काशी साहित्यिक संस्थान की संस्थापिका वाराणसी की मशहूर कवयित्री व लेखिका डॉ. सुनीता जौहरी की पुस्तक “ऑनलाइन संस्थानों का सच” दुनिया की एकमात्र पुस्तक है जो ऑनलाइन साहित्य के क्षेत्र में हो रही सच्ची घटनाओं पर आधारित है।
किसी भी सत्य घटना पर लिखी गई कहानी के साथ न्याय करना बेहद कठिन है लेकिन डॉ सुनीता जी इस कार्य में शत प्रतिशत सफ़ल रही हैं।
हिंदी साहित्य की पहले ही हानि हो रही है। नई पीढ़ी हिंदी पढ़ना ही नहीं जानती, लिखेगी क्या, उस पर इस प्रकार की घटनाएं साहित्य क्षेत्र से लोगों का विश्वास डिगा देती हैं। कौन सोच सकता था एक दिन कविता और कहानी के नाम पर भी ठगी हो सकती हैं मगर कुछ लोग केवल अपने स्वार्थ के लिए पूरे समाज का नुकसान कर रहे हैं।
इस कहानी की नायिका नीता के माध्यम से सुनीता जी ने पीड़िता की वेदना को बखूबी व्यक्त किया है। भावनाओं का जो ताना बाना उन्होंने बुना है वो काबिले तारीफ़ है। जिस तरह साफ़ और सरल शब्दों में बिना किसी लाग लपेट के उन्होंने पूरी बात व्यक्त की है इस से उनकी सशक्त लेखनी का परिचय मिलता है।
इस कहानी का दूसरा महत्वपूर्ण पात्र है, प्रज्ञान। प्रज्ञान के बिना इस कहानी का सकारात्मक अंत होना मुश्किल था। ये किरदार इस बात का सबूत है कि मुसीबत में सच्चा दोस्त ही साथ देता है।
कुल मिलाकर यह एक खूबसूरत कहानी बनकर निकली है। आप सभी इसे ज़रूर पढ़ें।
जिसमें उन्होंने इस क्षेत्र में हो रही ठगी व अन्य दुखदाई घटनाओं के माध्यम से एक कहानी का ताना – बाना बुना है, और ऑनलाइन हो रही घटनाओं को बड़ी ही बेबाकी से इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है । डॉ सुनीता जौहरी को अनेकानेक साहित्य के क्षेत्र में सम्मान प्राप्त हो चुके हैं तथा वह साहित्य के क्षेत्र में वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना चुकी है। उनके संपादन में काशी से “सुनीता” नामक त्रैमासिक पत्रिका निकलती है तथा इन्होंने कई पुस्तकों का संपादन भी किया है। उनकी पुस्तक के प्रकाशन पर साहित्य से जुड़ी तमाम हस्तियों ने शुभकामनाएं दी और लोगों से अपील की कि इस पुस्तक को ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़ें ताकि अन्यों को सावधान होनें का अवसर प्राप्त हो ।
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