भैरोंसिंह शेखावत ने जब वसुंधरा राजे को रिस्क में डाला…वह रोईं, फिर भी नहीं पसीजा बाबोसा का कलेजा!
Rajasthan Elections and Bhairon Singh Shekhawat: राजस्थान विधानसभा चुनाव के सीजन में लोग पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व सीएम भैरोंसिंह शेखावत को लोग अपने अपने हिसाब से याद कर रहे हैं। ऐसे में हम आपको राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और भैरोंसिंह शेखावत के राजनीति रिश्ते के बारे में बता रहे हैं। माना जाता है कि भैरोंसिंह ही वसुंधरा को राजनीति में लेकर आए।
झालावाड़: पूर्व उपराष्ट्रपति और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत शेखावत की 100वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल कलराज मिश्र समेत तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस वक्त राजस्थान में विधानसभा चुनाव का दौर चल रहा है इसलिए तमाम दलों के नेता पार्टी लाइन से अलग जाकर भैरोंसिंह शेखावत शेखावत को याद कर रहे हैं। इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता है कि भैरोंसिंह शेखावत शेखावत जिस स्वभाव के नेता रहे उसके चलते वह दूसरे दलों के नेताओं के लिए भी खास रहे। कांग्रेस समेत दूसरे दलों के नेता पार्टी लाइन से अलग जाकर उनके बारे में बातें करते हैं।
वसुंधरा राजे सिंधिया से भैरव का रहा खास रिश्ता
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का भैरोंसिंह शेखावत शेखावत से खास रिश्ता रहा। माना जाता है कि भैरोंसिंह शेखावत शेखावत ही वसुंधरा राजे सिंधिया को राजनीति में लेकर आए थे। इतना ही नहीं, भैरोंसिंह शेखावत शेखावत ने वसुंधरा को पहले राज्य की राजनीति में स्थापित किया, फिर लोकसभा के चुनाव में उतारकर केंद्र की राजनीति में भी हिट कराया। यही वजह है कि वसुंधरा राजे सिंधिया भैरोंसिंह शेखावत शेखावत को प्यार से बाबोसा का कहकर संबोधित करती हैं। आइए वसुंधरा राजे और भैरोंसिंह शेखावत शेखावत के बीच का एक दिलचस्प राजनीतिक किस्सा जानते हैं।
वसुंधरा राजे सिंधिया खुद भैरोंसिंह शेखावत शेखावत को याद करते हुए कहती हैं कि उनकी कोशिश होती थी कि किस तरह से हमारे राजस्थान को आगे बढ़ाया जा सके। भैरोंसिंह शेखावत शेखावती ने राजस्थान को लेकर यही बातें वसुंधरा के अंदर कूट-कूटकर भरने का काम किया। भैरोंसिंह शेखावत ने ही वसुंधरा को पहली बार धौलपुर विधानसभा सीट से चुनाव में उतारा था। इसके बाद वसुंधरा से पूछे बिना भैरोंसिंह शेखावत ने मंच से घोषणा कर दी कि वसुंधरा राजे झालावाड़ से लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रही हैं। यह खबर सुनकर वसुंधरा राजे ने घबराकर राजमाता को फोन किया और कहा कि ये क्या हो गया। वसुंधर धौलपुर में बेहद खुश थीं। इतना हीं नहीं वसुंधरा रोने लगीं, वह कहने लगीं कि उन्हें झालावाड़ जाना ही नहीं है। मैं तो जानती भी नहीं हूं कि यह जगह कहां है। वह धौलपुर में खुश हैं।
अशोक गहलोत का बड़ा बयान, ‘वसुंधरा राजे ने बचाई थी मेरी सरकार’वसुंधरा आगे बताती हैं कि इस पर राजमाता ने कहा कि बहसबाजी मत करो, आप भैरोंसिंह शेखावत से बात कर लें। इसके बाद वसुंधरा राजे रोते हुए बाबोसा (भैरोंसिंह शेखावत) को फोन लगाया और कहने लगीं, ये आपने क्या कर दिया। मैं तो झालावाड़ के बारे में कुछ भी नहीं जानती हूं। कहां भेज रहे हो मुझे। इसपर भैरोंसिंह शेखावत शेखावत ने वसुंधरा से कहा- ‘पॉलिटिक्स एक ऐसी जगह होती है जहां रिस्क लेने की जरूरत होती है। रिस्क अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी सकता है। ऐसे टाइम में आप अगर रिस्क लेते हो तो शायद यह आपके लिए अच्छा हो जाए। सांसद बनना कोई आसान बात नहीं है।’
भैरोंसिंह शेखावत ने वसुंधरा से आगे कहा कि धौलपुर में तुमने विधायक बनकर देख लिया, अब सांसद बनकर देखो। उन्होंने कहा कि तुम्हें झालावाड़ जाना होगा। तुम्हारा सारा अरेंजमेंट कर दिया गया है। तुम्हें किसी चीज की दिक्कत नहीं होगी। इसके बाद वसुंधरा डरते डरते झालावाड़ पहुंचीं। जैसे ही झालावाड़ स्टेशन पर उतरीं उस दिन से आज तक वसुंधरा के कानों में भैरोंसिंह शेखावत शेखावत के वचन गूंजते हैं। वह भले ही रिस्क था, लेकिन वसुंधरा ने डरते हुए ही इसे लिया। वसुंधरा मानती हैं कि अगर वह उस वक्त रिस्क नहीं लेतीं तो शायद राजस्थान के मुख्यमंत्री पद तक नहीं पहुंच पातीं। वह मानती हैं कि उनके राजनीतिक कॅरिअर को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में भैरोंसिंह शेखावत शेखावत और झालावाड़ की जनता का है।
भैरोंसिंह शेखावत शेखावत ने वसुंधरा को शुरुआत से ही सिखाया कि पूरा राजस्थान उनका परिवार है। उहोंने ही वसुंधरा को सिखाया था कि परिवार में छोटे बड़े हर किस्म के लोग होते हैं, लेकिन जब आप उन्हें प्यार देंगे तो वह रिटर्न में प्यार ही देंगे। वसुंधरा मानती हैं कि उनकी राजनीति में उतार चढ़ाव आते रहे, लेकिन भैरोंसिंह शेखावत की सीख की वजह से झालावाड़ और राजस्थान की जनता का प्यार लगातार मिलता रहा है। भैरस सिंह शेखावत ने राजस्थान की जनता से पारिवारिकता बनाने का हुनर दिया।
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