पैरों से तीर चलाने वाली तीरंदाज शीतल जाएंगी पेरिस:पैरालंपिक-2024 के लिए चयन; अगले साल दुनिया को दिखाएंगी अनोखी प्रतिभा
झुंझुनूं
पैरों से धनुष से तीर चलाती हैं शीतल।
पैरों से तीरंदाजी करने वाली झुंझुनूं की बेटी शीतल चुडैला का चयन अगले साल होने वाले पेरिस पैरालंपिक खेलों के लिए हुआ है। शीतल के ऐसे जज्बे के आगे सब कुछ सम्भव है। बिना हाथों के तीरंदाजी करने वाले शीतल का निशाना सटीक है।
शीतल झुंझुनूं जिले के चुडैला स्थित जेजेटी यूनिवर्सिटी की छात्रा हैं। इस उपलब्धि के लिए उन्हें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आशीर्वाद दिया है। छात्रा शीतल कुमारी जेजेटी यूनिवर्सिटी की डिप्लोमा प्रथम सेमेस्टर कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की स्टूडेंट हैं।
शीतल पैरों से धनुष पकड़ती हैं और कंधे के सहारे से तीर चलाती हैं।
पैरों से तीर चलाने में माहिर
खेल निदेशक अरुण कुमार ने बताया- तीरंदाज शीतल कुमारी ने 2024 में होने वाले पेरिस पैरा ओलिंपिक गेम्स-2024 के लिए क्वालिफाइड कर देश का नाम रोशन किया है।
एक दुर्घटना में ऑपरेशन के दौरान उनके दोनों हाथ काटने पड़े। फिर भी शीतल ने हार नहींं मानी और संघर्ष जारी रखा। उन्होंने अपने पैरों से ही हाथों का काम लिया और धनुष विद्या सीखी। शीतल ने बताया कि जिंदगी की जंग कभी नहीं हारनी चाहिए। कड़ी मेहनत से सफलता जरूर मिलती है।
यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट डॉ.देवेंद्र सिंह ढुल ने बताया- ऐसा जज्बा अगर किसी के अंदर हो तो उसके उसके लिए सब कुछ सम्भव है। उन्होंने बताया- शीतल जम्मू-कश्मीर के जिला किश्तवाड़ के लोहिधार गांव की रहने वाली हैं। 16 वर्षीय पैरा तीरंदाज शीतल ने हाल में ही विश्व पैरा तीरंदाजी में रजत पदक लेकर 2024 पैरा ओलिंपिक कोटा हासिल किया है।
शीतल ने कहा- कभी हिम्मत न हारें
युवा खिलाड़ियों से शीतल ने कहा- कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। हर हाल में लक्ष्य पर नजर रखी चाहिए और लगातार आगे बढ़ना चाहिए।
शीतल के पिता मानसिंह किसान हैं और मां शक्ति देवी गृहिणी हैं। छोटी बहन शिवानी भी शीतल के साथ ही रहती हैं और वे राष्ट्र स्तरीय तीरंदाज हैं। शीतल ने बताया कि दोनों हाथ न होने के कारण जीवन कठिन लग रहा था। टीवी और अखबारों में पैरा ओलिंपिक की खबरें पढ़ीं तो सोचा खेलों में आगे बढ़ना चाहिए।
शीतल ने बताया- मैं दो साल पहले ही माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड आर्चरी एकेडमी कटरा में दंपती कोच कुलदीप वेदवान और अभिलाषा चौधरी से मिली थी। वहां पर प्रैक्टिस की, बहुत सीखा। आगे खेलने की प्ररेणा मिली। यहीं से राष्ट्रीय स्तर से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक का सफर पर निकली और आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रही हूं।
पैरों से धनुष पकड़ती हैं, कंधे से छोड़ती हैं तीर
शीतल आर्चरी की अनोखी खिलाड़ी हैं। वे पैरों से धनुष को पकड़ती हैं और कंधे की डिवाइस से तीर को सटीक निशाने पर छोड़ती है। प्रति दिन में उनके खेल में निखार ही आता गया। कोच अभिलाषा चौधरी ने बताया कि घंटों अभ्यास करना, नया सीखना ही शीतल की आदत है। वे बहुत मेहनत करती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीतल से मुलाकात की थी और पेरिस पैरालंपिक गेम्स में अच्छे प्रदर्शन के लिए आशीर्वाद दिया था।
सऊदी अरब में मिला सम्मान
पैरा तीरंदाज स्टार शीतल ने देश का मान बढ़ाया। सऊदी अरब के शहर रियाद में पैरा तीरंदाज स्टार खिलाड़ी शीतल देवी को एशिया की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के तौर पर एशियन पैरालंपिक कमेटी की ओर से सम्मान दिया गया है। एशिया का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी सम्मान पाने वाली वे पहली महिला हैं।
शीतल ने बीते जुलाई 2023 में चीन में आयोजित हुए पैरा एशियाई खेलों में 3 गोल्ड मेडल जीते थे। जबकि हाल ही में थाईलैंड के बैंकॉक शहर में आयोजित पैरा एशियन चैंपियनशिप में 2 गोल्ड तथा एक सिल्वर मेडल जीता।
2 साल की कड़ी मेहनत ने दिखाया रंग
शीतल ने कटरा में माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के स्पोर्ट्स स्टेडियम में आर्चरी अकादमी में साल 2021 में दाखिला लिया था। इस दौरान उन्होंने कड़ी मेहनत की। दो साल की मेहनत के बाद शीतल लगातार राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीत रही हैं। शीतल अपने पैरों से करिश्माई प्रदर्शन कर मेडल जीतकर देश को गौरवान्वित कर रही हैं। शीतल के प्रदर्शन को देखते हुए हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीतल के साथ मुलाकात कर आशीर्वाद देने के साथ ही उनका हौसला बढ़ाया।
शीतल की उपलब्धियों की बात करें तो 11 महीनों में उन्होंने नेशनल से पैरालंपिक तक का सफर तय कर लिया है। चेक रिपब्लिक विश्व रैंकिंग टूर्नामेंट में उन्होंने स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीता। इसके अलावा चेक रिपब्लिक में वर्ल्ड पैरा आर्चरी चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने के साथ ही उन्होंने पेरिस में होने वाले पैरालंपिक -2024 का टिकट कटाया।
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