सफाई पर लाखों खर्च फिर भी नाले जाम, सड़कें लबालब
नगर निगम सफाई कार्यों पर हर महीनें लाखों रुपए खर्च कर रहा है, फिर भी शहर के छोटे व बड़े नाले कचरे व गंदगी से अटे पड़े है।थोड़ी बारिश में नाले उफान पर आ जाते हैं। कचरा व गंदगी सड़कों पर फैल रहा है। कीचड़ से भरी सड़कों से निकलना भी दूभर हो जाता है। जाम नालों के कारण सड़कों पर बारिश के दौरान बड़ी मात्रा में पानी एकत्र हो जाता है। मुख्य मार्ग व गली-मोहल्ले पानी से लबालब हो जाते हैं।
निगम प्रशासन की कमजोर मॉनिटरिंग के कारण हर महीने संसाधनों के नाम पर खर्च हो रहे लाखों रुपयों का आमजन को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। बारिश के दौरान जो स्थिति गत वर्ष थी, वैसी ही स्थिति अब भी बन रही है। कोई सुधार नजर नहीं आया है। रविवार को हुई बारिश ने निगम के दावों की पोल खोल दी।
एक पॉकलेन, दस जेसीबी फिर भी नाले जाम!
नगर निगम के पास नाला सफाई के नाम पर एक पॉकलेन मशीन और दस जेसीबी मशीनें है। निगम पिछले एक साल से इनका उपयोग करने और इन संसाधनों पर हर महीने राशि खर्च करने की बात कह रहा है। निगम प्रशासन ने वाकई में ही इन संसाधनों का उपयोग सालभर नालों की सफाई में उपयोग लिया है और सालभर बाद भी नाले कचरे व गंदगी से अटे पड़े हैं तो निगम की कार्यशैली और इन संसाधनों के संचालन पर सवाल खड़े होते हैं।
जनप्रतिनिधि भी मौन
निगम से हर महीने लाखों रुपए का भुगतान सफाई के नाम पर होने के बाद भी महापौर, नेता प्रतिपक्ष व पार्षद मौन साधे हुए है। संसाधनों का उपयोग होने के बाद भी जाम नालों, सड़कों पर कीचड़ व गंदगी के बावजूद जनप्रतिनिधियों की चुप्पी कई सवाल खड़े करती हैं। लोग परेशान हो रहे हैं। घरों व गली-मोहल्लों से निकलना दूभर बना हुआ है, कीचड़ व गंदगी की बदबू बनी हुई है फिर भी जिला प्रशासन के अधिकारियों का हरकत में नहीं आना प्रशासनिक उदासीनता को बयां कर रहा है।
अधिकारी गंभीर ना स्वच्छता निरीक्षक
शहर के नालों की सफाई को लेकर निगम के अधिकारी गंभीर नहीं है। बारिश का मौसम नजदीक आने पर केवल रस्म अदायगी के रूप में कुछ नालों से ऊपरी तौर पर कचरा निकालकर इतिश्री कर ली जाती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। कागजों में जरुर अधिकारियों को जलभराव, नालों की सफाई के लिए नियुक्त किया है, लेकिन मौके पर कुछ ही अधिकारी पहुंचते है। निगम के स्वच्छता निरीक्षक भी अपने सर्कल क्षेत्र में स्थित नालों को लेकर गंभीर नहीं है। उन्हें पता है बारिश के दौरान समस्या होगी, जलभराव होगा, लोग परेशान होंगे, लेकिन सालभर नालों की उचित सफाई को लेकर कोई प्रयास नहीं करते हैं। जिसके कारण छोटे व बड़े नाले कचरे व गंदगी से अटे रहते हैं।
हर महीने लाखों का भुगतान
निगम संवेदक फर्म के माध्यम से पॉकलेन और जेसीबी से सफाई कार्य करवाता है। निगम अधिकारियों के अनुसार पॉकलेन मशीन किराये पर ले रखी है। निगम प्रति घंटा अनुसार करीब 1200 रुपए एक दिन में आठ घंटे कार्य अनुसार करीब साढ़े नौ हजार रुपए का भुगतान कर रहा है। प्रति महीने पॉकलेन के कार्य के रूप में निगम ढाई से पौने लाख रुपए का खर्च कर रहा है। निगम गत एक साल से यह राशि खर्च कर रहा है। फिर भी शहर के नालों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। वहीं निगम जेसीबी मशीनों पर हर महीने करीब डेढ़ लाख रुपए व साल में करीब 12 से 14 लाख रुपए खर्च कर रहा है। दस जेसीबी मशीनों से शहर में रोज सफाई कार्य करवाए जाने की बात कही जा रही है।
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