पुष्कर पशु मेला होगा या नहीं, अब तक तय नहीं:प्रशासन की तैयारी शुरू, लेकिन स्वीकृति नहीं, विदेशी टूरिस्ट और कॉम्पटीशन का क्रेज
26 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक प्रस्तावित है पशु मेला
तीर्थराज पुष्कर में कार्तिक माह के ख्याति प्राप्त पुष्कर पशु मेले को लेकर प्रशासन ने भले ही तैयारियां शुरू कर दी, लेकिन अभी तक मेले को लेकर स्वीकृति नहीं मिली है। ऐसे में स्थिति स्पष्ठ नहीं है कि मेला भरेगा या नहीं। अगर भरेगा तो किन शर्तो पर। पशुपालन विभाग को स्वीकृति का इंतजार है। गायों में लम्पी डिजिज, घोड़ों में गैलेंडर के कारण ऐसे हालात बने है। हालाकिं स्वीकृति मिलने की उम्मीद है लेकिन यह स्वीकृति सशर्त भी हो सकती है। ऐसे में आयोजन भी उसी के अनुरूप होगा।
पिछले साल कोरोना गाइड लाइन के बीच मेले का आयोजन हुआ और साल 2020 में कोरोना के कारण मेले का आयोजन नहीं हुआ। ऐसे में दोनों ही साल कोई खास रौनक नहीं रही। इस बार विदेशी भी अच्छी संख्या में आने की उम्मीद है। साथ ही मंहंगे पशु और पशुओं की विभिन्न प्रतियोगिताएं आकर्षण का केन्द्र रहेगी। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रफुल्ल माथुर ने बताया कि पशु मेले की विधिवत शुरूआत 26 अक्टूबर को होगी। मेला 10 अक्टूबर तक भरेगा। मेले को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। कमेटियों का गठन भी किया गया है। बैठकें लेकर आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए जा रहे हैं। लेकिन अभी तक पशुपालन विभाग की ओर से मेले के आयोजन की स्वीकृति नहीं मिली है। इसके लिए विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया है।
यह है प्रस्तावित कार्यक्रम
पशुपालन विभाग की ओर से की जा रही तैयारियों के अनुसार मेले की सम्पूर्ण अवधि 26 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक रहेगी। इसमें झंडा चौकी 26 अक्टूबर को स्थापित की जाएगी। 28 को चेक पोस्ट शुरू होगी। ध्वजारोहण कर सफेद चिट्टी एक नवम्बर से शुरू होगी। 2 नवम्बर को रवन्ना शुरू किया जाएगा। 4 से 6 नवम्बर तक पशु प्रतियोगिताएं होगी। 8 को पारितोषिक वितरण होगा। मेला समापन 10 नवम्बर को होगा।
पिछले साल पशुओं की प्रतियोगिता तो हुई लेकिन सांस्कृतिक कार्यक्रम, विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं, उदघाटन व समापन समारोह नहीं हुए।
पिछले साल नहीं हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम
पिछले साल पशु मेला तो भरा लेकिन कोरोना गाइड लाइन की शर्तो के साथ। ऐसे में सांस्कृतिक कार्यक्रम, विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं, उदघाटन व समापन समारोह नहीं हुए। विदेशी पर्यटकों की आवक भी न के बराबर हुई। ऐसे में मेले में रौनक भी कोई खास नहीं थी। मेले में आने वाले पशुपालकों व व्यापारियों को आरटीपीसीआर व वैक्सीनेशन रिपोर्ट साथ लाना अनिवार्य किया गया है और इसके कारण पशुपालकों ने कम रूचि दिखाई।
पुष्कर सरोवर में स्नान के लिए भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं।
हजारों पशु एवं लाखों श्रद्धालु आते
पुष्कर पशु मेले में जहां हजारों ऊंट, घोड़े समेत विभिन्न प्रजाति के पशु आते हैं तथा पशुपालकों के बीच करोड़ों रुपयों का लेनदेन होता है। वहीं लाखों श्रद्धालु सरोवर में स्नान व मंदिरों के दर्शन के लिए आते हैं। साथ ही प्रशासन की ओर से मेलार्थियों के मनोरंजन के लिए अनेक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। जिसमें राजस्थानी लोक कलाकारों के साथ-साथ कई अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों को भी आमंत्रित किया जाता है। मेले के दौरान अनेक पशु प्रतियोगिताएं व देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
पुष्कर मेले में हजारों पशुओं की आवक होती है। इसमें सबसे ज्यादा घोडे़ व ऊंट आते हैं।
पुष्कर पशु मेले में तीन प्रकार की चिट्ठियां रहेंगी
- लाल चिट्ठी : यह चिट्ठी पशु का रजिस्ट्रेशन है। इसमें पशु के बारे में जानकारी दी गई है।
- सफेद चिट्ठी : यह चिट्ठी सेल डीड है। इसमें पशु के क्रय व विक्रय करने वाले पशु पालकों के हस्ताक्षर होते हैं। पशु की नस्ल भी इसमें लिखी होती है।
- रवन्ना : तीसरी महत्वपूर्ण चिट्ठी रवन्ना है। जो पशु इस मेले में बेचा जाएगा, उसका विवरण इसमें जारी किया जाएगा। सेल डीड यानी सफेद चिट्ठी के बाद इसका नंबर आता है। इस रवन्ना को दिखा कर ही खरीदार पशु को बाहर ले जा सकेगा।
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