रवि विश्नोई सहित 10 से ज्यादा क्रिकेटर्स ने छोड़ा राजस्थान:बोले- यहां इनसिक्योरिटी, मनमर्जी; RCA सेक्रेटरी बोले- जय शाह के टच में रहने के लिए गुजरात गए रवि
कुछ दिन पहले राजस्थान क्रिकेट में बड़ी घटना हुई। इंटरनेशनल क्रिकेटर और जोधपुर के रहने वाले स्पिनर रवि विश्नोई ने मात्र 20 साल की उम्र में राजस्थान छोड़ दिया। विश्नोई गुजरात चले गए, वहां उन्होंने कैम्प किया और उसके तुरंत बाद विश्नोई वेस्ट इंडीज दौरे के लिए चुन लिए गए। विश्नोई भले इंडियन टीम में चुन लिए गए मगर उनका राजस्थान को छोड़कर जाना सहज नहीं था।
विश्नोई के जाने के कुछ दिन बाद ही राजस्थान रणजी टीम के कैप्टन अशोक मेनारिया ने भी राजस्थान छोड़ दिया। वह अब हरियाणा के लिए खेलेंगे। वहीं आने वाले दिनों में महिपाल लोमरोर भी राजस्थान छोड़कर एक दक्षिणी-पश्चिमी तटीय राज्य के लिए खेलने जा सकते हैं। क्रिकेटर्स और एसोसिएशन के बीच चल रहे इन विवादों को समझने के लिए हमने राजस्थान के सभी प्रमुख क्रिकेटर्स और कोच से बातचीत की।
राजस्थान के पूर्व क्रिकेटर्स ने RCA और राजस्थान के स्पोट्र्स मैनेजमेंट पर गंभीर सवाल खड़े किए। क्रिकेटर्स का कहना है कि RCA क्रिकेट को लेकर गंभीर नहीं है। क्रिकेटर्स के साथ न अच्छा बर्ताव किया जाता है, न ही उन्हें प्रॉपर सुविधाएं दी जाती हैं। यहां तक कि पदाधिकारियों के परिवार के लोगों को टीम में जगह देने के लिए सीनियर खिलाड़ियों को बाहर कर दिया जाता है। हमने जब राजस्थान के जाने-माने खिलाड़ियों से बात की तो राजस्थान से खिलाड़ियों और कोच के जाने के कई चौंकाने वाले कारण सामने आए।
मनमर्जी : पदाधिकारियों के बच्चों-रिश्तेदारों को टीम में जगह
कई क्रिकेटर्स का कहना था कि RCA में प्लेइंग-11 अब खिलाड़ियों के टैलेंट के बजाय पदाधिकारियों की मर्जी से चुनी जा रही है। अनुभवी, इंटरनेशनल और टेलेंटेड खिलाड़ियों की जगह, कई वो खिलाड़ी खेल रहे हैं जो बेहद औसत हैं मगर उनके परिवार के लोग या रिश्तेदार RCA में हैं। विनीत सक्सेना को बीच टूर्नामेंट में कोच के पद से हटाए जाने के पीछे क्रिकेटर्स यही वजह मानते हैं। क्रिकेटर्स का कहना है कि विनीत सक्सेना को बीच सीजन से सिर्फ इसलिए निकाल दिया क्योंकि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े कुछ पदाधिकारियों के बेटे और रिश्तेदारों को टीम में खिलाने को लेकर सहमति नहीं बनी।
इनसिक्योरिटी: खिलाड़ियों को पता नहीं वे कब तक खेलेंगे
क्रिकेटर्स का कहना है कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के साथ खिलाड़ियों को अपने भविष्य को लेकर इनसिक्योरिटी रहती है। उसके ऊपर हमेशा तलवार लटकी रहती है कि वह कब तक खेलेगा, टीम में रहेगा या नहीं? पुराने और अनुभवी क्रिकेटर्स के दिमाग में भी यह चीज रहती है। इससे परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ता है। इसी कारण से खिलाड़ी छोड़कर दूसरे राज्यों में जाकर या तो क्रिकेट खेलते हैं या फिर अगर ज्यादा सीनियर हो जाते हैं तो वहां जाकर कोचिंग देते हैं।
रवि विश्नोई गुजरात चले गए, वहां उन्होंने कैम्प किया। उसके तुरंत बाद विश्नोई वेस्ट इंडीज दौरे के लिए चुन लिए गए।
एन्वायर्नमेंट : इस साल एक भी कैम्प नहीं, कोल्विन शील्ड भी नहीं
ज्यादातर क्रिकेटर्स का कहना है कि RCA में अब क्रिकेट को लेकर कोई एन्वायर्नमेंट ही नहीं है। क्रिकेटर्स कहते हैं कि पदाधिकारियों को क्रिकेट से मतलब ही नहीं है। चाहे इंफ्रास्ट्रक्चर हो या सुविधाएं किसी चीज पर फोकस्ड नहीं हैं। क्रिकेटर्स कहते हैं कि दूसरे राज्यों में अब तक 2 कैम्प हो गए। मगर RCA में इस साल एक भी कैम्प नहीं लगा है। यहां तक कि अब कोल्विन शील्ड को भी नहीं करने की बात की जा रही है। पहले भी कोल्विन शील्ड 4 साल तक बंद रही थी। खिलाड़ियों को खेलने की सुविधाओं को देखें तो वो भी दूसरे राज्यों से काफी कम हैं। ग्राउंड, इंडोर स्टेडियम, पूल वगैरह भी मेंटेन नहीं हैं। RCA के पास चार साल से एकेडमी डायरेक्टर भी नहीं है।
अशोक मेनारिया : NOC मांगी तो किसी ने ना कुछ पूछा ना रोका
लास्ट सीजन के बाद हरियाणा से फोन आया था। अश्विनी कुमार डायरेक्टर हैं, उन्होंने बताया कि हम आपको देख रहे हैं। टीम चाह रही है आप आ जाइए। पूर्व RCA सेक्रेटरी महेंद्र शर्मा और लक्ष्यराजसिंह से परमिशन ले लीजिए। मैंने NOC अप्लाय कर दी, तीन दिन बाद NOC मिल गई। RCA में किसी ने बोला भी नहीं, किसी ने पूछा भी नहीं। NOC ले ली और चला गया। मेरी किसी से बात नहीं हुई, किसी ने कुछ कहा नहीं कि मत जाओ।
अशोक मेनारिया का कहना है कि उन्होंने NOC मांगी तो RCA में किसी ने कुछ नहीं बोला, कुछ नहीं पूछा।
रोहित झालानी : 20 साल का इंटरनेशनल प्लेयर छोड़कर जाना चिंता की बात
खिलाड़ियों को एक माहौल देना पड़ता है, इनसिक्योरिटी होती है तो प्लेयर परफॉर्म नहीं कर पाता। वो माहौल, कल्चर देना RCA का काम है। सेफ्टी और सिक्योरिटी का काम RCA का है। प्लेयर, कोच का जाना अच्छा नहीं है। कोई प्लेइंग इलवेन में डिजर्व करता है, लेकिन बाहर बैठता है, ऐसी स्थिति ठीक नहीं है। 20 साल की उम्र में इंटरनेशनल प्लेयर जा रहे हैं, यह अच्छा संकेत नहीं। मेरा तरीका दूसरे को पसंद नहीं आएगा, मगर अगर किसी के जाने की कोई भी वजह हो वो क्लियर होनी चाहिए। आप कोई भी स्टेप लो, उसका कारण क्लियर होना चाहिए। रवि विश्नोई को बाहर बैठाया तो उसका कारण क्या था। 20 साल का लड़का इंडिया खेल रहा है, अगर यहां बाहर बैठ रहा है तो उसका कारण क्लियर होना चाहिए। विजन क्लियर होना चाहिए और वो राजस्थान क्रिकेट के हित में होना चाहिए। हमारे पास बेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर है, उसका मेंटेनेंस नहीं हो रहा। इतनी शानदार एकेडमी है, वो चल रही है क्या?
निखिल डोरू : राजस्थान में इनसिक्योर फील कर रहे प्लेयर्स
राजस्थान RCA से जो प्लेयर्स छोड़कर जा रहे हैं या जो क्वालिफाइड कोच हैं वो राजस्थान में काम नहीं कर रहे हैं। दूसरे स्टेट में जाने का कारण है कि वो कहीं ना कहीं राजस्थान में जब खेलते हैं तो खुद को इनसिक्योर फील करते हैं। जैसे कि अगर कोई डिजर्विंग प्लेयर है और उसको चांसेज मिलते हैं तो वो छोड़कर जाएगा नहीं। राजस्थान की अच्छी टीम है, सब अपने स्टेट से खेलना चाहते हैं। कहीं न कहीं उन्हें मौका नहीं मिल पाता है। जो क्वालिफाइड कोच हैं और वो दूसरी जगह काम कर रहे हैं तो उसके पीछे भी करियर और फाइनेंशियल सिक्योरिटी वजह है, जो राजस्थान में नहीं मिलेगी। मुझे लगता है कि RCA को चाहिए कि जितनी भी पुराने प्लेयर हैं, कोच हैं उनसे बात करें और कॅरियर सिक्योरिटी प्रोवाइड करें।
प्लेयर्स और कोच नहीं छोड़ें तो उनको एक बैटर एन्वायर्नमेंट भी देना पड़ेगा। अगर अच्छी प्रैक्टिस, अच्छा काम प्रोवाइड करते हैं तो कोई छोड़कर नहीं जाएगा। 2-3 साल से वो एन्वायर्नमेंट प्लेयर्स और कोच को नहीं मिल पा रहा है, इसलिए वो दूसरी जगह ढूंढ रहे हैं।
निखिल डोरू का कहना है कि 2-3 साल से वो एन्वायर्नमेंट प्लेयर्स और कोच को नहीं मिल पा रहा है, इसलिए क्रिकेटर दूसरी जगह ढूंढ रहे हैं।
पी कृष्णकुमार : एसोसिएशन खिलाड़ियों की वजह से ही है
एसोसिएशन खिलाड़ियों की वजह से है, अगर चीजें ठीक हो जाएंगी, तो सारी प्रॉब्लस दूर हो जाएगी। मैं पांच साल उत्तराखंड, उससे पहले छत्तीसगढ़ में था। मेरी जो फीलिंग राजस्थान के लिए होगी वो किसी दूसरे स्टेट के मुकाबले ज्यादा होगी। जो पुराने प्लेयर हैं, उनकी फील राजस्थान के लिए होगी, वो बाहर वालों की हो ही नहीं सकती। अगर कोई प्लेयर जा रहा है तो पता नहीं, उस प्लेयर से बात की गई या नहीं।
विनीत सक्सेना : या तो बेहतर अवसर या फिर प्लेयर्स स्टेट में संतुष्ट नहीं
विनीत सक्सेना कहते हैं कि खिलाड़ियों के जाने के दो कारण होते हैं या तो बैटर अपॉरचुनिटी मिल रही होती है, या फिर जहां पर वो हैं, वहां वो सेटिस्फाइड नहीं होता है। मेरे मामले में बस इतना ही कहूंगा कि आप जिस पोजिशन पर हैं, अचानक उससे आपको हटा दिया जाता है तो ये कोई भी प्रोफेशल बिहेवियर या कंडक्ट नहीं है। कोई दूसरा आना भी है तो आपको पता होना चाहिए कि आपको हटाया जा रहा है। सबके अपने-अपने कारण हैं जाने के। ये RCA की जिम्मेदारी है कि वो अपने लोगों को ध्यान रखें। ये मेरा घर है, जब मैं सिस्टम में था तो घर की बात है बोलकर मैंने कुछ नहीं बोला। अभी भी मेरा वही स्टैंड है।
विनीत सक्सेना का कहना है कि ये RCA की जिम्मेदारी है कि वो अपने लोगों को ध्यान रखें।
राहुल कांवट : पसंदीदा खिलाड़ियों को कोच बनाने के लिए कुछ भी करते हैं
जो लोकल प्लेयर्स हैं, जिन्होंने राजस्थान को इतना दिया है। इन लोगों का एक्सपीरिएँस, खेल के प्रति लगाव अलग है। इनका डेडिकेशन और अनुशासन ज्यादा होता है। अगर ऐसे प्लेयर्स को नेग्लेट कर रहे हैं तो एसोसिएशन की गलती है। ये लोग BCCI के रूल्स को अपने हिसाब से बदल देते हैं। अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को कोच बनाने के लिए कुछ भी कर देते हैं। इससे क्रिकेट इम्प्रूव तो होने वाली है नहीं। इतनी एसोसिएशन इन्होंने बना ली है तो सबको रेवड़ियां बांटनी तो पड़ेगी। इंटरनेशनल प्लेयर को इलेवन में नहीं खिला रहे हो, वो बड़े-बड़े खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करता है। अगर इंडिया खेले हुए प्लेयर को इनसिक्योरिटी हो रही है तो कहीं न कहीं समस्या है। राजस्थान में ही आपस में इतनी गुटबाजी हो गई है। राजस्थान की क्रिकेट नीचे ही जा रही है। जो अभी इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं उन्हें ही नहीं पूछ रहे हो तो पुराने खिलाड़ियों को क्या पूछोगे। जो इंडिया खेल रहा है उसकी तो इज्जत करो। इंडियन प्लेयर की तो इज्जत करो।
राहुल कांवट कहते हैं कि अगर इंडिया खेले हुए प्लेयर को इनसिक्योरिटी हो रही है तो कहीं न कहीं समस्या है।
गगन खोड़ा : विश्नोई ने क्यों छोड़ा इसके कारणों पर जाना चाहिए
अपने पास जाे टेलेंट है, राजस्थान में उसको यूज करना चाहिए। RCA को सोचना चाहिए। रवि विश्नोई का जाना सरप्राइजिंग है। आमतौर पर जब रिटायरमेंट नजदीक होता है तब स्टेट चेंज करते हैं। किस कारण से किया, किससे अनबन हुई है। या उसको ट्रीटमेंट नहीं मिला, ये देखना पड़ेगा। अपने करियर में जिस जगह वो है उस दौर में स्टेट चेंज करना सही चीज नहीं है। मैंने कभी स्टेट नहीं छोड़ा। मेरा इनवॉल्मेंट RCA से नहीं है। ज्यादातर प्लेयर्स छोड़कर जा रहे हैं तो कुछ न कुछ तो होगा।
गगन खोड़ा का कहना है कि एक के बाद एक प्लेयर राजस्थान छोड़ रहे हैं तो इसके पीछे कुछ वजह तो जरूर होगी।
सेक्रेटरी बोले : जय शाह के टच में रहकर टीम में जाने के लिए गए विश्नोई
RCA सेक्रेटरी बीएस सामोता ने इस पूरे विवाद पर रवि विश्नोई, अशोक मेनारिया और रणजी टीम के पूर्व कोच विनित सक्सेना तीनों पर निशाना साधा।
सामोता ने विश्नोई के लिए कहा कि हमने तो खूब कहा, मत जाओ। गुजरात जाने का मतलब समझते हो। उनको अशोरेंस मिला होगा कि हमारे यहां से इंडिया खिलाएंगे। हमने तो उन्हें यही कहा है कि आप खेलिए। आप रवि विश्नोई RCA की वजह से हैं, सिर्फ रवि विश्नोई की वजह से नहीं। अब आप स्टार हो गए तो आप छोड़ना चाहते हैं। किसी खिलाड़ी को कोई समस्या है उन्हें मुझसे बात करनी चाहिए। रवि विश्नोई को नहीं खिलाने का कारण आप उस वक्त के सेक्रेटरी से पूछिए कि क्या कारण रहा। हमने कहा- खेलिए, फिर भी क्यों जाना चाह रहा है। पर्सनल इंटरेस्ट है, वहां जय शाह के डायरेक्ट टच में आएंगे, इंडियन टीम में जाएंगे।
इसी तरह अशोक मेनारिया के लिए सामोता ने कहा कि जो कैप्टन अपनी टीम के होते हुए पवेलियन में जाकर बैठ जाए। मैच के दौरान जाकर कह दे कि मैं तो नहीं खेल पाऊंगा, मेरे ये हो गया, वो गया, हैमस्ट्रिंग हो गया। झूठे बहाने बनाकर मैच से बाहर हो जाए, उसका क्या करें। टीम को हतोत्साहित करना ठीक नहीं।
वहीं विनीत सक्सेना काे लेकर सामोता ने कहा कि टीम इतनी बुरी तरह से हार गई। हम तो कहेंगे और जाइए, किसी को फेवर नहीं मिलेगा। ये नहीं होगा कि मुझे खिलाओ, दूसरे को मत खिलाओ। सही बात ये है जो खेलेगा, वो रहेगा, जो नहीं खेल पा रहा, वो नहीं रहेगा। हम नए बच्चों को जगह देंगे। राजस्थान ने इतना कुछ किया। राजस्थान को देने का समय आया तो आप दूसरी जगह चले जाओ। किसी का किसी से अगर पर्सनल इश्यू रहा हो तो वो मुझे मालूम नहीं।
राजस्थान ने 2011-12 में जीती थी आखिरी रणजी ट्रॉफी
राजस्थान ने रणजी अंतिम बार रणजी ट्राफी 2011-12 में जीती थी। ये वो दौर था जब ऋषिकेश कानिटकर राजस्थान रणजी टीम के कप्तान हुआ करते थे। इस दौरान दो बार उन्होंने राजस्थान को रणजी चैंपियन बनाया। 2010-11 और 2011-12 में लगातार दो बार टीम ने रणजी जीता। भारतीय क्रिकेट जगत के लिए यह काफी चौंकाने वाला था। मगर उसके बाद राजस्थान टीम कभी फाइनल में भी नहीं पहुंच पाई। इससे पहले 1960 से 1975 के बीच राजस्थान टीम 8 बार फाइनल में पहुंची मगर फाइनल नहीं जीत पाई थी।
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