बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे उपेन यादव कौन हैं, जिन्होंने पहले वसुंधरा और फिर गहलोत की बढ़ा रखी थी टेंशन
राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उपेन यादव को टिकट देकर शाहपुरा से अपनी मजबूत ताल ठोकी है। उपेन यादव प्रदेश के बेरोजगारों की लगातार आवाज उठाते रहे हैं।राजस्थान में बीजेपी ही नहीं बल्कि कांग्रेस भी इनके आंदोलन से अच्छे से वाकिफ है। बीजेपी से टिकट मिलने के बाद अब शाहपुरा में रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।
जयपुर : उपेन यादव राजस्थान में एक ऐसा नाम है जिन्हें तमाम राजनैतिक पार्टियों के नेताओं के साथ ब्यूरोक्रेसी के सभी अफसर और प्रदेश के लाखों बेरोजगार जानते हैं। लोग उन्हें इसलिए जानते हैं क्योंकि वह पिछले साढ़े 11 साल से बेरोजगार युवाओं के लिए सरकारों से लड़ते आए हैं। उपेन ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही सरकारों के कार्यकाल में खूब आंदोलन किए और सरकार की नाक में दम करके रखा। अभी तक वह किसी राजनैतिक पार्टी में नहीं थे लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी ने उपेन यादव को शाहपुरा से प्रत्याशी घोषित किया है।
बेरोजगार युवाओं की उम्मीद है उपेन यादव
उपेन यादव ने वर्ष 2012 में RTET परीक्षा के दौरान युवाओं की आवाज उठाना शुरू किया। पहले गिने चुने नौजवानों को साथ लेकर वे धरना प्रदर्शन करते थे लेकिन मजबूत मुद्दे, वजनदार कंटेंट और आक्रामक तेवर के कारण देखते ही देखते वे लोकप्रिय होने लगे। धीरे धीरे हर प्रतियोगिता परीक्षा से जुड़े बेरोजगार युवा अपनी पीड़ा लेकर उपेन के पास पहुंचने लगे। उपेन उनकी आवाज बनते और युवाओं को न्याय दिलाने के लिए सरकार से भिड़ने चले जाते।
दोनों सरकारों में किए सैकड़ों आंदोलनप्रदेश में सरकार चाहे बीजेपी की हो या कांग्रेस की। उपेन यादव ने दोनों ही सरकारों के कार्यकाल में बड़े आंदोलन किए। आंदोलन भी इतने जोरदार किए जिसमें दर्जनों बार सरकार को झुकना पड़ा। उपेन यादव की ओर से किए गए आंदोलन की वजह से आज हजारों युवा सरकारी नौकरी कर रहे हैं। कई तो बड़े अफसर भी बन गए। बेरोजगारों को न्याय दिलाने के लिए उपेन ने कई बार भूख हड़ताल और अनशन किए। उपेन की जिद्द के आगे सरकार को उनकी वाजिब मांगे माननी पड़ी।
दिल्ली, यूपी और गुजरात में भी किए आंदोलनबीजेपी ने उपेन को शाहपुरा से प्रत्याशी घोषित किया है। उनका राजनैतिक भविष्य अब शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र के लोगों के विश्वास पर टिका है लेकिन उपेन किसी क्षेत्र विशेष के नेता होने के बजाय प्रदेश के लाखों बेरोजगारों के नेता हैं। पिछले कुछ सालों से उपेन का जन्मदिन भी किसी बड़े राजनेता की तरह मनाया जाता है। कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गज नेता और मंत्री उपेन के जन्मदिन समारोह में शामिल होते रहे हैं।
लाठियां खाना और जेल जाना सामान्य बातयुवाओं की वाजिब मांगों को लेकर उपेन यादव हमेशा अडिग रहते हैं। उन्होंने ठोस आश्वासन के बिना कभी अपना आंदोलन खत्म नहीं किया। भले ही पुलिस की ओर से उन्हें पीटा गया हो या झूठे मुकदमे दर्ज करके जेल में डाला गया हो, लेकिन पुलिस की लाठी और जेल जाने से उपेन कभी नहीं घबराए। हर बार वह दोगुने जोश के साथ युवाओं की आवाज बुलंद करने के लिए आंदोलन की राह पर उतरते आए हैं।
बेरोजगारों का लगता है दरबार, विधायक भी लेते हैं जानकारीराजस्थान में एक ऐसा युवा है जो ना कोई मंत्री हैं ना ही विधायक। धन्ना सेठ भी नहीं है। इसके बावजूद भी उपेन यादव के ऑफिस में जनसुनवाई के लिए दरबार लगता है। जयपुर के गोपालपुरा बाईपास पर स्थित राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ का कार्यालय है। इस कार्यालय में नियमित दरबार लगता है। ना केवल बेरोजगार बल्कि प्रदेश के कई विधायक भी उपेन को कॉल करते रहते हैं। खासतौर पर जब विधानसभा की कार्रवाई चलती है तब कई विधायक बेरोजगारों के मुद्दों के बारे में जानने के लिए उपेन से जानकारी लेते रहते हैं। अब बीजेपी ने उपेन को प्रत्याशी बनाया है। अगर वह चुनाव जीतते हैं तो बेरोजगारों की मजबूत आवाज बनेंगे।
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