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मुफ्ती से मिलिटेंट बने अल्ताफ का अंजाम- एनकाउंटर:मां बोली-नहीं मालूम कब वो मिलिटेंट बन गया,हमें तो डेढ़ साल बाद जनाजा ही मिला

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*मुफ्ती से मिलिटेंट बने अल्ताफ का अंजाम- एनकाउंटर:मां बोली- नहीं मालूम कब वो मिलिटेंट बन गया, हमें तो डेढ़ साल बाद जनाजा ही मिला*
एक संकरी, लेकिन बेहद खूबसूरत गली। मानो हरियाली ने यहां अपना ठिकाना बना रखा हो। जिसने भी कश्मीर को जन्नत कहा होगा, वह जरूर इन गलियों से गुजरा होगा। रास्ते में खेलते-कूदते बच्चे। लेकिन जैसे-जैसे हम गली के भीतर दाखिल हो रहे थे, लोगों की सवालिया निगाहें हमें भेदती हुई हमारे मंसूबे टटोल रही थीं।इसी बीच मैंने गली में खेल रहे बच्चों से पूछा- कमांडर का घर जानते हो? इस गली का बच्चा-बच्चा तक कमांडर को जानता है, क्यों? क्योंकि वह आतंकी था और पिछले साल पुलिस एनकाउंटर में मारा जा चुका था। बच्चों ने मेरे सवाल का तुरंत जवाब दिया- हां जानते हैं। बच्चे ने उंगली से एक घर की तरफ इशारा कर दिया।

‘घर तक ले चलोगे?’ 3 बच्चे साथ-साथ चलने लगे। आकाश, जमीर और एक और बच्चा। सबकी उम्र 4-6 साल के बीच।
कमांडर क्या करता था? उसे पुलिस ने क्यों मारा? एक बच्चे ने तपाक से जवाब दिया– वह कश्मीर टाइगर्स के लिए काम करता था। वो आतंकवादी था। तुम क्या बनोगे- बिना सेकेंड गंवाए जवाब मिला। पहले ने कहा-पायलट, दूसरा बोला– IPS।

खैर, हम आतंकी कमांडर मुफ्ती अल्ताफ के घर में दाखिल हुए। सन्नाटा पसरा था। दो महिलाएं चबूतरे पर बैठी थीं।

‘क्या मुफ्ती का घर यही है?’ संशय भरी नजरों से इशारों में जवाब मिला- हां।

‘हम मीडिया से हैं और मुफ्ती के बारे में बात करनी है। उसकी मां या पत्नी से बात हो सकती है?’
एक बुजुर्ग औरत ने हमें देखा, फिर बैठने का इशारा किया। कश्मीरी बोली में पहले उसने कुछ भी बताने से मना किया, लेकिन जब हमने उसे यकीन दिलाया कि हम आपकी बात लिखेंगे, तब वह फूट-फूट कर रोने लगी। कश्मीरी समझने वाले हमारे साथी ने हमें बताया। उन्होंने कहा, ‘मेरा बच्चा नमाज पढ़ाता था, वह आतंकी नहीं था। वह कब आतंकी बना, हमें पता ही नहीं चला।’

*एक दिन वह मगरिब की नमाज पढ़ने निकला, फिर जिंदा नहीं लौटा*
‘खुदा की कसम हमें नहीं पता था उसका कनेक्शन आतंकियों के साथ है। उस रोज यानी 8 अगस्त 2020 को भी वह रात की नमाज (मगरिब) पढ़ने के लिए घर से निकला था, लेकिन फिर वापस नहीं आया। डेढ़ साल तक हम उसे ढूंढते रहे।’

पास बैठी अल्ताफ की बहन ने कहा, ‘उसकी पत्नी और दो बच्चियां हैं। हर रिश्तेदार और पहचान वाले से हमने उसके बारे में मालूमात की, पर किसी को कुछ पता नहीं था। पुलिस में भी शिकायत की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।’

उधर, मां रो-रोकर पूरी दास्तां बयां करती रही, ‘रोज हमारे घर पुलिस ही आती रहती थी। मेरे छोटे बेटे को भी दो बार उठाकर ले गई। उसे महीनों जेल में रखा। हमने पुलिस को बताया कि हम भी अल्ताफ को खोज रहे हैं, जैसे ही मिलेगा, सरेंडर करवाएंगे, लेकिन पुलिस हम पर भरोसा ही नहीं करती थी।’
वह कहती हैं, ‘जब अल्ताफ नमाजी था, तब भी पुलिस उसे आतंकी ही समझती थी। न जाने उससे कितनी ही बार पूछताछ हुई। कभी पूछती कि तुम किसके लिए काम करते हो? तो कभी हथियारों के बारे में पड़ताल की जाती। पुलिस की इस हरकत से अल्ताफ झुंझला उठता था। एक दिन शायद इसी गुस्से ने उसे बे-राह कर दिया।’

*मेरा छोटा बेटा तो सलामत रहेगा ना?*
मुफ्ती की मां कहती हैं, ‘डेढ़ साल तक हम दर- दर उसे तलाशते रहे, लेकिन कोई खबर नहीं लगी। एक दिन खबर आई कि मुफ्ती मिल गया है। मैं कैसे भूल सकती हूं वह तारीख– 30 दिसंबर, 2021… उसकी अगली खबर हम पर कयामत की तरह गिरी- वह पुलिस की गोली से मारा गया था।’
पुलिस ने बताया कि अल्ताफ ने आतंकी संगठन – कश्मीर टाइगर्स- जॉइन किया था। इसलिए उसका एनकाउंटर हो गया। मुफ्ती की मां फिर बदहवास होने लगती हैं। पूछती हैं, ‘बच्ची, अब मेरा छोटा बेटा तो नहीं मारा जाएगा? तुम्हारी कसम हमें तो पता नहीं था कि अल्ताफ ने किसी आतंकी संगठन को जॉइन किया है। पता होता तो हम उसे ऐसा नहीं करने देते।’

*अल्लाह… किसी मां को उसका मुर्दा बेटा न दिखाए*
एनकाउंटर को करीब डेढ़ साल बीत चुके हैं, लेकिन मां के आंसू थम नहीं रहे। वह कहती हैं, ‘हमारा घर तबाह हो गया। अल्ताफ डेढ़ साल से लापता था। इन महीनों में कोई रात ऐसी नहीं गई जब अल्ताफ की आवाज मेरे कानों में न गूंजी हो- अम्मी मैं आ गया। काश! वह मिलता ही नहीं। काश! वह लापता ही रहता। यकीन तो था कि एक दिन अल्लाह मेरे अल्ताफ को घर भेजेगा।’
वह फूट-फूट कर रोने लगती हैं, ‘एक बार गया तो जिंदा वापस ही नहीं आया। किसी मां को अल्लाह उसके बेटे का मुर्दा चेहरा न दिखाए। बेटे को मुर्दा देखना खुद मुर्दा हो जाने से भी ज्यादा खौफनाक है।’

*कौन था आतंकी अल्ताफ?*
फोर्स के मुताबिक, अल्ताफ कश्मीर टाइगर्स नाम के आतंकी संगठन का चीफ था। वह अपनी टीम का कमांडर था। श्रीनगर के जेवान इलाके में हुए बेहद खतरनाक आतंकी हमले के पीछे भी कश्मीर टाइगर्स ही था। इस हमले में 3 जवान शहीद हो गए थे और 11 गंभीर रूप से घायल हुए थे। यह संगठन लगातार घाटी में दहशत फैलाने की साजिश में शामिल रहता है।

*अल्ताफ ने रखी थी कश्मीर टाइगर्स की नींव*

कश्मीर टाइगर्स की शुरुआत मुफ्ती अल्ताफ उर्फ अबू जार ने की थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसने वीडियो से ये जानकारी खुद दी थी।

पहले जैश से जुड़ा अल्ताफ आतंकियों की मदद करता था।

13 दिसंबर 2021 को अल्ताफ ने भारतीय रिजर्व पुलिस के जवानों पर अटैक किया।

30 दिसंबर 2021 को एनकाउंटर में सुरक्षा बलों ने अल्ताफ को ढेर कर दिया।

2019 के बाद कश्मीर में 4 नए संगठन बने- कश्मीर टाइगर्स, TRF, PAFF, LEM

कश्मीर में 36 देशों के 36 आतंकी संगठन फिलहाल सक्रिय हैं।

सुरक्षा बलों ने अब तक 12 हजार से ज्यादा आतंकी मार गिराए हैं।

पाकिस्तान भाड़े के आतंकियों को 25 से 50 हजार रुपए महीने सैलरी देता है।

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