भूटान में लगातार कब्जा बढ़ा रहा चीन:बेयुल खेनपाजोंग में शाही परिवार से जुड़ी जमीन पर इमारतें-सड़कें बनाईं, सैटेलाइट तस्वीरों में खुलासा
अमेरिका की मैक्सार टेक्नोलॉजी ने जो सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं उनमें बेयुल खेनपाजोंग में पिछले 3 सालों में हुए चीनी कंस्ट्रक्शन को दिखाया गया है।
चीन तेजी से भूटान के उत्तरी इलाकों के पास इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रहा है। सैटेलाइट इमेज से इसका खुलासा हुआ है। तस्वीरें ऐसे समय सामने आई हैं जब चीन और भूटान सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
नई तस्वीरें बेयुल खेनपाजोंग इलाके की हैं। यह इलाका शाही परिवार से जुड़ा है। अमेरिका की मैक्सार टेक्नोलॉजी ने जो सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं उनमें बेयुल खेनपाजोंग में पिछले 3 सालों में हुए चीनी कंस्ट्रक्शन को दिखाया गया है। चीन ने यहां शाही परिवार से जुड़ी जमीनों पर इमारतें और सड़कें तैयार की हैं।
लंदन यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS) में तिब्बती इतिहास के एक्सपर्ट प्रोफेसर रॉबर्ट बार्नेट का कहना है कि चीन की तरफ से हो रही ये गतिविधियां उसकी महत्वाकांक्षाओं को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा- भूटान के लिए बेयुल खेनपाजोंग सांस्कृतिक महत्व रखता है, यह जानते हुए भी चीन कंस्ट्रक्शन कर रहा है। वो जानता है कि भूटान इस हरकत का जवाब नहीं दे सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि शाही परिवार के पुरखों की धरोहर पहाड़ी इलाके तक फैली है। इन्हीं पर चीन कब्जा कर रहा है। इसके बावजूद भूटान सरकार यहां चीन के कब्जे को रोकने में नाकाम रही है।
इसमें चीन की बनाई हुई सड़कें और इमारतें दिख रही हैं।
सीमा निर्धारित करने पर हो रही चीन-भूटान के बीच बातचीत
भूटान अपने क्षेत्र में चीनी घुसपैठ को हमेशा के लिए खत्म करने की कोशिश में चीन के साथ संबंध बढ़ा रहा है। दोनों देश सीमा निर्धारित करने पर बातचीत कर रहे हैं। अक्टूबर 2023 में भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोर्जी ने बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की थी।
भूटान के विदेश मंत्री दोरजी के साथ मुलाकात में चीनी विदेश मंत्री ने कहा था कि चीन सीमा विवाद सुलझाने को तैयार है। भूटान के प्रधानमंत्री लोताय शेरिंग ने भी पिछले दिनों एक इंटरव्यू में चीन के डोकलाम की जमीन की अदला-बदली करने के प्रस्ताव का जिक्र किया था।
जाकरलुंग घाटी में भी दो बड़े गांव बना रहा चीन
चीन जाकरलुंग घाटी में अपने लोगों के रहने के लिए 129 बिल्डिंग्स बना रहा है। थोड़ी दूर पर 62 इमारतों का कंस्ट्रक्शन भी हो रहा है। इससे साफ होता है कि चीन, भूटान में दो बड़े गांव बसा रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के प्रोफेसर रॉबर्ट बार्नेट का कहना है कि चीन नॉर्थ भूटान पर कब्जा करना चाहता है। आने वाले समय में नॉर्थ भूटान की जाकरलुंग घाटी चीन के हाथों में जा सकती है।
चीन ने पहले भी भूटान में रोड बनाने की कोशिश की थी
चीन ने पहले भी भूटान के इलाकों में रोड बनाने की कोशिश की थी। हालांकि ये ज्यादातर पश्चिमी भूटान में हो रहा था। 2017 में चीन ने दक्षिण-पश्चिम में डोकलाम में रोड बनाने की कोशिश की। यहां उसकी भारतीय सैनिकों से झड़प हुई। दरअसल, डोकलाम में चीन, भारत और भूटान तीनों देशों की सीमाएं लगती हैं।
भूटान का सबसे बड़ा सहयोगी देश है भारत
ऐतिहासिक तौर पर भूटान हमेशा भारत के करीब रहा है, हालांकि उसकी फॉरेन पॉलिसी में भारत ने कभी दखलंदाजी नहीं की। 8 लाख की आबादी वाले भूटान की गुट निरपेक्ष नीति है। उसके अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस से राजनयिक संबंध नहीं हैं। 1949 में भारत-भूटान में विदेश नीति, व्यापार व सुरक्षा को लेकर संधि हुई थी। 2007 में विदेश नीति का प्रावधान हटा दिया गया। भारत अब भूटान का सबसे बड़ा राजनयिक और आर्थिक साथी है।
दो क्षेत्रों को लेकर भूटान-चीन सीमा विवाद
भूटान की 600 किमी सीमा चीन से लगती है। दो इलाकों को लेकर सबसे ज्यादा विवाद है। पहला- 269 वर्ग किमी क्षेत्रफल का डोकलाम इलाका और दूसरा- उत्तर भूटान में 495 वर्ग किमी का जकारलुंग और पासमलुंग घाटी का क्षेत्र। सबसे गंभीर मामला डोकलाम का है, जहां चीन, भारत और भूटान तीनों देशों की सीमाएं लगती हैं। अक्टूबर 2021 में चीन और भूटान ने ‘थ्री-स्टेप रोडमैप’ के समझौते पर दस्तखत किए थे।
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