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मर्डर के 23 दिन बाद साक्षी का केस कहां:पिता बोले- हिंदू-मुस्लिम की बात नहीं, UP होता तो साहिल का एनकाउंटर हो जाता

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मर्डर के 23 दिन बाद साक्षी का केस कहां:पिता बोले- हिंदू-मुस्लिम की बात नहीं, UP होता तो साहिल का एनकाउंटर हो जाता

दिल्ली के शाहबाद डेयरी एरिया में एक छोटा और कच्चा सा घर। अंदर मौजूद पति-पत्नी टीवी पर न्यूज देख रहे हैं। न्यूज में अपनी बेटी साक्षी को तलाश रहे हैं, जिसकी 28 मई को बहुत बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।

साक्षी के एक्स बॉयफ्रेंड बताए गए साहिल ने सड़क पर उसे 20 से ज्यादा बार चाकू मारा और फिर पत्थर से सिर कुचल दिया। मर्डर के कुछ दिन तक साक्षी के घर नेता, पुलिस, मीडिया सब आते रहे। अब सन्नाटा है। उसके माता-पिता टीवी इसलिए देख रहे हैं ताकि पता चले कि केस कहां तक पहुंचा, लेकिन अब साक्षी की खबर कहीं नहीं है।

साक्षी की मौत को 23 दिन बीत गए। सुबह से रात तक उसके परिवार को दिखाने वाले मीडिया के कैमरे अब दिखाई नहीं दे रहे। दिल्ली सरकार की तरफ से परिवार को 10 लाख रुपए की मदद मिली है। हालांकि ये पहेली अब भी अनसुलझी है कि साक्षी की मौत से पहले क्या हुआ था।

पुलिस की गिरफ्त में साक्षी की हत्या का आरोपी साहिल। 20 साल का साहिल एसी और फ्रिज रिपेयर करने का काम करता है। हत्या के बाद वो यूपी के बुलंदशहर चला गया था।

पुलिस की गिरफ्त में साक्षी की हत्या का आरोपी साहिल। 20 साल का साहिल एसी और फ्रिज रिपेयर करने का काम करता है। हत्या के बाद वो यूपी के बुलंदशहर चला गया था।

इस केस में सामने आए किरदार जैसे, साक्षी की दोस्त नीतू और झबरू कहां हैं। ये जानने हम फिर उसी मोहल्ले में पहुंचे, जहां साक्षी रहती थी और जहां उसकी हत्या की गई।

साक्षी की मां बोली- एक दिन का हल्ला था, अब कोई नहीं आता
सबसे पहले हम शाहबाद डेयरी इलाके में बनी झुग्गी बस्ती के ब्लॉक ए में पहुंचे। साक्षी का परिवार यहीं रहता है। दो कमरों का मकान है। सामने एक टूटी चारपाई रखी है, साक्षी के माता-पिता इसी पर बैठे हैं।

हमने कहा, साक्षी के बारे में बात करनी है। मां बोलीं, ‘एक दिन का हो-हल्ला था। मीडियावाले खबर बनाकर चले गए, लेकिन बेटी को मारने वाले का क्या होगा, ये अब तक नहीं पता। एक बार वकील ने बुलाया था, कुछ कागज पर साइन कराए बस। ’

साक्षी की बात होते ही मां दीवार पर लगी एक फोटो उतारकर लाती हैं। ये फोटो साक्षी के बचपन की है। इसमें उसके माता-पिता और भाई भी हैं। उसे देखते हुए मां कहती हैं, ‘वैष्णो देवी से बहुत मन्नत मांगी थी, उसके बाद साक्षी गोद में आई थी। क्या मालूम था कि 16 साल जिसे पालूंगी, भगवान उसे ऐसे छीन लेगा।’

साहिल घर पर धमकाने आता था, हम हाथ जोड़कर मनाते थे…
साक्षी की मां ने बताया, ‘साहिल मास्क लगाकर हमारे घर धमकाने के लिए आता था। कभी घर के आगे वाले दरवाजे को पीटकर चला जाता था, तो कभी पीछे वाले दरवाजे को। हम लोग उससे परेशान थे। दो महीने पहले तक वो इस तरह की हरकतें कर रहा था।’

साक्षी के पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं। वे घर से बाहर ही रहते हैं। साहिल की हरकतों की वजह से उन्हें बेटी की फिक्र रहती थी। वे कहते हैं, ‘साहिल कभी-कभी मेरे घर आता था। मैं पूछता था कि तुम यहां क्यों आते हो? साहिल कहता था कि ज्यादा बोलोगे तो जान से मार दूंगा। पुलिस से शिकायत की तो छोड़ूंगा नहीं।’

UP होता तो अब तक बेटी को मारने वाले का एनकाउंटर हो जाता…
मर्डर से कुछ घंटे पहले साक्षी ने फोन पर मां से बात की थी। फिर साक्षी की दोस्त भावना ने आकर बताया कि उसे किसी ने चाकू मार दिया है, तो मां को यकीन नहीं हुआ। वे कहती हैं, ‘थोड़ी देर बाद पुलिस वाले आए और साथ चलने के लिए कहा। मैंने पूछा कि मुझे क्यों ले जा रहे हैं, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और बस चलने के लिए कहा। तभी मेरे पति आ गए और उन्होंने साक्षी की पहचान की।’

साक्षी के पिता कहते हैं, ‘मैं बस ये चाहता हूं कि साहिल को फांसी की सजा हो। वो भी उस जगह पर जहां उसने मेरे बेटी को मारा है। ये हिंदू-मुस्लिम की बात नहीं है, बात अपराधी की है। साहिल ने जो अपराध किया है, उसके लिए मौत की सजा ही मिलनी चाहिए, फिर भले वो किसी भी जाति या धर्म से हो।’

‘हम UP के रहने वाले हैं। दिल्ली सरकार से उम्मीद है, लेकिन अगर यहां हमें इंसाफ नहीं मिला तो हम यूपी के CM योगी आदित्यनाथ के पास जाएंगे। अगर ये केस UP में होता तो अब तक साहिल का एनकाउंटर हो चुका होता। पूरे मामले की CCTV फुटेज है। योगी जी के लिए इतना ही काफी होता है, किसी को न्याय दिलाने के लिए।’

मौत से पहले साक्षी के दस दिन…
साक्षी की मां ने बताया कि मौत से करीब 10 दिन पहले से वो घर में नहीं रह रही थी। उसकी दोस्त नीतू के पति घर नहीं थे, इसलिए कुछ दिनों के लिए उसके पास रहने चली गई थी। ऐसा नहीं है कि उससे हमारी बातचीत नहीं हो रही थी। हत्या वाले दिन भी साक्षी से बात हुई थी।’ हमने पूछा कि नीतू कहां रहती है, तो उन्होंने कहा कि ‘हमें इस बारे में कुछ नहीं पता।’

केस में दो और किरदार, साक्षी के दोस्त झबरू और नीतू

नीतू बोली- साहिल से दोस्ती थी, पर मेरे सामने उससे बहुत बात नहीं करती थी
साक्षी के घर के आसपास रहने वाले लोगों से बात करने पर हमें नीतू का पता मिल गया। हम उसके घर पहुंचे। नीतू का घर साक्षी के घर के करीब ही है। नीतू कैमरे पर नहीं आई, पर बताया, ‘साक्षी को मैं 6-7 महीने से जानती थी। मैं और साक्षी क्लोज फ्रेंड थे।’

‘वो जब मेरी अच्छी दोस्त बन गई, तो उसने बताया था कि साहिल नाम के एक लड़के से उसकी दोस्ती है। कुछ दिनों से उनकी बात नहीं हो रही थी। वो मेरे सामने साहिल के साथ ज्यादा बात नहीं करती थी।’

झबरू बोला- मैं साक्षी को हॉस्पिटल ले गया, सब मुझे ही फंसा रहे
साक्षी के मर्डर के बाद उसके दोस्त झबरू के बारे में पता चला था कि उसने साहिल को धमकी दी थी। मोहल्ले में झबरू की इमेज दादानुमा है, इसलिए साहिल के धमकाने के बाद साक्षी उससे मदद मांगने गई थी। दोनों में पहले से दोस्ती थी। ये भी कहा गया कि झबरू के धमकाने के बाद ही साहिल ने साक्षी का मर्डर किया।

काफी देर शाहबाद डेयरी इलाके में घूमने के बाद हमारी मुलाकात झबरू से हुई। पहले उसने बात करने में आनाकानी की। वजह बताई कि ‘मीडिया ने मेरे बारे में गलत बातें लिखी हैं।’ कुछ देर बाद झबरू बातचीत के लिए तैयार हो गया। उसने बताया कि उसका असली नाम अजय है और वह दिल्ली नगर निगम में नौकरी करता है। पिता की मौत के बाद उसे उनकी जगह नौकरी मिली थी।

हमने पूछा कि साक्षी से आपकी पहचान कब और कैसे हुई? झबरू ने कहा, ‘मर्डर के एक दिन पहले 27 मई को साक्षी मेरे पास आई थी। कहने लगी कि साहिल मुझे टॉर्चर कर रहा है। फिर मैं साक्षी और उसकी दोस्त भावना के साथ साहिल से मिलने गया था। मैंने साहिल से पूछा था कि इसे क्यों परेशान कर रहा है। उसने कोई जवाब नहीं दिया था। हमारा लड़ाई करने का कोई इरादा नहीं था, इसलिए हम वहां से लौट आए थे।’

‘साहिल ने पुलिस को झूठ बताया कि मैं साक्षी के साथ उसके घर पिस्टल लेकर गया था और उसके साथ मारपीट की। साहिल ने कहा कि अगर मैं साक्षी को नहीं मारता, तो झबरू मुझे मार देता, लेकिन ये सब झूठ है। हमने उसके साथ मारपीट नहीं की। बस बहस जरूर हुई थी। मैंने साहिल से कहा था कि साक्षी को परेशान मत कर।’

इस कहानी में एक किरदार रोहित भी है। रोहित खुद को नीतू का अच्छा दोस्त बताता है। रोहित ही नीतू के बचाव में आया था। रोहित का कहना है कि ‘मैं साक्षी को नीतू के जरिए ही जानता था। मर्डर से 10 दिन पहले वो अपना घर छोड़कर आई थी, तब मैंने ही नीतू से कहा था इसे रख लो।’

‘नीतू का पति जेल में है। मोहल्ले वाले मुझे और नीतू को लेकर बातें बनाते हैं। इसलिए मुझे लगा कि साक्षी के आने से नीतू को सहारा मिल जाएगा।’ साहिल और झबरू के बारे में पूछने पर रोहित ने कहा कि वो दोनों को नहीं जानता।

सवाल जिनके जवाब अब भी नहीं हैं…

  • साक्षी के परिवार ने नीतू के बारे में अलग-अलग बातें क्यों कहीं। मां ने हमसे बातचीत में कहा कि हम लोग नीतू से मिलने जाते थे। फिर कहा कि नीतू कहां रहती है, पता नहीं। फिर बोलीं ‘वो यहां से घर छोड़कर चली गई।’ हमने लोगों से पता किया तो उसका घर साक्षी के घर के पास ही था।
  • नीतू के दोस्त रोहित ने बताया कि हम न साहिल को जानते हैं और न झबरू को। झबरू ने भी कहा कि वो नीतू को नहीं जानता। फिर नीतू ने झबरू को जन्मदिन में क्यों बुलाया था।
  • झबरू ने कहा कि वो साहिल को नहीं जानता। साक्षी से भी मर्डर से एक दिन पहले मिला था। फिर कैसे साक्षी के कहने पर उसे धमकाने चला गया था।
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