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मरूधरा की चुनावी जंग में आज 6 राजपरिवार भी उतरे, सियासी जमीन पर 5 कमल खिलाने को तैयार, एक हाथ के साथ

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मरूधरा की चुनावी जंग में आज 6 राजपरिवार भी उतरे, सियासी जमीन पर 5 कमल खिलाने को तैयार, एक हाथ के साथ

राजस्थान में आजादी के बाद 1952 का पहला राज्य चुनाव हो या आज का विधानसभा चुनाव 2023, राजपरिवारों का दखल हमेशा रहा है। पहले चुनाव में 28 वर्षीय राजा हनवंत सिंह राठौड़ ने मारवाड़ की 33 में से 30 सीटों पर प्रचंड बहुमत हासिल कर आजादी के बाद राजपाट जाने के बाद भी जनता के बीच अपनी लोकप्रियता साबित की थी। उसी वर्ष बीकानेर के राजा करणी सिंह बहादुर भी निर्दलीय चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे। स्वतंत्र पार्टी से 1962 में जयपुर की महारानी गायत्री देवी ने भी लोकसभा चुनाव जीता। यही नहीं तीन बाद सांसद चुनी गईं। कुल मिलाकर राजस्थान की सियासत में आजादी के बाद भी पूर्व राजपरिवारों दखल हमेशा से रहा है। इसबार के विधानसभा चुनाव में भी ऐसे ही 6 पूर्व राजपरिवारों के सदस्य सियासी जंग लड़ रहे हैं। पढ़ें कहां से कौन चुनावी मैदान में…

rajasthan election 2023 six members of the royal families in the state assembly poll on november 25 whome five were fielded by the bjp

मरूधरा की चुनावी जंग में आज 6 राजपरिवार भी उतरे, सियासी जमीन पर 5 कमल खिलाने को तैयार, एक हाथ के साथ

राजस्थान में आजादी के बाद की राजनीति से लेकर आज की सियासत तक पूर्व राजपरिवारों के सदस्य अहम भूमिका निभाते आए हैं। राज्य के मतदाता भी इनपर अपना विश्वास जताते आए हैं। आजादी के बाद जिस तरह से मारवाड़ से हनवंत सिंह राठौड़, बीकाने से करणी सिंह बहादुर और जयपुर से महारानी गायत्री देवी को जनता का साथ मिला, अब भी ऐसा ही समर्थन पूर्व राजपरिवारों को मिलता आ रहा है। इस चुनाव में भी 6 पूर्व राजपरिवारों के सदस्य चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं।

वसुंधरा राजे- राजपूतों की बेटी, जाटों की बहू और गुर्जरों की समधन

वसुंधरा राजे- राजपूतों की बेटी, जाटों की बहू और गुर्जरों की समधन

राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे इसबार भी चुनाव लड़ रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ग्वालियर के सिंधिया शाही परिवार से हैं।उनकी शादी राजस्थान के धौलपुर शाही परिवार के राजा हेमंत सिंह से हुई थी।राजे की मां विजया राजे सिंधिया भी जनसंघ की संस्थापक सदस्य थीं, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मूल पार्टी थी।
राजे ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1985 में धौलपुर से लड़ा, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के बनवारी लाल को हराया था। हालांकि 1993 में जब उन्होंने बीजेपी से यहीं दोबारा चुनाव लड़ा तो हार गईं। इसके बाद 2003 के बाद से झालरापाटन से लगातार चुनाव जीतती आई हैं। इसबार भी इसी सीट से चुनाव मैदान में हैं।

दीया कुमारी- 10 साल पहले शुरू की राजनीति

दीया कुमारी- 10 साल पहले शुरू की राजनीति

जयपुर के पूर्व राजघराने की गायत्री देवी के दत्तक पुत्र सवाई भवानी सिंह की बेटी है दीया कुमारी। दीया कुमारी ने 10 साल पहले यानी 2013 में राजस्थान की राजनीति में कदम रखा था। पहले चुनाव में सवाई माधोपुर से विधायक बनीं। 2019 में राजसमंद से सांसद भी रहीं। यह उनका तीसरा चुनाव है। इसबार वो जयपुर की विद्याधर नगर सीट से चुनावी मैदान में हैं।

सिद्धि कुमारी –

सिद्धि कुमारी -

बीकानेर के पूर्व राजघराने की राजकुमारी सिद्धि कुमारी बीकानेर से चुनाव लड़ रही हैं। वे पूर्व सांसद महाराजा करणी सिंह बहादुर की पोती हैं। 2008 से बीकानेर पूर्व सीट से तीन बार बीजेपी विधायक रहीं। 2018 के चुनाव में सिद्धि ने कांग्रेस के कन्हैया झंवर को मात्र 3% वोटों से हराकर सीट जीती थी। इसबार कांग्रेस ने इस सीट से पार्टी के दिग्गज नेता यशपाल गहलोत को उनके खिलाफ मैदान में उतारा है।

​कल्पना देवी – कोटा के पूर्व राजघराने की सदस्य, दूसरी बाद मैदान में

​कल्पना देवी - कोटा के पूर्व राजघराने की सदस्य, दूसरी बाद मैदान में

कल्पना देवी को बीजेपी ने कोटा की लाडपुरा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। पूर्व राजघराने की सदस्य कल्पना देवी, महाराव राज सिंह की पत्नी हैं। लाडपुरा सीट से मौजूदा विधायक हैं। 2018 में उन्होंने गभग 53% वोटों से जीत हासिल की थी।

विश्वराज सिंह मेवाड़ – उदयपुर के पूर्व राजघराने के राजकुमार

विश्वराज सिंह मेवाड़ - उदयपुर के पूर्व राजघराने के राजकुमार

राजस्थान के प्रसिद्ध राजपूत योद्धा राजा महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। करीब एक महीने पहले 17 अक्टूबर को दिल्ली में उन्होंने सीपी जोशी और दीया कुमारी की मौजूदगी में बीजेपी ज्वॉइन की थी। उन्हें पार्टी ने राजसमंद की नाथद्वारा सीट से चुनाव लड़ाया है। बीजेपी ने इसके जरिए कांग्रेस का गढ़ कही जानी वाली इस सीट पर सेंध लगाने की कोशिश की है। यहां से कांग्रेस से विधानसभा अध्यक्ष और पांच बार के कांग्रेस विधायक सीपी जोशी को चुनाव लड़ाया है।

​विश्वेन्द्र सिंह – भरतपुर के पूर्व राजघराने की चुनावी जंग​

​विश्वेन्द्र सिंह - भरतपुर के पूर्व राजघराने की चुनावी जंग​

भरतपुर के अंतिम शासक बृजेंद्र सिंह के बेटे यानी पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह 3 बार सांसद और 3 बार विधायक रह चुके हैं। 2013 और 2018 में लगातार दो चुनाव जीतने वाले विश्वेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में पर्यटन मंत्री बनाया गया। तीन साल पहले सचिन पायलट के बगावती घटनाक्रम के चलते उन्हें पद से हटा दिया गया। हालांकि बाद में सुलह की राजनीति और मान-मनौवल के बाद उन्हें फिर से मंत्री पद दे दिया गया। इस बार उनके सामने बीजेपी ने शैलेश सिंह को मैदान में उतारा है।

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