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पायलट के गढ़ को जीतने के लिए BJP ने उतार दिया स्थानीय उम्मीदवार, टोंक में अजीत होंगे कितने ‘असरदार’

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पायलट के गढ़ को जीतने के लिए BJP ने उतार दिया स्थानीय उम्मीदवार, टोंक में अजीत होंगे कितने ‘असरदार’

बीजेपी ने अपनी तीसरी लिस्ट में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की सीटों पर भी उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। टोंक विधानसभा में बीजेपी ने स्थानीय उम्मीदवार को तरजीह दी है। पार्टी ने पूर्व विधायक अजीत सिंह मेहता को चुनावी मैदान में उतारा गया है।

टोंक पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के गढ़ टोंक विधानसभा से बीजेपी ने तीसरी लिस्ट में आखिर अपने पत्ते खोल दिए। इस चुनाव में स्थानीय उम्मीदवार के मुद्दे पर मास्टर स्ट्रोक खेलकर बीजेपी ने पायलट के सामने पूर्व विधायक अजीत सिंह मेहता को चुनावी मैदान में उतारा है। इसको लेकर बीजेपी ने गुरुवार दोपहर बाद अपनी तीसरी लिस्ट जारी की। इधर, मेहता के टोंक से उम्मीदवार की घोषणा होते ही भाजपा कार्यकर्ताओं में जश्न फैल गया। इसी तरह निवाई-पीपलू विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक प्रशांत बैरवा के सामने बीजेपी ने रामसहाय वर्मा को टिकट दिया है। उधर, टोंक विधानसभा से होने वाला चुनाव अब काफी रोचक बन गया है। बता दें कि टोंक में इस बार स्थानीय उम्मीदवार को लेकर मुद्दा काफी गहराया हुआ हैं। इधर, कांग्रेस की तरफ से पायलट चुनाव मैदान में है। ऐसे में इस चुनाव में पायलट को स्थानीय उम्मीदवार पूर्व विधायक अजीत सिंह मेहता से कड़ी टक्कर मिल सकती है। जबकि इस बार चुनाव मैदान में AIMIM और आम आदमी पार्टी भी पायलट को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे। यानी इस चुनाव में पायलट के लिए पहले की तरह राह आसान नहीं होगी।

2013 में विधायक बने थे अजीत सिंह मेहता

टोंक निवासी अजीत सिंह मेहता पिछले 2013 के चुनाव में बीजेपी से निर्वाचित हुए थे। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार सऊद सईदी को 30, 343 वोटों से पराजित किया था। इसके बाद 2018 में उनका टिकट काट दिया गया। उस समय कांग्रेस ने सचिन पायलट को मुस्लिम बाहुल्य वर्ग को साधने के लिए टोंक विधानसभा से उतारा। इसके चलते अजीत सिंह मेहता का टिकट फाइनल होने के बाद भी एन मौके पर काटकर वसुंधरा राजे के करीबी पूर्व मंत्री यूनुस खान को दिया गया। हालांकि इस चुनाव में यूनुस खान को पायलट से करारी हार मिली। जहां पायलट ने यूनुस खान को 54 हजार से अधिक वोटो से हराया।

स्थानीय उम्मीदवार का मुद्दा चुनाव में पड़ सकता है भारी

विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों शुरू होने के साथ ही टोंक में इस बार स्थानीय उम्मीदवार को प्राथमिकता देने का मुद्दा जमकर गर्म रहा। हालांकि टोंक के कांग्रेसी कार्यकर्ता सचिन पायलट को ही अपना उम्मीदवार बनाने के लिए मांग करते रहे। लेकिन बीजेपी में स्थानीय उम्मीदवार का मुद्दा छाया रहा। पिछली बार सचिन पायलट के सीएम बनने की आस को लेकर टोंक की जनता ने उनको जीताकर भेजा। लेकिन पूरे 5 साल कुर्सी को लेकर मची खींचतान में पायलट अपनी ही लड़ाई में व्यस्त रहे। इसके कारण टोंक की जनता ने खुद को ठगा महसूस किया। इसके बाद से टोंक में स्थानीय उम्मीदवार को ही प्राथमिक देने का मुद्दा छा गया। लोगों का कहना है कि टोंक से ऐसा स्थानीय उम्मीदवार होना चाहिए। जिस तक हर आमजन की पहुंचे हो सके।

AIMIM और आम आदमी पार्टी बिगड़ सकती है पायलट की गणित

इस विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट की राह आसान नहीं होगी। इसको लेकर शुरू से उनकी घेराबंदी करने के प्रयास शुरू हो चुके थे। मुस्लिम बाहुल्य सीट होने के कारण ओवैसी शुरू से ही टोंक पर नजरे गढ़ाए हुए थे। इसको लेकर उन्होंने पहली बार टोंक से शोएब खान को अपना उम्मीदवार बनाया। इससे पहले ओवैसी टोंक में जनसभा भी कर चुके हैं। इस चुनाव में औवेसी पायलट के वोट बैंक में सेंध लगाकर मुस्लिम समाज के वोटों को बटोरना चाहते हैं। इसी तरह आम आदमी पार्टी ने भी मुन्ना केसरी को उम्मीदवार बनाया है।

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