राजस्थान की 30 विधानसभा सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी बने बीजेपी की जीत में संकट, जानिए इन सीटों के बारे में
राजस्थान में भाजपा के कई प्रत्याशियों को टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय प्रत्याशियों ने पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ संकट खड़ा कर दिया है। इसमें चंद्रभान सिंह आक्या, कैलाश मेघवाल, भवानी सिंह राजावत और जीवाराम चौधरी जैसे प्रतिष्ठित नेताओं के नाम शामिल हैं। इन प्रत्याशियों की बगावत से भाजपा के उम्मीदवारों की जीत पर संकट बढ़ रहा है।
जयपुर : प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का एजेंडा लेकर चुनाव में उतरी भाजपा की राह इस बार आसान नहीं है। पार्टी ने केन्द्रीय स्तर पर प्रत्याशियों का चयन करते हुए टिकट वितरण किया। कई मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने से वे बागी हो गए। साथ ही कई कद्दावर नेताओं ने भी टिकट नहीं मिलने पर बगावत करते हुए चुनाव मैदान में उतर गए। अब निर्दलीय प्रत्याशियों ने बीजेपी प्रत्याशियों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। प्रदेश में करीब 30 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने पार्टी प्रत्याशियों का सियासी गणित बिगाड़ रखा है। कहीं पर त्रिकोणीय तो कहीं पर चतुष्कोणीय मुकाबला होने की संभावना नजर आ रही है।
चित्तौड़गढ़ – लगातार दो बार चुनाव जीतते आ रहे भाजपा विधायक चंद्रभान सिंह आक्या का पार्टी ने टिकट काट दिया। आक्या का टिकट कटने से भारी विरोध हुआ। पार्टी से आग्रह किया गया कि वे पुनर्विचार करे लेकिन पार्टी ने साफ इंकार कर दिया। फिर चंद्रभान सिंह आक्या ने बागी होकर चुनाव मैदान में ताल ठोक दी। अब वहां पार्टी प्रत्याशी नरपत सिंह राजावत की जीत संकट में पड़ती नजर आ रही है।
शाहपुरा – शाहपुरा (भीलवाड़ा) शीट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे कैलाश मेघवाल चुनाव जीतते आ रहे हैं। वसुंधरा राजे के समर्थक रहे 89 वर्षीय मेघवाल को इस बार टिकट कटने का संहेद था। पिछले दिनों उन्होंने केन्द्रीय मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए तो बीजेपी ने उन्हें अनुशासनहीनता का नोटिस दिया। नोटिस का जवाब देने के साथ ही कैलाश मेघवाल ने पार्टी छोड़ दी। मेघवाल के पार्टी छोड़ने के बाद भाजपा ने लाला राम बैरवा को टिकट दिया। उधर कैलाश मेघवाल भी चुनाव मैदान में उतर गए। मेघवाल के मैदान में होने से बैरवा की जीत संकट में है।
लाडपुरा – कोटा की लाडपुरा सीट पर वसुंधरा राजे के समर्थक रहे भवानी सिंह राजावत की टिकट इस बार भी काट दी गई। पार्टी ने मौजूदा विधायक कल्पना देवी को प्रत्याशी बनाया। चूंकि राजावत ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि पार्टी उन्हें टिकट दे या ना दे, वे चुनाव जरूर लड़ेंगे। प्रत्याशी का ऐलान होने से पहले ही राजावत ने नामांकन दाखिल कर दिया। बाद में पार्टी ने टिकट काटा तो राजावत ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। पिछली बार भी राजावत ने नामांकन दाखिल किया था लेकिन वसुंधरा राजे के कहने से वापस ले लिया लेकिन इस बार वे मैदान में डटे हैं। अब कल्पना देवी की राह में रोड़ा बने हुए हैं।
सांचौर – सांचौर विधानसभा सीट से बीजेपी ने लोकसभा सांसद देवजी पटेल को मैदान में उतारा तो पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी और दानाराम चौधरी ने विरोध किया। ये दोनों चौधरी टिकट के दावेदार थे। पटेल को टिकट मिलने पर दोनों चौधरी एक हो गए। उन्होंने ऐलान किया कि दोनों में से किसी एक को टिकट ने वरना वे पार्टी के खिलाफ कदम उठाएंगे। पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बदला तो बगावत करते हुए पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी ने नामांकन दाखिल कर दिया। इस सीट से कांग्रेस से सुखराम बिश्नोई मैदान में है। बीजेपी के बागियों ने देवजी पटेल की जीत पर संकट पैदा कर दिया है।
इन सीटों पर भी बीजेपी के लिये संकट बने निर्दलीय प्रत्याशी
पिछले दिनों टिकट दिए जाने की शर्त पर छात्र नेता रविंद्र सिंह भाटी ने भाजपा की सदस्यता ली थी। उन्हें शिव से प्रत्याशी बनाने का आश्वासन दिया था। पार्टी की सदस्यता लेने के बाद भाटी चुनाव की तैयारी में जुट गए लेकिन बाद में भाटी के बजाय स्वरूप सिंह खारा को टिकट दे दिया गया। इस पर रविंद्र सिंह भाटी ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक दी। इसी तरह झुंझुनूं से राजेन्द्र भांबू, डीडवाना से पूर्व मंत्री यूनुस खान, बाड़मेर से प्रियंका चौधरी, सूरतगढ़ से राजेन्द्र भादू, खंडेला से बंशीधर बाजिया, झोटवाड़ा से आशु सिंह सुरपुरा, सुजानगढ़ से राजेन्द्र नायक, कोटपूतली से मुकेश गोयल, जालोर से पवन मेघवाल, बस्सी से जितेन्द्र मीणा, सीकर से ताराचंद धायल, सवाई माधोपुर से आशा मीणा, फतेहपुर से मधुसूदन भिंडा, पिलानी से कैलाश मेघवाल, डग से रामचंद्र सुनेरीवाल, संगरिया से गुबाल सिंवर, मसूदा से जसवीर सिंह खरवा, ब्यावर से इंद्र सिंह, जैतारण से योगी लक्ष्मण नाथ, बूंदू से रुपेश शर्मा, अजमेर उत्तर से ज्ञानचंद सारस्वत, भीलवाड़ा से अशोक कोठारी, मकराना से हिम्मत सिंह राजपुरोहित और बयाना से ऋतु बनावत ने भी बीजेपी प्रत्याशियों की राह मुश्किल कर दी है।
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