पीरियड में दर्द पर 5 देशों की महिलाओं से बात:2 देश ऐसे, जहां मिलती है छुट्टी, जयपुर की स्टूडेंट्स की डिमांड- दर्द समझे सरकार
जयपुर
एक कॉलेज में काम करने वाली फोर्थ क्लास वर्कर महिला। पीरियड्स में असहनीय दर्द के बावजूद बस में अपने घर से कॉलेज आती। कॉलेज में पूरे समय पेट पकड़कर बैठी रहती। छुट्टी नहीं लेती, क्योंकि पैसे कट जाते और आर्थिक हालत इतनी कमजोर कि 1 रुपए का भी नुकसान नहीं उठा सकती।
कुछ महिलाएं पेन किलर खाकर और इंजेक्शन लगवाकर काम करती हैं।
कई महिलाएं आर्थिक रूप से इतनी कमजोर कि सेनेटरी पैड तक नहीं खरीद सकती। खराब क्वालिटी के सरकारी पेड यूज किए तो इन्फेक्शन हो गया। कई महिलाओं को अपना यूट्रस तक निकलवाना पड़ा।
ऐसे ही कई डरावने सच सामने आए हैं राजस्थान यूनिवर्सिटी में बीए-एलएलबी की फाइनल ईयर की स्टूडेंट मानसी व्यास (21) के सर्वे में। मानसी ने पीरियड्स के समय महिलाओं को आने वाली समस्याओं को लेकर भारत सहित पांच देशों मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और जांबिया में सर्वे किया।
इस सर्वे के जरिए 500 से ज्यादा महिलाओं का दर्द समझने की कोशिश की। एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसके आधार पर राजस्थान सरकार से कामकाजी महिलाओं और लड़कियों को मेंस्ट्रुअल पेन लीव (पीरियड्स के दौरान अवकाश) देने की मांग उठाई है।
मानसी की जुबानी पढ़िए, कैसे हुई इस अनोखी मुहिम की शुरुआत…
मानसी ने सर्वे की शुरुआत राजस्थान यूनिवर्सिटी से की। कई महिलाओं और युवतियों से बात कर पीरियड्स के समय होने वाली समस्याओं के बारे में जाना।
मुझे भी दर्द के साथ भेदभाव का सामना करना पड़ा
‘मैं बीकानेर में मिडिल क्लास फैमिली में पैदा हुई। पापा रेलवे में अकाउंट डिपार्टमेंट में सीनियर अफसर हैं और मम्मी हाउस वाइफ। जब मेरे पीरियड्स की शुरुआत हुई थी, तब मुझे भी दर्द के साथ भेदभाव का सामना करना पड़ा था।’
‘उस वक्त हमारे घर में पीरियड्स वाली महिलाओं के बर्तन, चादर और सभी समान अलग होते थे। जब मैं कॉलेज आई तो यहां पर भी हर महिला और लड़की इसी समस्या से परेशान दिख रही थी। इस बारे में गूगल पर पढ़ना चाहा तो वहां भी ज्यादा जानकारी नहीं मिली। इसके बाद मैंने फैसला लिया कि मैं मेंस्ट्रुअल पेन लीव पर रिसर्च करूंगी।’
5 देशों की 500 से ज्यादा महिलाओं से किया सर्वे
‘सर्वे की शुरुआत मैंने अपनी राजस्थान यूनिवर्सिटी से की, जहां मैं सीधे महिलाओं और लड़कियों से मिली। इसके बाद मैंने इस समस्या को लेकर एक गूगल फॉर्म भी तैयार किया। इंडिया के साथ ही मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और जांबिया जैसे देशों में ईमेल के जरिए यूनिवर्सिटीज के प्रोफेसर्स और एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट से बात कर इस सर्वे के लिए उन्हें कन्वींस किया। 500 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों की समस्याओं को इस सर्वे के जरिए समझा। गूगल फॉर्म के अलावा फोन पर बात और ईमेल के जरिए भी ये सर्वे किया। सर्वे के दौरान ही पता चला कि इंडोनेशिया और जांबिया में तो मेंस्ट्रुअल लीव की पॉलिसी भी है।’
सर्वे की शुरुआत की तो फैमिली को नहीं बताया था
‘जब मैंने इस सर्वे की शुरुआत की तो अपनी फैमिली को नहीं बताया था। जब मैंने विदेशों में मेल भेजा और वहां से मुझे रिप्लाई आने लगे तो मैंने परिवार को बताया। फैमिली मेंबर्स ने मुझे सपोर्ट किया। मुझे उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि एक दिन दुनिया का हर आदमी न सिर्फ महिलाओं की इस समस्या को समझेगा बल्कि मुश्किल दिनों में उनकी मदद भी करेगा। हमारे देश में स्विगी, ARC, बायजू, इविपनन, गुजूप, फ्लाईमाईबिज, मैग्टर और जोमैटो जैसी कुछ प्राइवेट कंपनियां भी हैं, जो महिलाओं को मेंस्ट्रुअल पेन लीव मुहैया करवा रही हैं। ऐसे में हम चाहते हैं कि सरकार को मेंस्ट्रुअल पेन लीव की शुरुआत करनी चाहिए।’
‘इस पूरे सर्वे की शुरुआत पिछले साल दिसंबर (2020) में हुई थी। इस साल मार्च में यह सर्वे कंप्लीट हुआ था। हालांकि पिटीशन की प्रोसेस अब तक जारी है। यह सर्वे मैंने अकेले ही किया था, लेकिन पिटीशन को लेकर change.org ने मुझे सपोर्ट किया।’
सर्वे के दौरान मानसी अलग-अलग तबके की महिलाओं से मिली।
सर्वे में क्या बातें सामने आईं…
- बर्तन तक अलग रखते हैं: पीरियड्स को लेकर अब भी हमारे देश में अवेयरनेस नहीं है। पीरियड्स के दौरान महिलाओं को भेदभाव और छुआछूत से परेशान होना पड़ता है। उनको मंदिर जाने से रोका जाता है। अपने घर में किसी सामान को हाथ नहीं लगा सकती। उन्हें रसोई में नहीं जाने दिया जाता, यहां तक कि जिन बर्तनों से वह खाना खाती हैं, उन्हें भी अलग रखा जाता है। वो अपने घर तक में आवाज नहीं उठा पाती हैं।
- पैसे कटवाकर लेती हैं लीव : जयपुर की टीचर पीरियड्स के दौरान चल तक नहीं सकती हैं। इसकी वजह से हर महीने वह खुद के खर्चे पर दो दिन की लीव लेती हैं। वह बताती हैं कि उनकी क्लास और हॉस्टल में भी काफी स्टूडेंट्स ऐसी हैं, जो पीरियड्स के दौरान अपने बेड से उठ भी नहीं पाती हैं।
- सेनेटरी पैड तक नहीं मिल रहे : सर्वे के दौरान काफी महिलाएं ऐसी भी मिली, जो आर्थिक रूप से काफी कमजोर थीं। वह फैक्ट्रियों में काम और मजदूरी कर अपने घर का खर्चा चला रही थीं। इनके पास सेनेटरी नैपकिन खरीदने तक के पैसे नहीं है। सरकार द्वारा जो सेनेटरी नैपकिन उन्हें मुहैया करवाए जा रहे हैं, उनकी क्वालिटी काफी खराब है। इन नैपकिन को इस्तेमाल करने के कारण कई महिलाओं को इन्फेक्शन हो गया और उनको अपना यूट्रस तक निकलवाना पड़ा।
- 68.85% महिलाएं पैसे कटवाकर लेती हैं छुट्टी : सर्वे में शामिल महिलाओं में 68.85% ऐसी थीं, जो हर महीने खुद के खर्चे से मेंस्ट्रुअल पेन लीव लेती हैं। इसकी वजह से उनको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
change.org की ओर से हुआ कार्यक्रम, जहां इस मुहिम को लेकर पिटीशन लॉन्च की गई।
बिहार में लेबर और केरल में स्टूडेंट्स को मिल रही मेंस्ट्रुअल पेन लीव
मानसी ने बताया कि हमारे देश में बिहार में साल 1992 से लेबर क्लास महिलाओं को हर महीने 2 दिन की छुट्टी मुहैया करवाई जाती हैं। इसी साल जनवरी 2023 में केरल की सभी यूनिवर्सिटी में मेंस्ट्रूअल पेन लीव की शुरुआत हो गई है।
मानसी ने बताया कि राजस्थान में भी महिलाओं और लड़कियों को मेंस्ट्रूअल पेन लीव मिल सके, इसके लिए मैंने अपनी सर्वे रिपोर्ट राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष रिहाना रियाज को सौंपी है। वहां से मुझे सकारात्मक जवाब मिला है। आयोग अध्यक्ष ने मुझे बताया कि उन्होंने इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंचा दिया गया है। ऐसे में उम्मीद है कि सरकार इस मसले पर जल्द ही कोई अहम फैसला ले सकती है।5
मेंस्ट्रुअल पेन लीव बड़ी जरूरत
कॉलेज स्टूडेंट अदिति पारीक ने बताया कि मेंस्ट्रुअल पेन लीव हमारे देश की महिलाओं की एक बड़ी जरूरत बन गई है। मेरी दीदी की तबीयत पीरियड्स के दौरान काफी बिगड़ जाती थी। उनसे बिस्तर से खड़ा तक नहीं हुआ जाता था। वह बिल्कुल सुन्न हो जाती थी। उनसे चला तक नहीं जाता था। इसी तरह मेरी एक और सिस्टर और मेरी कुछ फ्रेंड्स के साथ भी इस तरह की प्रॉब्लम हर महीने होती है। अगर किसी महिला को पीरियड्स के दौरान परेशान होना पड़ रहा है तो सरकार को उनके प्रति संवेदनशील होना चाहिए। उन्हें हर महीने 2 दिन की लीव ऑफर करनी चाहिए।
पीरियड्स में दिमाग कम काम करता है
स्टूडेंट सोनिया यादव ने बताया कि पीरियड्स के दौरान शुरुआती 2 दिन काफी परेशान करने वाले होते हैं। अधिकतर महिलाओं और लड़कियों को असहनीय दर्द से परेशान होना पड़ता है। काफी ऐसी भी होती हैं, जिन्हें दर्द नहीं होता, लेकिन उनके काम करने की क्षमता न के बराबर हो जाती है। अगर कोई महिला पीरियड्स के दिनों में काम पर आ रही हैं या फिर पढ़ने आ रही हैं तो वह अपने काम या फिर पढ़ाई में 100 परसेंट नहीं दे पाएगी।
70% महिलाएं दर्द सहकर काम करती हैं
सीनियर गायनाकोलॉजिस्ट वीना आचार्य ने बताया- आम तौर पर पीरियड्स 4 से 6 दिन तक रहते हैं। शुरुआती 3 से 4 दिन काफी दर्द का सामना करना पड़ता है। चलने-फिरने तक में भी दिक्कत आती है। 30% से 40% महिलाएं तो ऐसी होती हैं, जिनको पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द का इलाज तक लेने की जरूरत पड़ जाती है। इनमें से कुछ महिलाएं हॉट वाटर का इस्तेमाल करती हैं, तो कुछ मेडिसिन लेती हैं, जबकि कुछ पेन किलर इंजेक्शन तक लगवाती हैं, ताकि दर्द से निजात मिल सके। 60% से 70% महिलाएं ऐसी होती हैं, जो दर्द को सह कर भी अपना काम करती हैं।
लीव ही एकमात्र उपाय
डॉक्टर वीना आचार्य ने बताया- पीरियड्स के दौरान महिलाओं की बॉडी में हार्मोनल चेंज होते हैं, जिसकी वजह से उनको असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही पीरियड्स के दौरान उनकी बॉडी में काफी दूसरी समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। कुछ कामकाजी महिलाओं को इस दौरान हाइजीनिक प्रॉब्लम भी हो जाती है। पहले के वक्त में महिलाओं को पीरियड्स के दौरान रेस्ट करने की छूट दी जाती थी। उस वक्त घर पर भी लोग उनसे काम नहीं करवाते थे। इसलिए मैं यही अपील करूंगी कि सरकार इस पूरे मुद्दे पर मंथन करें और महिलाओं को हर महीने हो रही समस्या के समाधान के लिए कम से कम 2 दिन की मेंस्ट्रुअल पेन लीव जरूर दें।
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