गए थे 4 सैनिक
28 सितंबर को पाकिस्तानी सैनिकों और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आतंकियों के बीच झड़प हो गई थी। आज इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने बयान जारी करते हुए कहा कि झड़प में 4 सैनिकों की मौत हुई। आतंकी अफगानिस्तान से पाकिस्तान में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे।

TTP के आतंकियों ने 28 सितंबर की शाम 5:45 बजे पाकिस्तान में घुसपैठ की कोशिश की थी।

TTP के आतंकियों ने 28 सितंबर की शाम 5:45 बजे पाकिस्तान में घुसपैठ की कोशिश की थी।

अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता आने के बाद पाकिस्तान में आतंक बढ़ा
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में आंतकी संगठन TTP को मजबूती मिली है। आतंकवाद की फैक्ट्री कहे जाने वाले पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकी संगठन हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान सबसे खतरनाक माना जाता है। इसी संगठन ने मलाला यूसुफजई पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। इसी ने पेशावर में सैनिक स्कूल पर हमला करके 114 बच्चों को मार दिया था।

दरअसल, पाकिस्तानी तालिबान की जड़ें जमना उसी वक्त शुरू हो गई थीं, जब 2002 में अमेरिकी कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान से भागकर कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छुपे थे। इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की मुखालफत होने लगी। कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे। ऐसे में दिसंबर 2007 को बेतुल्लाह महसूद की अगुआई में 13 गुटों ने एक तहरीक यानी अभियान में शामिल होने का फैसला किया, लिहाजा संगठन का नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान रखा गया। शॉर्ट में इसे TTP या फिर पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है। यह अफगानिस्तान के तालिबान संगठन से अलग है, लेकिन इरादे करीब-करीब एक जैसे हैं। दोनों ही संगठन शरिया कानून लागू करना चाहते हैं।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!