भारत और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों में आमने-सामने आए बिना ही ‘लड़ाई’, तेजस और JF-17 में जोर-आजमाइश
भारत के तेजस और पाकिस्तान के जेएफ-17 को कम लागत वाले लड़ाकू विमानों की समान आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किया गया। दोनों की क्षमताएं मिलती हैं, ऐसे में दोनों एयरक्राफ्ट के बीच एक मुकाबले की स्थिति बन गई है। ऐसे में दोनों की क्षमताओं की तुलना की जा रही है।
हाइलाइट्स
- भारत और पाकिस्तान के एयरक्राफ्ट की तुलना
- भारत ने किया है तेजस एमके का सफल परीक्षण
- पाकिस्तान ने चीन की मदद से बनाया है जेएफ17
इस्लामाबाद: भारत ने अपने तेजस एमके 1ए कॉम्बेट फाइटर जेट का हाल ही में सफल परीक्षण किया है। तेजस एमके 1ए ने मार्च में अपनी पहली उड़ान में नए सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्कैन (एईएसए) रडार, एवियोनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता, आंतरिक संरचना और बाहरी मोल्ड लाइन में बदलाव के साथ उड़ान भरी है। तेजस के परीक्षण ने इसे हवाई वर्चस्व और वैश्विक बिक्री के मामले में पाकिस्तान के जेएफ-17 के मुकाबले खड़ा कर दिया है। दोनों लड़ाकू विमान समान सैन्य अभियानों और आवश्यकताओं के लिए बनाए गए हैं। ऐसे में दोनों विश्व बाजारों में भी प्रतिस्पर्धा करते दिखेंगे। दोनों विमान आमने-सामने नहीं हैं लेकिन दोनों में मुकाबला चल रहा है। दोनों में श्रेष्ठता को लेकर विश्व में एक जोर आजमाइश जरूर है।
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि भारत का तेजस जेट आकार और वजन के हिसाब से हल्के लड़ाकू जेट की श्रेणी में है। भारतीय वायु सेना 2016 से 5.9 अरब डॉलर के बजट के साथ तेजस एमके 1ए के मॉडर्न वर्जन पर काम कर रही है। तेजस एमके 2 को अब “दूसरी पीढ़ी” संस्करण के रूप में योजनाबद्ध किया जा रहा है, जिसमें एमके 1 और एमके 1ए में कई सुधार किए गए हैं। तेजस ने पहली बार 2016 में उड़ान भरी थी। ये स्वदेशी सैन्य विमान बनाने के भारत के चार दशक पुराने अभियान का हिस्सा है। एख एमके 1ए यूनिट की लागत 37.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
पाकिस्तान के जेट से हो रही तुलना
पाकिस्तान के जेफ-17 ने पहली बार 2003 में उड़ान भरी थी। इसको पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स और चीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री कॉम्प्लेक्स के साझा प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है। शुरुआत में जेएफ-17 एयरफ्रेम चीन में ही बनाए गए थे लेकिन अब 58 फीसदी विमान पाकिस्तान और 42 प्रतिशत चीन में बन रहे हैं। जेएफ-17 की कीमत 15 से 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। ये अपेक्षाकृत कम कीमत इसे विकासशील विश्व वायु सेनाओं के लिए व्यवहार्य बनाती है। इसे F-22 और F-35 जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों का मुकाबला करने के लिए नहीं बल्कि हल्के सशस्त्र विद्रोहियों के खिलाफ उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है।
दोनों एक ही मकसद से किए गए तैयार
भारत के तेजस और पाकिस्तान के जेएफ-17 को कम लागत वाले लड़ाकू विमानों की समान आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किया गया था, इसलिए उनकी तकनीकी विशेषताएं एक जैसी हैं। भारत रक्षा अनुसंधान विंग (आईडीआरडब्ल्यू) ने जुलाई 2023 में बताया था कि तेजस एमके 1ए एयरफ्रेम में इजरायली ईएलटीए ईएलएम-2052 सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन किए गए ऐरे (एईएसए) रडार होंगे। एयरफोर्स टेक्नोलॉजी का कहना है कि तेजस में हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले और दृष्टि, हैंड्स-ऑन थ्रॉटल और स्टिक कंट्रोल सिस्टम, एवियोनिक्स सुइट के साथ ग्राउंड प्रॉक्सिमिटी वार्निंग सिस्टम और जीपीएस जैसी प्रणालियां भी हैं। सभी तेजस वेरिएंट में 30 मिमी रूसी जीएसएच-30-1 गन होगी, जिसे उपयोग करने और बनाए रखने में भारतीय वायुसेना के पास व्यापक अनुभव है।
जेएफ-17 ब्लॉक III चीनी केएलजे-7ए एईएसए रडार का उपयोग करता है, जिसकी अधिकतम सीमा 170 किलोमीटर होने का दावा किया गया है। इसके जेएफ-17 में उन्नत एवियोनिक्स सूट, उन्नत डेटालिंक सिस्टम, नाइट-विज़न संगत डिस्प्ले, इन्फ्रारेड सर्च और ट्रैक और जीपीएस क्षमता है। जेएफ-17 को रूसी जीएसएच-23 डुअल-बैरल 23-मिलीमीटर तोप से लैस किया जा सकता है। जेएफ-17 विभिन्न अनगाइडेड बम, सैटेलाइट-निर्देशित बम, रॉकेट, एंटी-शिप मिसाइल और एंटी-रेडिएशन मिसाइलों का उपयोग कर सकता है। भारत का तेजस अभी तक निर्यात नहीं किया गया है लेकिन जेएफ-17 ने महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बिक्री हासिल कर ली है। अर्जेंटीना, नाइजीरिया, बोत्सवाना, मिस्र और फिलीपींस ने तेजस को खरीदने में रुचि व्यक्त की है।
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