भरतपुर
भजनलाल शर्मा के पिता किशन स्वरूप शर्मा किसान हैं। वह भरतपुर जिले के अटारी गांव में रहते हैं।
भरतपुर जिले के अटारी गांव में जश्न का माहौल है। कभी इस गांव के सरपंच रहे भजनलाल राजस्थान के मुख्यमंत्री बनेंगे। बेहद साधारण परिवार से आने वाले भजनलाल के पिता किसान हैं। वे चाहते थे कि बेटा सरकारी टीचर बने। इसलिए B.Ed. की डिग्री दिलवाई, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
मुख्यमंत्री के लिए भजनलाल के नाम की जैसे ही घोषणा हुई, नदबई स्थित अटारी गांव में बैठी उनकी मां गौतमी देवी और पिता किशन स्वरूप शर्मा की आंखें छलक उठीं। उन्हें जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि बेटा कभी मुख्यमंत्री बनेगा।
उनके घरवालों और रिश्तेदारों से उनकी जिंदगी के अनसुने किस्सों के बारे में जाना…।
पत्नी गीता शर्मा के साथ एक पुरानी तस्वीर में भजनलाल शर्मा।
महज 10 मिनट में पहुंची सिक्योरिटी
मंगलवार शाम 4:15 बजे जयपुर स्थित भाजपा कार्यालय से खबर ब्रेक हुई कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा होंगे। उस समय अटारी में भजनलाल शर्मा के घर पर उनके पिता किशन स्वरूप और मां गौतमी देवी ही मौजूद थे। कुछ ही देर में बधाई देने के लिए सैकड़ों की भीड़ उनके घर पहुंच गई। घोषणा के महज 10 मिनट बाद ही पुलिस सिक्योरिटी भी उनके घर पहुंच गई।
भजनलाल के नाम की घोषणा होने के बाद उनके समर्थकों ने घर के बाहर मिठाइयां बांटी और ढोल-नगाड़े बजाए। जमकर डांस भी किया। भजनलाल शर्मा की मां गौतमी देवी ने कहा- आपका बेटा सीएम बन गया है। आपको कैसा लग रहा है। यह सुनते ही उनकी आंखें छलक उठीं।
भरतपुर के नदबई स्थित अटारी गांव में मुख्यमंत्री भजनलाल के घर पहुंचा। भजनलाल से जुड़े तमाम पहलुओं पर उनके पिता किशन स्वरूप शर्मा से बात की।
पिता बोले- सोचा था मास्टर बन जाएगा
पिता किशन स्वरूप कहते हैं- मैंने तो B.Ed. करवाई थी कि बेटा मास्टर बन जाएगा। किस्मत नेता बनने की थी तो वह नेता बन गए। ये सब तो भगवान की लीला है। बेटे को नेतागीरी अच्छी लगती थी तो वो नेतागीरी में चले गए। मैंने कभी भी रोका नहीं, क्योंकि जानता था राजनीति आसान नहीं होती। रात-दिन घूमना पड़ता है। इसमें बड़ी मेहनत है।
इतनी मेहनत देखकर मैंने एक बार कहा भी था कि बेटा इस नेतागीरी में क्या रखा है? समय पर खाना नहीं खाते थे। घर छोड़कर कई दिन बाहर ही रहना पड़ता था। घर आते भी तो 1 या 2 घंटे के लिए। शाम को आते तो कभी रात को 12 बजे जयपुर चले जाते थे। हमारे परिवार में से पहले किसी को जानकारी नहीं थी।
अभी जब टिकट मिला था तो मुझे फोन करके बताया था। कहा था कि बाऊजी मुझे सांगानेर से टिकट मिला है। मैंने जीत का आशीर्वाद दिया था। फिर जीत की खबर आई तो हम सब खुश थे। मुझे तो उम्मीद भी नहीं थी कि बेटा सीएम बन जाएगा।
भजनलाल के चाचा रामशरण शर्मा ने बात की।
हेल्थ डिपार्टमेंट से रिटायर्ड भजनलाल शर्मा के चाचा रामशरण शर्मा कहते हैं- आज सुबह-सुबह तो मुझे भजनलाल के डिप्टी सीएम बनने की उम्मीद थी। भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि वे सीएम बन गए। भजनलाल मेरा शुरू से ही लाड़ला रहा है। हमारे बड़े भाई साहब यानी उसके ताऊ जी हमेशा कहते थे, बेटा भजन अब तुमने B.Ed. कर ली है। मास्टर बनने की तैयारी कर लो। सरकारी नौकरी लग जाएगी।
लेकिन उन्होंने दिमाग में शुरू से ही तय कर लिया था कि वो राजनीति में आएंगे। भजनलाल ने सोशल वर्क के जरिए अपनी पहचान बना ली थी। लोगों के काम करवाने खुद जाते थे। इसलिए पहली बार अटारी गांव से ही सरपंच का चुनाव जीत गए थे। राजनीति में आने के बाद कई-कई दिन घर से गायब रहते थे। जब हम टोकते तो कहते- मेरा तो चाचाजी अब ऐसे ही चलेगा। लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुननी पड़ती हैं।
भरतपुर के राजेंद्र नगर स्थित भजनलाल के मकान में मौजूद उनके रिश्तेदार ताराचंद शर्मा एवं गांव के पड़ोसी।
असिस्टेंट कमांडेंट पद से रिटायर्ड अटारी गांव के रहने वाले उनके पड़ोसी ने बताया- जब भजनलाल सरपंच पद का चुनाव लड़े थे, तब से मैं उनके साथ हूं। नौकरी से छुट्टी लेकर उनके साथ लगता था। सीएम बन जाएंगे, ऐसी उम्मीद नहीं थी।
ब्राह्मण महासभा के भरतपुर जिलाध्यक्ष और रिश्तेदार ताराचंद शर्मा उनका एक 20 साल पुराना किस्सा बताते हैं। कहते हैं- एक बार हम बीजेपी के भरतपुर दफ्तर में बैठे थे। तब अचानक से भजनलाल के भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष बनने की खबर आई। मैंने तो तभी कहा था- लाला मुझे ऐसा लग रहा है, तू एक दिन सीएम बनेगा। आज जब उनका नाम सीएम पद के लिए फाइनल हुआ तो वह बात याद आ रही है।
भजनलाल शर्मा 1992 में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में जेल भी जा चुके हैं। यह भजनलाल शर्मा की करीब 10 साल पुरानी तस्वीर है।
10वीं में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े
भजनलाल शर्मा पिछले 35 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। नदबई में ही अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और 10वीं की पढ़ाई (वर्ष 1984) करने के लिए नदबई कस्बे चले गए। उसी दौरान वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संपर्क में आ गए थे। इसके बाद बीए 1989 में एमएसजे कॉलेज, भरतपुर से किया था। 1993 में राजस्थान यूनिवर्सिटी (प्राइवेट) से राजनीति शास्त्र से MA किया था।
युवा मोर्चा के नदबई मंडल के अध्यक्ष बनकर भजनलाल की बीजेपी में एंट्री हुई थी। नदबई में वे ABVP के अध्यक्ष और प्रमुख रहे। भरतपुर जिले के सह संयोजक और कॉलेज इकाई प्रमुख व जिला सह प्रमुख बने थे।
इसके बाद वे पार्टी में ही तरक्की करते गए। युवा मोर्चा भरतपुर के जिला मंत्री, जिला उपाध्यक्ष, जिला महामंत्री और 3 बार जिला अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद भाजपा में जिला मंत्री, जिला महामंत्री और जिला अध्यक्ष भी रहे। बाद में पार्टी में प्रदेश के महामंत्री बनाए गए थे।
भजनलाल शर्मा और उनकी पत्नी गीता शर्मा की शादी के दौरान की तस्वीरें।
सरपंच से सीएम पद तक का सफर
साल 1992 में वह राम जन्मभूमि आंदोलन में जेल गए। 1991-1992 में उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा की जिम्मेदारी ली। साल 2000 में वह अटारी गांव से सरपंच बने। 2010 से 2015 के बीच वह पंचायत समिति अटारी से पंचायत समिति सदस्य रहे। 2014 से 2016 तक प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। 2016 में उन्हें प्रदेश महामंत्री का पद मिला।
पत्नी गीता शर्मा और बेटे आशीष (चेक शर्ट में) व कुणाल के साथ भजनलाल शर्मा।
पिता हैं किसान, एक बेटा MBBS डॉक्टर
भजनलाल के पिता किशन स्वरूप शर्मा एक किसान हैं। मां गौतमी देवी घर के काम देखती हैं। भजनलाल 55 साल के हैं। इनका माइनिंग का काम है। भजन लाल शर्मा के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा आशीष RAS की तैयारी कर चुका है। छोटा बेटा कुणाल MBBS कर चुका है।
भजनलाल शर्मा की 3 छोटी बहनें हैं। सबसे बड़ी सत्तो हैं। इसके बाद गुड्डो और रजनी हैं। इनका पुश्तैनी मकान लखनपुर क्षेत्र के अटारी गांव में है। एक मकान भरतपुर स्थित राजेंद्र नगर में भी है, जहां वे आते-जाते रहते हैं। खुद भजनलाल अपनी पत्नी व बच्चों के साथ जयपुर के मालवीय नगर में एक अपार्टमेंट में रहते हैं।
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