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पायलट के विरोध में 70 विधायकों का इस्तीफा:आज रात ही सुलह की कोशिश, गहलोत गुट ने माकन-खड़गे के सामने 3 पाॅइंट का एजेंडा रखा

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*पायलट के विरोध में 70 विधायकों का इस्तीफा:आज रात ही सुलह की कोशिश, गहलोत गुट ने माकन-खड़गे के सामने 3 पाॅइंट का एजेंडा रखा*
राजस्थान की राजनीति एक नए मोड़ पर आ गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने की तैयारी है। उनकी जगह मुख्यमंत्री के रूप में हाईकमान की पसंद सचिन पायलट हैं, लेकिन गहलोत खेमा पायलट के नाम पर नाराज हो गया है। विधायक दल की बैठक से पहले ही गहलोत गुट के करीब 70 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचकर इस्तीफा दे दिया है।मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दावा किया कि हमारे पास 92 विधायक हैं। हमारी एक ही मांग है कि बगावत करने वाले लोगों में से सीएम न बनाया जाए।

विधायक दल की बैठक रद्द होने के बाद ताजा घटनाक्रम को लेकर सीएम हाउस पर बैठक हो रही है। बैठक में अजय माकन, मल्लिकार्जुन खड़गे, गहलोत, पायलट, रघु शर्मा और कुछ वरिष्ठ मंत्री मौजूद हैं। गहलोत खेमे के विधायकों को मनाने और उनकी बात सुनने पर चर्चा की जा रही है। कांग्रेस नेता आज रात ही सुलह करने की कोशिश कर रहे हैं, इसके लिए एक-एक करके विधायक सीएम हाउस पहुंचने लगे हैं। यहां हर विधायक से बातचीत की जाएगी।

*गहलोत गुट ने 3 बिंदु पर सुलह का प्रस्ताव रखा*
खड़गे और माकन के सामने अशोक गहलोत के गुट ने 3 बिंदुओं का प्रस्ताव रखा है। गहलोत गुट का कहना है कि नया सीएम सरकार बचाने वाले 102 विधायकों में से ही होना चाहिए, यानी सचिन पायलट को सीएम न बनाया जाए। इसके साथ ही नए सीएम की घोषणा 19 अक्टूबर को अध्यक्ष के चुनाव के बाद की जाए और गहलोत के पसंद का ही मुख्यमंत्री बनाया जाए।
वहीं अजय माकन ने कहा- हम दिल्ली नहीं जा रहे हैं। एक-एक विधायक से बात करेंगे।
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा- गहलोत से बात नहीं हुई, लेकिन जल्द समाधान होगा। उन्होंने कहा, न तो मैंने आज सीएम गहलोत से बात की न उन्होंने मुझे कॉल किया। मुद्दे का जल्द समाधान निकाल लिया जाएगा। माना जा रहा है कि एक बार फिर राजस्थान में विधायकों की बाड़ाबंदी हो सकती है।इधर, मंत्री शांति धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास, महेश जोशी और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा रविवार रात साढ़े 10 बजे सीएम निवास पहुंचे। रात को ऑब्जर्वर से बातचीत के बाद चारों स्पीकर जोशी के बंगले पर पहुंचे। मुख्यमंत्री गहलोत, खड़गे और माकन से हुई बातचीत का ब्योरा विधायकों को दिया। विधायकों ने 19 अक्टूबर तक कांग्रेस अध्यक्ष का रिजल्ट नहीं आने तक पार्टी की बैठक में शामिल नहीं होने की बात कही है।
जोशी के बंगले से बाहर निकले कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने 5 बार कहा- एवरी थिंग इज ओके।
मंत्री टीकाराम जूली ने जोशी के बंगले से बाहर निकल कर कहा हम अपने घर जा रहे हैं। करीब 90 के आसपास विधायकों ने इस्तीफे दे दिए हैं। अब क्या होगा यह कांग्रेस आलाकमान तय करेगा। सोनिया गांधी से बात होगी उसके बाद ही आगे कुछ हो पाएगा।मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने कहा- बैठक में यही तय हुआ है कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव होने तक कुछ नहीं होगा ।आगे पार्टी आलाकमान तय करेगी। माना जा रहा है कि 18 अक्टूबर तक कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं होगी। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के परिणाम आने के बाद अब बैठक होगी। उसके बाद फिर कांग्रेस विधायक दिल्ली जा सकते हैं। दिल्ली में सोनिया गांधी से सभी विधायक मुलाकात करेंगे।वहीं सचिन पायलट, उनके समर्थक एमएलए और कुछ अन्य विधायक विधायक दल की बैठक के लिए सीएम हाउस पहुंच गए थे।
इसके पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश प्रभारी अजय माकन और ऑब्जर्वर मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने होटल पहुंचे। छोटी सी मीटिंग के बाद तीनों सीएम हाउस पहुंचे। लेकिन कई विधायकों के नहीं पहुंचने से बैठक रद्द हो गई।कांग्रेस में सीएम बदलने के मुद्दे पर गहलोत समर्थक विधायकों ने सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी थी। मंत्री शांति धारीवाल के घर बैठक में गहलोत गुट के विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी से मिलकर इस्तीफे सौंपने की रणनीति बनाई। गहलोत गुट के कई विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने की सलाह दी थी। इस बैठक में 70 से ज्यादा विधायक मौजूद रहे।विधायक दल की बैठक से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि ऐसी बैठकों में एक लाइन का रिजोल्यूशन पास करते हैं कि जो हाईकमान तय करेगा, वही हमें मंजूर होगा। यह मीडिया ने फैलाया है कि मैं सीएम पद नहीं छोड़ना चाहता, मैंने तो 9 अगस्त को ही हाईकमान से कह दिया था कि जो सरकार रिपीट करवा सके, उसे ही सीएम बनाना चाहिए।
इधर, मंत्री राजेंद्र गुढ़ा धारीवाल के बंगले के गेट से वापस लौट गए। उन्होंने कहा कि यहां 101 विधायक नहीं हैं।

*अपडेट्स*
– मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने शांति धारीवाल के घर हुई गहलोत समर्थक विधायकों की बैठक से दूरी बना ली। गुढ़ा धारीवाल के बंगले के गेट से वापस लौट गए। गुढ़ा ने कहा कि बहुमत के लिए 101 विधायक चाहिए, इसके बिना सरकार अल्पमत में होती ही। यहां बैठक में 101 विधायक नहीं हैं, इसलिए मैं नहीं गया। विधायक संदीप यादव, वाजिब अली और लाखन मीना धारीवाल के निवास पहुंच गए हैं। इन्हें राजेन्द्र गुढ़ा अपने कैम्प में बता रहे थे। ग्रुप 6 टूट गया है। खिलाड़ी लाल बैरवा और गिर्राज सिंह मलिंगा गुढ़ा के साथ हैं और बैठक में नहीं गए।

– सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गहलाेत एक लाइन का प्रस्ताव पढ़ सकते हैं कि फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ा जाता है। इसका अनुमोदन पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा कर सकते हैं।

– मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि अशोक गहलोत क्लास के मॉनिटर नहीं है, जिन्हें कि यूं ही बदलकर किसी को सीएम बना दें। बीजेपी ने अगर तोड़फोड़ कर दी तो क्या होगा? सरकार बचाने में जिन 102 विधायकों ने मदद की थी, उनमें से ही सीएम बने। आलाकमान जिस नाम को तय करेगा, वह हमें मंजूर होगा।

– सूत्रों के मुताबिक गहलोत सरकार को समर्थन देने वाले कांग्रेस विधायक सचिन पायलट का नाम उछलने से नाराज हैं। वह चाहते हैं कि जो विधायक सियासी संकट के वक्त गहलोत सरकार के साथ रहे, उनकी बात को पूरी तवज्जो दी जाए।

– धारीवाल के बंगले पहुंचे निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा- गहलोत ही सीएम रहने चाहिए। गहलोत के अलावा किसी दूसरे को सीएम बनाया तो निर्दलीय विधायक समर्थन वापस ले लेंगे। मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय बोले- अशोक गहलोत ही रहें मुख्यमंत्री। उन्हें बदला नहीं जाए।

– मंत्री गोविंदराम मेघवाल ने कहा- हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही रहें, संयम लोढ़ा एक सुलझे हुए व्यक्ति हैं, उन्होंने जो कहा है सोच समझकर ही कहा है। इधर, पायलट के घर भी उनके समर्थक विधायक अगली रणनीति पर बातचीत कर रहे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करेंगे। इस बीच राज्य के नए CM का नाम तय करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए प्रदेश प्रभारी अजय माकन और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे जयपुर पहुंच गए हैं। बैठक के लिए दोनों नेताओं को ऑब्जर्वर बनाया है।
गहलोत ने आज दोपहर जैसलमेर में कहा- अगला सीएम वो नेता हो जो प्रदेश में सरकार रिपीट करा सके। सरकार के कई मंत्रियों ने भी गहलोत के समर्थन में बयान देकर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है।

गहलोत ने कहा, सीएम के चयन के लिए विधायक दल की बैठक बुलाना और हाईकमान पर फैसला छोड़ने की परंपरा रही है। यही कांग्रेस की ताकत रही है। मैं कई पदों पर रह चुका हूं, अब नई पीढ़ी को चांस मिलना चाहिए। आज भी आपको उसी विश्वास की झलक देखने को मिलेगी। आपको ज्यादा इधर-उधर सोचने की जरूरत नहीं होगी।उन्होंने कहा कि यह गलत प्रचारित किया गया कि मैं राजस्थान सीएम का पद नहीं छोड़ना चाहता। मैं तो अगस्त में ही हाईकमान को कह चुका कि अगला सीएम उसे बनाइए को सरकार रिपीट करवा सके। अब जो अगला मुख्यमंत्री बनेगा उसे कहूंगा कि वो युवाओं पर ध्यान दे। मेरी कलम गरीब के लिए चली। अब मैं चाहता हूं कि नौजवानों के बीच जाऊं।
*मंत्री गर्ग बोले- यह रायशुमारी का वक्त नहीं*
मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा कि 2 साल पहले बीजेपी के साथ मिलकर राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराने की साजिश की गई थी, तब 102 विधायकों और सहयोगियों ने मिलकर सरकार को बचाया था। गर्ग ने कहा कि पद खाली होने के बाद रायशुमारी होती है, यह रायशुमारी का वक्त नहीं है। आलाकमान का फैसला सभी को मंजूर होगा। हालांकि आलाकमान को राजस्थान की जनता और MLA की अपेक्षाओं को ध्यान में रखना चाहिए।
*माकन-खड़गे विधायकों से राय लेंगे, 2018 में वेणुगोपाल आए थे*
अजय माकन और खड़गे का विधायक दल की बैठक में आने का मकसद नए सीएम के नाम पर विधायकों का मन टटोलना माना जा रहा है। दोनों नेता विधायक दल की बैठक में नए सीएम चेहरे के दो से तीन नामों के बारे में राय जानेंगे और फिर हाईकमान को रिपोर्ट सौंपेंगे। कांग्रेस में सीएम चयन के लिए यही प्रोसेस अपनाया जाता है। साल 2018 में विधायक दल की बैठक में सीएम पर राय लेने केसी वेणुगोपाल को भेजा गया था।
*सोनिया पहले ही एक पद पर रहने का सुना चुकी हैं फैसला*
सीएम अशोक गहलोत ने 21 सितम्बर को दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। बताया जाता है कि इस दो घंटे की मुलाकात में गहलोत को सोनिया गांधी ने एक ही पद पर रहने और अध्यक्ष पद पर नामांकन करने पर फैसला सुना दिया था। उसके बाद गहलोत ने राहुल गांधी से मुलाकात की और सीएम पद छोड़ने का बयान दिया था। अब सब कुछ पहले से तय कार्यक्रम के हिसाब से सियासी घटनाक्रम चलेगा।
*गहलोत ने दो दिन पहले ही दिए थे रायशुमारी के संकेत*
सीएम अशोक गहलोत ने कोच्चि और शिर्डी दौरे के समय मीडिया से बातचीत में कहा था कि नए सीएम पर फैसला पार्टी विधायकों की राय के आधार पर हाईकमान करेगा। सोनिया गांधी और प्रभारी अजय माकन प्रोसेस तय करेंगे। अब प्रभारी माकन और खड़गे विधायक दल की बैठक में बतौर ऑब्जर्वर आए हैं।

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