बिना पैसा खर्च किए न्यास ने बीओटी के तहत कराया सौन्दर्यकरण, निजी फर्मों से किए एमओयू
चौक-चौराहों की खूबसूरती से बदली सड़कों की रंगत
बीकानेर. एक-डेढ़ साल पहले बीकानेर शहर की हालत को याद करें तो चौराहों के चारों तरफ अतिक्रमण, अवैध होर्डिंग से अटे स्टैच्यू और महापुरुषों की प्रतिमाएं, डिवाइडरों की खस्ता हालत, रोड़ लाइटें बंद और मुख्य मार्गों पर गेट स्वागत करती गेट एन्ट्री जैसा कुछ नहीं था। यहां तक की ट्रैफिक लाइटें म्यूजियम सर्किल को छोड़कर कही भी काम नहीं कर रही थी। अब हालात बदल गए हैं। स्ट्रीट लाइटों के पोल पर तिरंगी रोशनी नजर आती है। चौक-चौराहे साफ-सुथरे और जगमग दिखते हैं। गेट एन्ट्री शहर में आने वालों का स्वागत करती मेट्रो सिटी में प्रवेश का आभास कराती है।
बीकानेर शहर की बदली सूरत में खास बात यह है कि जिला प्रशासन और नगर विकास न्यास ने बिना सरकारी पैसा खर्च किए सौन्दर्यकरण कार्य कराए हैं। छह-सात निजी फर्मों के साथ अनुबंध कर सौन्दर्यकरण कराया गया है। इसकी एवज में वह विज्ञापन आदि से इस पर लगे खर्च को निकालेंगे। वैसे भी चौक-चौराहों पर अवैध होर्डिंग लगे रहते थे। जिससे एक पैसे की आय निगम व न्यास को नहीं हो रही थी।
अनुबंध से अवैध पर अंकुश
शहरी क्षेत्र में शतप्रतिशत विज्ञान साइटों के टेंडर किए ही नहीं जाते। जो किए जाते हैं, वह कुछ समय बाद या तो तय राशि जमा नहीं कराते। करवा भी देते है तो एक स्वीकृत होर्डिंग की आड़ में दस लगाते है। अवैध होर्डिंग के खेल पर अफसरों से लेकर नेताओं तक सब चुपी साधे रहते हैं। वजह है गाहे-बगाहे वह खुद अपने परिचिताें और खुद के निजी स्वार्थ वाले होर्डिंग भी अवैध रूप से लगवाते रहते हैं। चौक-चौराहों का न्यास की ओर से एमओयू कर निजी फर्मों को देने से सबसे ज्यादा तकलीफ मुफ्त में अवैध होर्डिंग लगाने वाले और शहर का सौन्दर्यकरण बिगाड़ने वालों को हो रही है।
सभी चौराहों का फर्मों से अनुबंध
नगर निगम में बीते तीन साल में बोर्ड और अधिकारियों के बीच खींचतान ही चल रहा है। ऐसे में शहर की हालत दिनों दिन बिगड़ती जा रही है। जिला प्रशासन, सरकार, नगर विकास न्यास को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। ऐसे में न्यास ने प्रदेश में नगर पालिका अधिनियम 1959 की धारा 297 की शक्तियों का उपयोग कर बीओटी आधारित कार्य करवाने पर विज्ञापन शुल्क से मुक्ति प्रदान करने के 4 सितम्बर 2004 को जारी गजट नोटिफिकेशन की शक्तियों का उपयोग किया। इसमें साफ छूट है कि न्यास अपने क्षेत्र और सहमति से अन्य क्षेत्र में कार्य करवाने की योजनाएं बना सकते हैं।
इन सर्कल पर हुए काम
मूर्ति सर्कल, गौतम, रोटरी, पंचशति, ब्रह्मकुमारी, मेजर पूर्णसिंह सर्कल,, कैप्टन चन्द्र चौधरी, दीनदयाल उपाध्याय, दुर्गादास, करनीसिंह, श्रीगंगानगर, तुलसी, अम्बेडकर, मंगल पांडेय, मेडिकल चौराहा, शनि मंदिर, पूगल फांटा और गोकुल सर्कल, पर बीओटी के तहत सौन्दर्यकरण के कार्य कराए गए हैं।
यहां ट्रैफिक लाइटें लगी
हल्दीराम प्याऊ, आर्मी गेट, सोफिया स्कूल, म्यूजियम सर्किल, सर्किट हाउस, श्रीगंगानगर सर्किल, मंडी गेट, पुलिस लाइन चौराहा, पूगल फांटा, कोठारी हॉस्पिटल, मुक्ताप्रसाद चौराहा, रामरत्न कोचर सर्किल, जैन कॉलेज तिराहा, रानी बाजार सर्किल पर बीओटी के तहत ट्रैफिक लाइटें लगाई गई हैं।
बिना खर्च के अच्छी योजनाकिसी भी नगरीय निकाय और नगर विकास न्यास के लिए बिना सरकार का पैसा खर्च किए सौन्दर्यकरण कराने की बहुत अच्छी योजना है। शहर में चौराहों को अतिक्रमण मुक्त करवाकर और यातायात के अनुकूल बनाने के बाद यूआईटी ने इस योजना के तहत निजी फर्मों को सौन्दर्यकरण के लिए दिए हैं। अब यह कार्य होने के साथ ही शहर खूबसूरत नजर आने लगा है।
-नीरज के. पवन, संभागीय आयुक्त बीकानेर
रख-रखाव और देखभाल भी करेंगी फर्म
शहर में चौक-चौराहों और ट्रैफिक लाइटों का कार्य बीओटी के तहत निविदाएं आमंत्रित कर फर्मों को काम सौंपा गया। इसमें किसी तरह का भुगतान फर्म को नहीं किया जाता। पांच साल तक रख-रखाव भी फर्म करती है। बिजली के बिल भी फर्म वहन करती है। इसके बाद यह न्यास के अधीन आ जाएंगे। इनके सौन्दर्यकरण एमओयू के तहत करने पर आया खर्च फर्म अपने विज्ञापन लगाकर निकालती है।
-यशपाल आहूजा, सचिव नगर विकास न्यास बीकानेर
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