राजभवन में राजस्थान की समृद्ध विरासत का संरक्षण विषयक बैठक आयोजित
यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में स्मारकों को जुड़वाने के लिए हो कार्य
विरासत के संरक्षण, सांस्कृतिक जागरूकता के लिए समन्वित प्रयास जरूरी- राज्यपाल
जयपुर, 21 मार्च। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के लिए स्मारकों को सूचीबद्ध करने का कार्य प्रभावी रूप में किया जाए। उन्होंने कहा कि इस बारे में प्रस्ताव तैयार करने के साथ-साथ स्मारकों के संरक्षण और रख-रखाव की साझा दीर्घकालीन नीति पर भी कार्य किया जाए।
राज्यपाल श्री मिश्र ‘राजस्थान की समृद्ध विरासत का संरक्षण’ विषय पर सोमवार को यहां राजभवन में आयोजित बैठक में सम्बोधित कर रहे थे। इस दौरान राज्यपाल ने जैसलमेर किले के संरक्षण और सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए वहां अतिक्रमण की समस्या के प्रभावी समाधान पर बल दिया। उन्होंने महाराणा प्रताप का राज्यारोहण दिवस मनाने के सुझाव की सराहना करते हुए कहा कि ऐसा करने से महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों के प्रति आमजन का जुड़ाव और बढ़ेगा।
राज्यपाल ने कहा कि ऐतिहासिक एवं प्राचीन स्मारक हमारे अतीत और सांस्कृतिक वैभव के परिचायक हैं और राजस्थान की इस विरासत के संरक्षण के साथ ही इस बारे में सांस्कृतिक जागरूकता पैदा करने के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने योग्य धरोहर स्थलों की दृष्टि से राजस्थान में बहुत संभावनाएं हैं। विश्व धरोहर के रूप में मान्यता मिलने से उस स्थान का प्रभावी संरक्षण तो होता ही है, विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थान बनाने से वहां की अर्थव्यवस्था और रोजगार को भी बढ़ावा मिलता है।
राज्यपाल ने कहा कि सांस्कृतिक धरोहर के प्रति चेतना से ही कोई समाज और राष्ट्र अपनी जड़ों से जुड़ा रह सकता है। इस दृष्टि से बाड़मेर में किराडू मंदिर, उदयपुर के पास जगत मंदिर, भानगढ़, अलवर में टहला के पास नीलकण्ठ मंदिर, बिजोलिया के मंदिर, बूंदी में केशवरायपाटन, झालावाड़ की बौद्ध गुफाएं, टोंक स्थित बीसलपुर का शिव मंदिर जैसे बहुत सारे महत्वपूर्ण स्थान हैं जिनके संरक्षण की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री तरूण विजय ने कहा कि भारत की विरासत को विदेश से वापस लाने और देश में सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि रणकपुर, दिलवाड़ा के जैन मंदिरों, पुष्कर ब्रह्मा मंदिर को यूनेस्को विश्व विरासत सूची में शामिल करने के लिए राज्य सरकार के पुरातत्व विभाग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को मिलकर प्रस्ताव तैयार करने चाहिए। उन्होंने चित्तौड़गढ़ दुर्ग में जौहर स्थल के विकास और वहां लाइट एण्ड साउण्ड शो शुरू किए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने जैसलमेर किले सहित विभिन्न राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों में अतिक्रमण की समस्या के समाधान के लिए प्रशासन के स्तर पर प्रभावी कार्य किए जाने का आह्वान भी किया।
कला, साहित्य, संस्कृति तथा पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने कहा कि राज्य की गौरवशाली सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत को सहेजने के लिए प्रदेश में 40 से अधिक स्थानों पर पैनोरमा का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि डेजर्ट नेशनल पार्क जैसलमेर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए राज्य सरकार के स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
बैठक में राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्द राम जायसवाल, पर्यटन विभाग के निदेशक श्री निशान्त जैन, संयुक्त सचिव कला एवं संस्कृति श्री पंकज ओझा, पुरातत्व सर्वेक्षण, जयपुर मंडल के अधीक्षक डॉ. प्रवीण सिंह और जोधपुर मंडल अधीक्षक श्री बीरी सिंह सहित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एवं राज्य के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के अधिकारीगण उपस्थित रहे।
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