भारत की तरक्की से कुछ लोगों का हाजमा गड़बड़’:उपराष्ट्रपति बोले- PM की साख दुनिया के श्रेष्ठ नेताओं में; सत्ता में दलाल खत्म किए
जयपुर
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इशारों-इशारों में विपक्ष के नेताओं पर तंज कसा है। धनखड़ ने कहा कि आज भारत का डंका दुनिया में बज रहा है। भारत की तरक्की को देखकर कुछ लोगों का हाजमा गड़बड़ हो जाता है।उनसे कुछ उल्टी-पुल्टी बात किए बिना नहीं रहा जाता है। धनखड़ गुरुवार को कर्ण नरेंद्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, जोबनेर के कार्यक्रम में बोल रहे थे।
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उन्होंने कहा- यह अच्छा लगता है क्या? अच्छा नहीं लगता और नहीं लगना चाहिए। पाचन शक्ति देश के लिए अच्छी होनी चाहिए, यह विषय राजनीति का नहीं है,यह विषय देश का है। जब देश का मामला है तो सब राजनीति पीछे है, पहले मेरा देश आगे हैं।
धनखड़ ने कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गिनती दुनिया के श्रेष्ठ नेताओं में होती है। आज भारत अपने फैसले अपने हित को देखकर करता है किसी के जवाब में नहीं। हमें हमारे देश के प्रति हमेशा गर्व का भाव रखना चाहिए।
सत्ता केंद्र में भ्रष्टाचारियों की कोई एंट्री नहीं है
धनखड़ ने कहा- एक जमाना था जब सरकार की तरफ से कोई राहत मिलती तो बीच में गायब हो जाती थी, पैसा बीच में कम हो जाता था। बिचौलियों बिना काम नहीं चलता था। कहां गए वह बिचौलिए? सब खत्म ही हो गए हैं। यह पहली बार भारत में हुआ है कि सत्ता के केंद्र में भ्रष्टाचारियों की कोई एंट्री नहीं है।
हमारे पावर सेंटर्स टोटली सैनिटाइज हो चुके हैं। पावर ब्रोकर और दलाल खत्म हो चुके हैं। इसी का नतीजा है कि प्रधानमंत्री ने योजनाओं पर फोकस किया। 17 करोड़ गैस कनेक्शन दिए गए हैं। मैं जब सांसद था तो हमें साल में 50 गैस कनेक्शन मिलते थे। हम सोचते थे हमारे हाथ में बहुत बड़ी ताकत है।
जोबनेर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के 11वें स्थापना दिवस समारोह में उपराष्ट्रपति ने किसानों को नई तकनीक अपनाने की सलाह दी।
आज पूरी दुनिया में भारत का डंका बजता है
धनखड़ ने कहा- आज आप ऐसे भारत में रह रहे हो जिसका डंका पूरी दुनिया में बजता है। मैं 1989 में सांसद था, लोग जानते हैं कि 1989 में हमारी क्या स्थिति थी? हमारी आर्थिक स्थिति क्या थी?
सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश का सोना गिरवी रखने जहाज से विदेश भेजा गया, ताकि देश की साख बच जाए। तब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दो मिलियन के बीच था, जो 15 दिन से ज्यादा नहीं चल सकता था। आज 600 मिलियन का विदेशी मुद्रा भंडार है। आज हमारे देश का नेतृत्व ऐसा है, जिसने देश को मजबूती दी है।
उपराष्ट्रपति ने कहा- दुनिया में पांच देशों की बड़ी चिंता थी, ये पांच देश आर्थिक रूप से कमजोर थे। दुनिया को लगता था कि ये बिखर जाएंगे। उनमें ब्राजील, साउथ अफ्रीका, इंडोनेशिया, तुर्की और भारत थे। अब आप करिश्मा देखिए सितंबर 2022 में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन गया। कोई अंदाजा लगा सकता है इतनी बड़ी छलांग कोई देश लगा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कितनी बड़ी ताकत दिखाई
धनखड़ ने कहा- प्रधानमंत्री ने कितनी बड़ी ताकत दिखाई,कोई सोच भी नहीं सकता था कि इतने विशाल देश में हर घर में टॉयलेट होगा। कोई आदमी कल्पना करेगा हर घर में नल होगा और नल में जल होगा। आज के दिन हर गांव में इंटरनेट है। हम इंटरनेट यूज में अमेरिका और चीन से भी आगे हैं। साल में तीन बार 11 करोड़ किसानों को सीधा पैसा मिलता है। साल 2014 में शुरुआत की गई हर व्यक्ति का बैंक अकाउंट हो, वह कितना सार्थक हुआ।
शिक्षा का व्यवसायीकरण समाज हित में नहीं
उन्होंने कहा- प्राचीन भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यापार नहीं था। लोग धर्मशाला बनाते थे, स्कूल, अस्पताल बनाते थे। आजादी के बाद भी बड़े औद्योगिक घरानों ने भी ही काम किया। अब यह व्यवसाय बन गया है। शिक्षा का व्यवसायीकरण कभी भी समाज के हित में नहीं हो सकता।
मैं मानकर चलता हूं और इसमें बड़ा बदलाव आ रहा है। तीन दशक के बाद नई शिक्षा नीति आई है। व्यापक स्तर पर मंथन और चिंतन हुआ है। स्टूडेंट्स भारत के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
उपराष्ट्रपति ने जोबनेर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के स्थापना दिवस के मौके पर कर्ण नरेंद्र सिंह को श्रद्धाजंलि अर्पित की। कर्ण नरेंद्र ने इस संस्थान की स्थापना के लिए 1100 बीघा जमीन दान दी थी।
किसान बदली तकनीक के साथ खुद को बदलें
धनखड़ ने कहा- किसानों से आग्रह है कि बदलती हुई तकनीक के साथ बदलें। एक किसान ने मुझे कहा कि ट्रैक्टर तो लगातार चलते रहना चाहिए। मैं कहता हूं 10 साल बाद ट्रैक्टर मत रखो, नया लो।
कृषि में जितनी मॉडर्नाइजेशन की आवश्यकता है, उतनी कहीं नहीं है। मुझे वह भी जमाना याद है, जब हम अमेरिका से गेहूं मंगवाते थे। हमारे वैज्ञानिकों और किसानों ने देश को अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया।
मेरे पिता ने मेरे मुंशी से कहा था तुम इसकी वकालत का बंटाधार करोगे
उपराष्ट्रपति ने कहा- मैंने जब वकालत शुरू की थी तो मेरे मुंशी से मेरे पिताजी ने पूछा कि तुम यह कैसे तय करोगे कि वकील साहब से पहले कौन मिलेगा?
मुंशी ने कहा कि जो सूट बूट में आएगा उसे मैं पहले मिला दूंगा। इस पर पिताजी ने कहा कि तुम इसकी वकालत का बंटाधार कर दोगे। जो भी पगड़ी वाला आए, उसे तुरंत मिला दिया कर। मेरी वकालत इन पगड़ी वालों की बदौलत थी। मैंने पगड़ी वालों के दम पर ही अपना सफर पूरा किया है। यदि यह बात छुपाना भी चाहता तो भारत के प्रधानमंत्री ने तो राज्यसभा में जब मैं सभापति की सीट पर बैठा तो मेरा परिचय कराया तो कहा कि यह कृषि पुत्र है।
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